साफ साफ देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री चैहान अपनी सभाओं मंे भारी भीड़ खींच रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि वे आज मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता हैं। लगता है कि चैहान की लोकप्रियता को ध्यान में रखकर ही कांग्रेस ने उनके सामने केन्द्रीय मंत्री ज्यातिरादित्या को खड़ा कर रखा है। उन्हें प्रचार अभियान समति का प्रमुख बनाया गया है।
इसमें भी कोई शक नहीं है कि सिंधिया आज प्रदेश के सबसे ज्यादा लोकप्रिय कांग्रेस नेता हैं। यह अचरज की बात है कि आजादी के 66 साल के बाद भी पूर्व रियासतों के परिवार से जुड़े लोग जनता के सम्मान को बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं। पूर्व ग्वालियर रियासत के अधिकांश लोग भी भी सिंधिया को अपना माई बाप मानते हैं। 40 से भी ज्यादा विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सिंधिया का प्रभाव है। उन क्षेत्रों में चैहान भी उनकी लोकप्रियता का मुकाबला नहीं कर सकते।
सिंधिया परिवार की तीसरी पीढ़ी के ऐसे व्यक्ति ज्यातिरादित्य हैं, जो आजादी के बाद राजनीति में रहे हैं। उनकी दादी विजयाराज सिंधिया पहली पीढ़ी की नेता थीं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहली बार लोकसभा की सदस्यता हासिल की थी, पर बाद में जनसंघ में चली गईं। उनके जनसंघ में जाने के बाद ही कांग्रेस के लौह पुरूष माने जाने वाले द्वारिका प्रसाद मिश्र मुख्यमंत्री के पद से हट सके थे।
दूसरी पीढ़ी के नेता ज्यातिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया थे। पहले वे जनसंघ में शामिल हुए थे और उसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। एक हवाई दुर्घटना मे मौत होने तक वे कांग्रेस में ही बने रहे।
उनकी मौत के बाद ही ज्योतिरादित्य लोकसभा पहुंचे। और जल्द ही मंत्री भी बन गए। अब यह जाहिर हो रहा है कि यदि कांग्रेस को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला, तो वे ही मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। उन्हें चुनाव समिति का प्रमुख बनाया गया है तो कमलनाथ को विभिन्न समितियों में समन्वय करने वाली एक समिति का प्रमुख बनाया गया है।
इन समितियों में पार्टी के सभी गुटो को जगह दी गई है। एक खास बात यह देखने में आ रही है कि दिग्विजय सिहं को किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं दी गई। इस पर अनेक राजनैतिक विश्लेषक आश्चर्य कर रहे हैं, लेकिन उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि उन्होंने खुद अपने आपको बाहर कर रखा है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में वे लो प्रोफाइल रखना चाहते हैं।
कांग्रेस को अनेक गुटों में संतुलन बैठाना पड़ रहा है, लेकिन भाजपा में ऐसी समस्या नहीं है। वहां कोई गुटबाजी नहीं है और श्री चैहान पार्टी के एकक्षत्र नेता हैं। वे चुनावी टिकट के बंटवारे में ही नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
टिकट का बंटवारा करते समय भारतीय जनता पार्टी अपने वर्तमान विधायकों में से अनेक का टिकट काट भी सकती है। जो लोग जनता में बहुत अलोकप्रिय हैं, उनका टिकट काटे जाने का विचार है। एक अनुमान के अनुसार 50 से 60 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। जाहिर है, टिकट काटे जाने के बाद वे विद्रोह भी कर सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने मांग की है, कि यदि पार्टी को लगातार तीसरी बार सत्ता में आना है, तो भ्रष्ट और अलोकप्रिय मंत्रियों और विधायकों का टिकट काटना ही होगा।
चौहान ने मुसलमानों का वोट पाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, लेकिन विधानसभा में उन्होंने साफ साफ कहा है कि उनकी सरकार किसी भी हालत में सच्चर कमिटी की रिपोर्ट को लागू नहीं करेगी। (संवाद)
मध्यप्रदेश चुनावी जंग के लिए हो रहा है तैयार
चौहान के सामने खड़े हैं सिंधिया
एल एस हरदेनिया - 2013-09-10 11:26
भोपालः नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश तैयार हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान बपनी प्रदेश व्यापी यात्रा में लगे हुए है। उन्होंने इस यात्रा का नाम दिया है जन आशीर्वाद यात्रा। दूसरी तरह कांग्रेस ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए अनेक समितियों का गठन कर दिया है।