गौरतलब है कि विपक्षी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने प्रदेश सचिवालय के घेराव की समाप्ति इसी शर्त पर की थी कि इस घोटाले की न्यायिक जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री ने विपक्ष को यह आश्वासन दिया था कि हाई कोर्ट के एक सिटिंग जज से इस मामले की जांच कराई जाएगी।

प्रदेश सरकार की इस मांग पर हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति की बैठक मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेलर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में यह महसूस किया गया कि हाई कोर्ट में जजों की भारी कमी है और इसके कारण न्यायिक जांच के लिए एक जज को छुट्टी नहीं दी जा सकती। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के अनेक निर्देशों की भी उस बैठक में चर्चा हुई, जिनमें कहा गया था कि उस तरह की जांच के लिए हाई कोर्ट अपने जजों को नहीं छोड़ें।

हाई कोर्ट के उस फैसले पर एलडीएफ ने ओमन चांडी सरकार की खिंचाई करनी शुरू कर दी। उसका आरोप है कि सरकार ने हाई कोर्ट के सामने अपना पक्ष ईमादनदारी के साथ नहीं रखा। सरकार ने न्यायिक जांच के लिए सिर्फ एक चिट्ठी लिखकर अपने आपको आगे के प्रयास में शामिल ही नहीं किया। विधानसभा में विपक्ष के उपनेता कोडियेरी बालाकृष्णन यही आरोप लगा रहे हैं।

उनका कहना है कि राज्य सरकार ने सोलर पैनल घोटाले की जांच के लिए हाई कोर्ट को चिट्ठी लिखने के बाद कोई कार्य प्रयास नहीं किए। यह सरकार चाहती, तो हाई कोर्ट को इस काम के लिए मना सकती थी। यदि वह कहती कि यह एक बहुत ही गंभीर मसला है, जिसमें संदेह की सूई मुख्यमंत्री की ओर है, तो हाई कोर्ट जरूर मान जाता।

उनका यह भी कहना है कि सरकार ने जांच की शर्तांे को भी अंतिम रूप नहीं दिया। उसे कोर्ट के सामने जांच के बारे में सबकुछ बता देना चाहिए था। चूंकि सरकार ने वैसा नही किया, इसलिए कोर्ट ने भी उसकी चिट्ठी को गंभीरता से नहीं लिया।

अब जब हाई कोर्ट ने न्यायिक जांच के लिए एक जज देने से मना कर दिया है, तो सरकार के पास अब कौन से विकल्प रह जाते हैं? एक विकल्प तो जिला अदालतों के किसी जज की सेवा लेने का हो सकता है। दूसरा विकल्प किसी पड़ोसी राज्य के हाई कोर्ट से जज देने की गुजारिश करने का हो सकता है। एक बार ऐसा हो भी चुका है। उस समय केरल में नयनार सरकार थी। नयनार सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट के जज से जांच कराई थी। कोडियारी का कहना है कि वर्तमान केरल सरकार को भी नयनार की सरकार के कदम पर चलना चाहिए।

पर सवाल यह है कि क्या चांडी सरकार ऐसा करेगी? वैसी संभावना बहुत कम है, हालांकि प्रदेश गृहमंत्री राधाकृष्णन ने घोषणा की है कि न्यायिक जांच के मसले पर उनकी सरकार अपना पैर पीछे नहीं खींचेगी। इसका कारण यह है कि न्यायिक जांच में देरी ओमन चांडी को सूट करती है। वह सरकार को भी सूट करती है। इस तरह की देरी एलडीफ के आंदोलन की हवा निकाल देगी और सरकार के खिलाफ गुस्सा भी शंात होता जाएगा।

दूसरी तरफ एलडीएफ ने घोषणा की है कि उसकी समन्वय समिति की बैठक जल्द ही होगी और आगे की कार्रवाई के बारे में उस बैठक मे फैसला किया जाएगा। माना जा रहा है कि सिटिंग जज से न्यायिक जांच से कम पर मोर्चा तैयार नहीं होगा। मोर्चे ने चांडी सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने की अपनी मंशा का इजहार पहले ही कर दिया है। इसका कारण है कि वह इस मसले पर नरमी बरत ही नहीं सकती। यदि उसने थोड़ी भी नरमी बरती, तो उसकी विश्वसनीयता को झटका लगेगा। (संवाद)