मुख्यमंत्री कन्यादान योजना एवं लाडली लक्ष्मी योजना ने महिला समुदाय में उनकी गहरी पैठ बना दी है। यही वजह है कि एक आकलन में माना जा रहा है कि प्रदेश की महिलाओं ने इस बार भाजपा को बड़ी संख्या में वोट दिए हैं। मुख्यमंत्री का कोई भी भाषण इन दो योजनाओं के जिक्र किए बिना कभी पूरा नहीं होता है। कांग्रेस के लिए शिवराज की इस छवि को तोड़ना संभव नहीं हो पाया।
भाजपा को लेकर अक्सर यह बहस होती है कि वह हिंदुत्व की राह पर बढ़ेगी या फिर विकास की राह पर। मध्यप्रदेश में भाजपा गुजरात की तरह हिंदुत्व पर जोर देते हुए आगे बढ़ने के बजाय विकास के माॅडल को आगे रखकर आगे रहती है, पर प्रदेश सरकार हिंदुत्व के एजेंडे पर भी चल रही है और इसे चुनौती देना कांग्रेस एवं अन्य दलों के लिए संभव नहीं हो पाता क्योंकि यहां मुख्यमंत्री ईद एवं क्रिसमस को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित भी करते हैं और ‘टोपी’ भी पहनते हैं। अल्पसंख्यक समुदायों को भी योजनाओं में शामिल करते हैं, यहां हिंदुत्व के समर्थक उनसे खुश हैं क्योंकि वे हिन्दुत्व के एजेंडे को रोकते नहीं हैं। विभिन्न योजनाओं के नामकरण - कन्यादान योजना (काफी विरोध के बाद अब इसे निकाह योजना का नाम भी दे दिया गया), लाडली लक्ष्मी योजना, अन्नप्रासन्न योजना, जलाभिषेक योजना आदि की बात हो या फिर सूर्य नमस्कार और आर.एस.एस. की शाखाओं में कर्मचारियों के शामिल होने की बात, मध्यप्रदेश कहीं भी पीछे नहीं है। स्कूली पाठ्यक्रम में गीता के पाठ को शामिल किया गया था, पर विरोध होने पर उसे अभी हटा लिया गया है। यानी यहां हिंदुत्व को आगे बढ़ाने के बावजूद श्री चैहान को विपक्ष निशाने पर नहीं ले पा रहा है।
प्रदेश में भ्रष्टाचार, अपराध, खनन माफिया, वन माफिया, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, कुपोषण आदि के दाग सरकार पर हैं। कई मंत्रियों की करगुजारियों ने भी भाजपा को कमजोर किया। विदिशा से तो वित मंत्री राघवजी प्रकारण के बाद भाजपा किसी को उम्मीदवार भी नहीं बना सकी एवं वहां से शिवराज सिंह चैहान ही भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए। इन परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल कभी एकजुटता के साथ भाजपा के खिलाफ खड़ा नजर नहीं आया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आपसी एकजुटता के साथ पार्टी के साथ खड़ा होने के बजाय अपने-अपने परिवार एवं गुटों के लिए परेशान दिखाई दे रहे थे। ऐसे में न तो वे सरकार की नाकामियों को स्पष्ट तरीके से जनता के बीच में ले जा पाए और न ही पार्टी की बेहतर छवि का संदेश मतदाताओं तक पहुंचा पाए। केंद्र सरकार के घोटाले एवं महंगाई ने भी कांग्रेस को कमजोर स्थिति में रखा। प्रदेश ने कई योजनाओं एवं पहल पर कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से पुरस्कार एवं सराहना हासिल की। ऐसे में भाजपा को विपक्ष पर हावी होने में मुश्किल नहीं आई। और आखिरकार श्री चैहान एवं उनकी टीम ने वह कर दिखाया, जिसका भरोसा उनसे भाजपा का शीर्ष नेतृतव कर रहा था।(संवाद)
कमजोर विपक्ष पर हावी शिवराज
हिन्दुत्व के एजेंडे ने भी रंग दिखाया
राजु कुमार - 2013-12-11 19:18
मध्यप्रदेश में तीसरी बार भाजपा की वापसी के पीछे कई कारणों में से एक बड़ा महत्वूपर्ण कारण कमजोर विपक्ष है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपनी ही कमजोरियों से जूझती रही, जबकि कई गंभीर मुद्दों पर घिरी भाजपा सरकार कभी भी परेशान नजर नहीं आई। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध का आंकड़ा बहुत ही ज्यादा है। बलात्कार के मामले देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में है। बाल अपराध भी ज्यादा है। पर इसके बावजूद व्यक्तिगत तौर पर शिवराज महिलाओं के लिए भैया एवं बालिकाओं के लिए मामा की छवि बना चुके हैं।