करुणानिधि से साफ कर दिया है कि कांग्रेस के साथ उनका गठबंधन अब समाप्त हो गया है और वे आगामी लोकसभा चुनाव में उसके साथ कोई तालमेल या गठबंधन नहीं करने जा रहे। उघर मुख्यमंत्री जयललिता की पार्टी ने भी साफ कर दिया है कि उसकी नजर सभी 40 सीटों पर है और वह उन सीटों पर अकेली चुनाव लड़कर ज्यादा से ज्यादा सफलता हासिल करना चाहेगी। तमिलनाडु के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव पास कर उनकी पार्टी ने जाहिर कर दिया है कि तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव के दौरान जयललिता को पीएम बनाने के लिए मतदाताओं से वोट मांगेगी और कहेगी कि यदि उनकी सभी 40 सीटों पर जीत हो जाय, तो फिर एक तमिल पहली बार देश का प्रधानमंत्री बनेगा।

जब करुणानिधि से पूछा गया कि क्या वे भी प्रधानमंत्री की दावेदारी करते हुए अगला चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी सीमा को जानते हैं और वैसी कोई उम्मीद नहीं पालते जो संभव नहीं होने वाली है। दरअसल जयललिता को लग रहा है कि आागामी चुनाव के बाद न तो कांग्रेस और न ही भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने की स्थिति मे होगी और तब वैसी हालत में क्षेत्रीय पार्टियों का गठजोड़ कांगेस और भाजपा में से किसी एक के समर्थन से सरकार बना सकता है। वैसी हालत में उस क्षेत्रीय पार्टी के नेता के पीएम बनने की संभावना ज्यादा होगी, जिसके पास सबसे ज्यादा लोकसभा सांसद होगे। जयललिता को लगता है कि यदि उनकी पार्टी की सभी 40 सीटों पर जीत हो जाती है, तो क्षेत्रीय दलों मंे लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है और तब वे प्रधानमंत्री भी बन सकती हैं। नरेन्द्र मोेदी से बेहतर राजनैतिक संबंध बनाने के पीछे उनका उद्देश्य भी यही रहा है।

तमिलनाडु में आम तौर पर दो तरफा मुकाबला होता रहा है, पर इस बार बहुकोणीय मुकाबले का दृश्य बन रहा है। डीएमके और एआइएडीमके के बाद कैप्टन विजयकांत की डीएमडीके तीसरी मजबूत क्षेत्रीय पार्टी है। पिछले विधानसभा चुनाव मे इसका जयललिता की पार्टी के साथ गठबंधन था इसे विधानसभा में 29 सीटें मिली थीं, जो डीएमके की 23 सीटों से भी ज्यादा है। इसके कारण विधानसभा में यह मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में है। कांग्रेस इसके साथ गठबंधन की कोशिश कर रही है, लेकिन उसकी समस्या यह है कि राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस ने डीएमके के नेता करुणानिधि की बेटी कनिमाझी का समर्थन किया था और उसके कारण विजयकांत के डीएमडीके का उम्मीदवार हार गया था। जाहिर है, विजयकांत को अपने साथ लाने के लिए कांग्रेस को काफी मेहनत करनी होगी।

भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु में लगभग अनुपस्थित है। अब तक इसका कोई विधायक चुन कर तमिलनाडु विधानसभा में नहीं आया है। भाजपा को उम्मीद थी कि जयललिता के साथ इसका गठबंधन हो सकता है, क्योंकि मोदी और जयललिता एक दूसरे की प्रशंसा करते रहे हैं। पर जयललिता ने अपनी महत्वाकांक्षा के कारण भाजपा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। भारतीय जनता पार्टी वायको और रामदौस की क्षेत्रीय पार्टियों के साथ तालमेल बैठाने में लगी हुई है।(संवाद)