भारत और जापान ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग करने को काफी उत्सुक हैं। भारत चाहता था कि दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा संधि जल्द से जल्द हो। यह मसला दोनों देशों की प्राथमिकता सूची में ऊपर भी था, लेकिन मार्च, 2011 में जापान के फुकुशीमा में हुए परमाणु हादसे ने इस पर पानी फेर दिया था। उसके कारण दोनों देशों के बीच परमाणु संधि का मामला अटका रह गया। अब जापान की नई सरकार उस मसले को आगे बढ़ा रही है। जापान के सम्राट की पिछली भारत यात्रा के दौरान इस बात के संकेत मिले थे कि संधि की राह में आ रही दो तीन अड़चनों को दूर कर लिया जाएगा। इस समय भारत के अधिकारी जापान के अधिकारियों और वहां के प्रधानमंत्री कार्यालय के संपर्क में हैं और उन्हें भी उम्मीद हैं कि संधि के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर कर लिया जाएगा और जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग की संधि हो जाएगी।
जापान का भारत में निवेश लगातार हो रहा है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का स्रोत बने यह भारत के लिए चैथा देश है। सबसे ज्यादा विदेशी निवेश मारिशश के रास्ते से हो रहा है। दूसरे स्थान पर सिंगापुर है और तीसरे स्थान पर ब्रिटेन है। भारत मे काम कर रही जापान की कंपनियां यहां एक लाख 52 हजार लोगों को रोजगार देती है। जापान भारत से आयात भी ज्यादा कर रहा है। दोनों देशों ने अपने विदेशी व्यापार को 2014 में दुगना कर 25 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारत का जापान को निर्यात 2010-11 में 5 अरब डाॅलर का था, जो उसके पहले वाले साल में सिर्फ 3 अरब डाॅलर ही था।
आने वाले साल में भारत और जापान का आपसी व्यापार दुगना हो जाने की उम्मीद है। 2012 में 19 अरब डाॅलर का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ था, जिसे इस साल 25 अरब डाॅलर पहुंचाने का लक्ष्य है। इसकी उम्मीद इसलिए पाली जा रही है, क्योंकि दोनों देशों के बीच एम मुक्त व्यापार संधि हुई है, जिसके कारण दोनों देशों के बीच आयात निर्यात हुए अधिकांश आइटमों पर सीमा शुल्क को समाप्त करती है।
दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने के मुख्य कारण दोनों देशों की भौगोलिक स्थिति और औद्योगिक अनुभव हैं। भारत में करीब 1000 जापानी कंपनियां काम रही हैं। 7 साल पहले इसकी संख्या मात्र 600 ही थी। जापान की जनसंख्या में बुजुर्गो का अनुपात ज्यादा हो गया है, जबकि भारत में युवा लोगों की भरमार है। यही कारण है कि जापान की कंपनियां भारत को व्यापार और निवेश के लिए बेहतर जगह मान रही है। वहां के छोटे और मझौले उद्योगों को भारत में खास दिलचस्पी हो गई है। जापान के पास टेक्नालॉजी है और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के बारे में भी काफी जानकारी है। भारत में इन दोनों की कमी है। पर भारत के पास प्राकृतिक संपदा बहुत है और यहां की भौगोलिक स्थिति भी जापान के निवेश के अनुकूल है। भारत यूरोप और पश्चिम एशिया से नजदीक है, जिसके कारण जापानी कंपनियों को इनके बाजारों में अपना माल भेजने में समय और पैसे की बचत होती है। (संवाद)
जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
परमाणु ऊर्जा पर समझौता हो सकता है
नित्य चक्रबर्ती - 2014-01-04 10:57
इसी महीने जनवरी में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे की भारत यात्रा हो रही है। भारत इस यात्रा को खास महत्व दे रहा है। इसका खास महत्व भी है। सबसे पहली बात तो यह है कि परमाणु ऊर्जा सहयोग पर दोनों देशों के बीच सहमति की उम्मीद है। दूसरी बात यह है कि इस दौरे के कारण भारत में जापानी निवेश को जबर्दस्त बढ़ावा मिलेगा। खासकर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर काफी लाभान्वित होंगे और उनमें भी सड़क और रेल परिवहन को खास फायदा होगा। दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है और भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि भारत और जापान की जनवरी, 2014 की घोषणा ऐतिहासिक होगी।