भारत अभी भी जिनीवा में छह बड़े देशों द्वारा ईरान के साथ किए गए ऐतिहासिक समझौते के प्रभावों की समीक्षा कर रहा है। शुरुआती प्रतिक्रिया यह है कि भारत पर इस समझौते का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। शर्त यह है कि संबंधों की दिशा में बेहतरी के लिए दोनों देशों को एक दूसरे की ओर बढ़ना होगा। और इसके साथ यह भी जरूरी है कि जो नया माहौल बना है, वह ईरान अथवा पश्चिमी देशों द्वारा एक बार फिर खराब कर दिया जाय।
प्रधानमंत्री कार्यालय जिनीवा में हुए समझौते के पहले की गतिविधियों पर भी नजर गड़ाए हुए था। उसने विदेश मंत्रालय से कहा है कि वह जिनीवा में हुए समझौते को ध्यान मे रखते हुए ईरान के साथ लघु अवधि और दीर्घ अवधि के सबंधों की रणनीतियां तैयार करे। भारत का तेल मंत्रालय भी इस समझौते के बाद भारत को होने वाले फायदे और ईरान के साथ संबंध और भी प्रगाढ़ करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
भारत को फौरी राहत ईरान से कच्चे तेल को लाने वाले टैंकरों की बीमा पर लगी पाबंदी के हट जाने से मिली है। अब इसके बाद उन टैंकरों की बीमा संभव हो गई है और इसके कारण अब ईरानी तेल भारत में आसानी से लाया जा सकता है। भारत ने ईरान से होने वाले तेल आयात को साढ़े 26 फीसदी इस साल कम कर दिया है। इसका कारण ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अनेक किस्म के प्रतिबंध थे। फिलहाल भारत अमेरिका द्वारा लगाए गए उन प्रतिबंधों का सम्मान करता रहेगा और जैसे ही वे प्रतिबंध उठाए जाएंगे, अपनी रणनीति के तहत ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंधों मंे विस्तार लाएगा।
फिलहाल भारत का विदेश मंत्रालय एकाएक किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं करता और वह नये माहौल को लेकर किसी प्रकार का अति उत्साह दिखाने को तैयार नहीं है। इसका कारण यह है कि समझौते के कारण जो नया माहौल बन रहा है, उसके स्थायित्व के प्रति पहले आश्वस्त होना जरूरी है। इजरायल इस समझौते से खुश नहीं है और वह अमेरिका की डेमाक्रेटिक पार्टी के अंदर काफी प्रभाव रखता है। उसकी कोशिश होगी कि इस समझौते पर होने वाले फाॅलो अप कार्यों को धीमा कर दिया जाय। विदेश मंत्रालय चाहता है कि पाकिस्तान से होकर गुजरने वाले तेल पाइप पर किसी निर्णय लेने के पहले आने वाले दिनों में होने वाली घटनाओं को पहले देख और समझ लिया जाय।
जिनीवा समझौते ने 4 दशमलव 2 अरब डाॅलर ईरानी राजस्व पर से फ्रीज को हटा दिया गया है। ये खाते अब फ्रीज किए गए थे। इसके कारण ईरानी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही थी। ईरान द्वारा किए जाने वाले कुछ व्यापार पर लगी रोक को भी इस समझौते के तहत हटा लिया गया है। जिन आइटमों के व्यापार पर रोक हटा ली गई है, उनके व्यापार पर भारत को अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा।
लोकसभा का आगामी चुनाव मई 2014 में होना है। उस चुनाव के बाद मनमोहन सिंह की सरकार रहेगी या नहीं, इस पर अनिश्चितता बनी हुई है। ईरान भी नहीं चाहेगा कि भारत के इस अनिश्चय भरे माहौल में वह इसके साथ किसी महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल हो। यही कारण है कि ईरान पाकिस्तान भारत पाइपलाइन पर आगे का निर्णय अगली सरकार के गठन के बाद ही हो पाएगा। (संवाद)
भारत को ईरान में नये अवसर
परमाणु व्यापार की संभावना भारत को तलाशनी चाहिए
नित्य चक्रबर्ती - 2013-12-03 11:08
पिछले महीने जिनीवा में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ। वह समझौता ईरान के परमाणु कार्यक्रमों से संबंधित था। उस समझौते ने भारत को ईरान के साथ अपने आर्थिक संबंधों को नया आयाम प्रदान करने का एक सुनहरा मौका दिया है। भारत को ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए इस माके का लाभ उठाना चाहिए। सबसे पहले तो उसे इस बात की समीक्षा करनी चाहिए कि व्यपार के किन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावना है और कौन से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत अपने संबंध बेहतर कर सकता है।