आम तौर पर किसी राजनैतिक बदलाव का इंजन विपक्ष बनता है, लेकिन हरियाणा में इसका उलटा हो रहा है। वहां सत्तारूढ़ कांग्रेस खुद ही बदलाव का कारण बन रही है। उस बदलाव में कांग्रेस को ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। इस बदलाव से कांग्रेस को फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होने वाला है।

कांग्रेस आत्महंता प्रवृति पालती दिखाई पड़ रही है। हाल के दिनों मंे पार्टी की अंदरूनी लड़ाई सबसे सामने आ गई है। भूपीन्दर सिंह हृड्डा का खिलाफ कुमारी शैलजा और बीरेन्द्र सिंह का संघर्ष तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है और अब उनके समर्थक मुख्यमंत्री के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी पर भी उतारू हो गए हैं। गौरतलब है कि कुमारी शैलजा केन्द्रीय मंत्री हैं, जबकि बीरेन्द्र सिंह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। बयानबाजी से बढ़कर मामला मारपीट तक पहंुच जाता है। पिछले दिनों ऐसा ही हुआ। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष की उपस्थिति में ही नेताओं के समर्थकों ने आपस में मारपीट तक कर डाली।

दूसरी तरफ कांग्रेस के गुड़गांव के सांसद राव रणजीत सिंह ने कहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व ने उन्हें पार्टी से बाहर विकल्प देखने के लिए बाध्य कर दिया है। अब उनकी बेटी ने निर्वाचन आयोग को आवेदन देकर एक नई पार्टी के पंजीकरण का रास्ता चुना है। वे हरियाणा इंसाफ कांग्रेस नाम की पार्टी का पंजीकरण करवा रही हैं। उनके पिता हरियाणा इंसाफ मंच का गठन कर कुछ दिन पहले से ही सक्रिय है। अब मंच का स्थान पार्टी लेने जा रही है।

आगामी लोकसभा चुनाव में राव इन्दरजीत सिंह इस नई पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ सकते हैं। उनकी मुख्यमंत्री से हुड्डा से नहीं पट रही है और उन्हें इस बात का डर है कि कहीं उन्हें कांग्रेस अगली बार टिकट ही नहीं दे। उसी स्थिति का सामना करने के लिए वे एक नई पार्टी का गठन करवा रहे हैं। उनके विरोधी उनपर मुख्यमंत्री हुड्डा को ब्लैकमेल करने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि वे दबाव की राजनीति से गुड़गांव से कांग्रेस का अपना टिकट पक्का करना चाह रहे हैं।

राजनीति में भविष्यवाणी करना एक कठिन काम है, लेकिन पिछले दिनों जो घटनाएं घटी हैं, उनसे यह तो तय है कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी में बदलाव होंगे। आंतरिक गुटबाजी तेज होने के साथ साथ कांग्रेस आलाकमान पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बदलने के लिए दबाव बढ़ रहा है। इस समय हुड्डा के खासम खास फूलचंद मुलाना प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे पिछले 6 साल से इस पद पर बने हुए हैं।

अगला सप्ताह हरियाणा कांग्रेस के लिए निर्णायक साबित होने वाला है। लोकसभा के पहले केन्द्रीय नेतृत्व को प्रदेश पार्टी के संगठन को फिर से बदलना होगा और उसे चुनावों के अनुकूल बनाना होगा।

मुख्य विपक्षी दल इंडियन नेशनल लोकदल के ओमप्रकाश चैटाला और उनके बेटे को 10- 10 साल के लिए मिली सजा ने राज्य की राजनीति में जबर्दस्त बदलाव की भूमिका तैयार कर दी है। उन दोनो के जेल में रहने के कारण यह दल नेतृत्वहीन हो गया है। लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के पहले उनके राजनीति मे फिर से सक्रिय होने की संभावना नही ंके बराबर है।

भारतीय जनता पार्टी को कुलदीप बिश्नोई के बेटे की हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन जारी है, लेकिन उनके बीच मतभेद भी पैदा हो गए हैं। भाजपा का एक वर्ग बिशनोई की पार्टी से तालमेल बनाकर रखने में कोई फायदा नहीं देखता। कुछ लोग चैटाला के लोकदल के साथ जाने को उत्सुक थे, हालांकि पार्टी के अंदर उसका भी विरोध होता था। चैटाला बाप बेटों के जेल में जाने के बाद उसके साथ भाजपा के तालमेल की संभावना समाप्त प्राय हो गई है। दूसरी ओर बिश्नोई की पार्टी के साथ भी संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है।

लिहाजा हरियाणा की राजनीति बदलाव के ऐसे मोड़ पर आज खड़ी है कि कोई दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि बदलाव के बाद कैसी स्थिति उभरेगी। (संवाद)