जन आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत मुख्यमंत्री ने पिछले 22 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से की थी। यह यात्रा 27 अक्टूबर को समाप्त होगी। बीच बीच में यात्रा के दौरान विराम भी किए जाएंगे, ताकि मुख्यमंत्री भोपाल आकर अपने सरकारी दायित्वों का निर्वहन करते रहें। मुख्यमंत्री चैहान अपनी यात्रा के दौरान दो रथों का इस्तेमाल बारी बारी से कर रहे हैं। उनके अतिरिक्त वे एक हेलीकाॅप्टर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री 50 दिन सड़कों पर बिताएंगे और 8 हजार किलामीटर दूरी कवर करेंगे। इसके दौरान प्रदेश की लगभग सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में उनका रथ प्रवेश करेगा।

इस यात्रा को काफी सफलता मिल रही है। 2008 में भी चैहान ने इसी तरह की यात्रा की थी। यह अभियान लोगों को अपनी ओर खींचने में उस यात्रा की अपेक्षा ज्यादा सफल हुआ है। बारिश के बावजूद लोगों ने मुख्यमंत्री को सुनने के लिए घंटों उनका इंतजार किया। अजय सिंह के इलाके चुरहट में भी लोगों की उपस्थिति बेहतर रही। यात्रा के दौरान लोग खुद आए।

यात्रा के दौरान अपनी सभाओं में मुख्यमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धियों की तो चर्चा करते ही हैं, कांग्रेस और केन्द्र सरकार पर हमला करना भी नहीं भूलते हैं। वे कांग्रेस नेताओं की धज्जियां उड़ाते भी देखे जा सकते हैं।

वे इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि अपने भाषणों में वे अशालीन शब्दों का इस्तेमाल न करें। वे व्यक्तिगत हमले से भी परहेज करते हैं। वे कांग्रेस की आलोचना करते हुए उसकी मध्यप्रदेश की 1993 से 2003 की सरकार की नाकामियों की ओर लोगों का ध्यान खींचते हैं और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस द्वारा की जा रही साजिश का भी पर्दाफाश करते हैं। खासकर केन्द्र सरकार की आयकर विभाग के दुरुपयोग की चर्चा वे जरूर करते हैं।

चैहान की इस यात्रा को ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में मिल रहे भारी समर्थन के लिए विश्लेषक अनेक कारणों को जिम्मेदार बता रहे हैं। पहला कारण तो खुद चैहान को ही बताया जा रहा है। उनकी छवि एक ऐसा नेता की है, जो समाज के कमजोर लोगो के लिए सदा चिंतित रहता है और जो एक पारिवारिक व्यक्ति है। सत्ता में आने के बाद नेताओ में जो दुर्गुण आते हैं, उनसे चैहान को मुक्त माना जाता है।

उन्होंने अपने घर पर समाज के अलग अलग पेशा समूह लोगों की 50 पंचायतें आयोजित की थी। उन पंचायतों ने उन्हें लोगों का दिल जीतने में उनकी खासी सहायता की है। उनके ऊपर भ्रष्टाचार का भी कोई आरोप नहीं है। पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से वे समाज के अनेक वर्गों के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं। इससे भले ही सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ रहा हो, लेकिन लोग उनकी बाहबाही कर रहे हैं।

किसानों के बिजली बिल को माफ कर दिया गया है और छात्रों को मुफ्त में लैपटाॅप बांटे गए हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग एक रुपये प्रति किलो गेहूं और दो रुपये प्रति किलो चावल पा रहे हैं।

कांग्रेस ने अपनी शंखनाद रैली का आयोजन 11 अगस्त को सागर में किया था। रैली को मध्यप्रदेश कांग्रेस पार्टी के लगभग सभी नेताओं ने संबोधित किया था। संबोधित करने वालों मे कमलनाथ भी थे, तो दिग्विजय सिंह भी थे। मध्यप्रदेश के कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश भी संबोधित करने वाले लोगों में शामिल थे।

सागर पहुंचने के पहले कमलनाथ और ज्योतिरादित्या सिंधिया ने गुना में एक सभा को संयुक्त रूप से संबोधित किया था। उस संबोधन में कमलनाथ ने बिना नाम लिए हुए एक प्रकार से सिंधिया को कांग्रेस मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में लगभग घोषित कर दिया था। उनका कहना था कि मेरे गुना के एक छोटे भाई यानी दिग्विजय सिंह पहले भी यहां के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आने वाले दिनों में मेरा ऐ अन्य भाई यहां का मुख्यमंत्री होगा। वह अन्य भाई कोई और नहीं, बल्कि श्री सिंधिया हैं, जो गुना लोकसभा का ही संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं।

इस तरह पूरे प्रदेश में चुनावी जंग तेज हो गई है और दोनों प्रमुख पार्टियां चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिशों में जुट गई हैं। (संवाद)