नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के रूप में उभरे, पर मनमोहन सिंह नहीं, तो इसका कारण यह है कि गुजरात को भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश भी माना जा रहा है, जबकि केन्द्र में भ्रष्टाचार के एक के बाद एक मामले आए। पर क्या यह सच है कि गुजरात एक भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश है? यदि हम लोकसभा सांसदों को देखंे तो पाते हैं कि वहां के सांसदों में भी अनेक आपराधिक और भ्रष्ट छवि के ही हैं। गुजरात से लोकसभा के 26 सांसद हैं और उनमें से 11 सांसद दागी हैं। यदि हम प्रतिशत के हिसाब से देखें, तो वहां के 40 फीसदी से भी ज्यादा लोकसभा सांसद दागी ही हैं।
लोकतांत्रिक सुधार संघ नाम के एक गैर सरकारी संगठन ने अपने अध्ययन में पाया है कि सबसे ज्यादा दागी लोकसभा सांसद उत्तर प्रदेश से हैं। उनकी संख्या 31 है, लेकिन वहां से कुल 80 लोकसभा सांसद चुनकर आते हैं। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है, जहां के 26 लोकसभा सदस्य दांगी है। वहां से कुल 48 लोकसभा सांसद चुनकर आते हैं। जाहिर है, महाराष्ट्र का स्थान भले ही दागी लोकसभा सांसदों के मामले मे ंदूसरा हो, लेकिन उसके आधा से ज्यादा लोकसभा सांसद दागी ही हैं। महाराष्ट्र के बाद बिहार का स्थान आता है, जहां 40 में से 18 सांसद दागी हैं। यानी वहां के 45 फीसदी सांसद दागी हैं।
गुजरात में दागी लोकसभा सांसदों की संख्या ज्यादा होने का मतलब है कि नरेन्द्र मोदी भले ही गुजरात प्रशासन को अपेक्षतया कम भ्रष्ट रखने में सफल रहे हों, पर टिकट वितरण के समय लोकसभा उम्मीदवारों में दागी लोगों के वर्चस्व को वे तोड़ नहीं पाते हैं। इसका एक मतलब तो यह हुआ कि भले ही विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के समय उनकी ज्यादा चलती हो, पर लोकसभा चुनाव के समय वे उतने प्रभावी नहीं होते हैं। सवाल यह है कि आज जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, क्या टिकट बंटवारे में वे दागी लोगों को रोक सकेंगे?
यूपीए सरकार के खिलाफ लोगों की मुख्य शिकायत महंगाई को लेकर है। पर उसके साथ भ्रष्टाचार की बड़ी बड़ी खबरें भी आईं और यह तथ्य लोगों के सामने पेश किए गए कि भ्रष्टाचार के कारण ही महंगाई बढ़ रही है। इसमें सच्चाई भी है। इसके कारण ही यूपीए की स्थिति डांवाडोल होती दिखाई दे रही है। लोगों को लग रहा है कि महंगाई के लिए भ्रष्टाचार जिम्मेदार है और भ्रष्टाचार के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार है, जहां अरबो खरब रुपये के भ्रष्टाचार की अनेक खबरें पिछले कुछ सालों से लगातार आ रही हैं।
कुछ राज्यों के विधान सभा चुनावों के समय तो महंगाई आश्चर्यजनक रूप से सारे रिकार्ड तोड़ रही हैं। सब्जियों की कीमतें आसमना छू रही हैं और उन कीमतों का सब्जियों के उत्पादन से भी संबंध नहीं रह गया है। जाहिर है, इसका कारण भ्रष्टाचार है। जमाखोरी और मुनाफाखोरी जमकर हो रही है और उन्हें भ्रष्ट प्रशासन का संरक्षण मिल रहा है। कहने का मतलब कि जिस प्रशासन को जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर नियंत्रण करना चाहिए था, वही प्रशासन उसे संरक्षण प्रदान कर रहा है, जिसके कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं।
और इस माहौल के बीच नरेन्द्र मोदी पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं। सवाल उठता है कि क्या वे भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन दे सकेंगे और उसके साथ विकास को तेजी प्रदान कर सकेंगे? यही काफी नहीं है, महंगाई पर नियंत्रण भी जरूरी है, क्योंकि लोग महंगाई से सीधे और अविलंब प्रभावित होते हैं, जबकि विकास का फल आम आदमी तक आते आते समय लग जाता है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली परीक्षा तो टिकट बंटवारे के दौरान ही होगी। यदि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं तो टिकट बंटवारे में भी उनकी यह प्रतिबद्धता झलकनी चाहिए। वर्तमान लोकसभा में तो भारतीय जनता पार्टी दागी सांसदों के मामले मे कांग्रेस से पीछे नहीं है। दोनों में से प्रत्येक के दागी सांसदों की संख्या 44 है। अब चूकि कांग्रेस के सांसदों की संख्या 206 है और भाजपा की 116ए तो सहज ही यह देखा जा सकता है कि आनुपातिक रूप में भाजपा में दागी सांसद ज्यादा हैं। अब यह देखना होगा कि मोदी की पार्टी कितने दागी लोगों को अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाती है। (सवाद)
क्या अपराधी सांसदों का टिकट काट पाएंगे मोदी?
सुब्रत मजुमदार - 2013-11-12 10:12
वर्तमान चुनावी माहौल में विकास को गरीबी हटाओ के नारे के ऊपर वरीयता दी जा रही है। नरेन्द्र मोदी को विकास पुरुष के रूप में ही पेश किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उनके नेतृत्व में गुजरात ने काफी विकास किया है। विकास तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने भी देश का तेजी से ही किया और अपने पहले कार्यकाल में 8 से 9 फीसदी तक विकास किया, लेकिन उनके विकास की कहानी भ्रष्टाचार में दबकर रह गई है।