ऐसा करने का निर्णय कांग्रेस आलाकमान के कहने पर लिया गया। कांग्रेस आलाकमान को यही लगता है कि रमेश के मंत्रिमंडल में शामिल होने से केरल में कांग्रेस की स्थिति बेहतर हो जाएगी। उसे लगता है कि इससे केरल में कांग्रेस की ओर से सांप्रदायिक संतुलन कायम माना जाएगा। और आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को समाज के सभी तबकों के वोट मिल पाएंगे, जिसके कारण उनकी जीत के आसार बढ़ जाएंगे।
लेकिन प्रदेश की राजनैतिक जमीनी हकीकत कुछ और कहानी कहती है। इसका तात्कालिक प्रभाव केरल में कांग्रेस की गुटबाजी तेज होने के रूप में दिखाई दे रहा है और यह गुटबाजी केरल कांग्रेस का अभिशाप है।
रमेश चेनिंथाला को गुहमंत्रालय दिया गया है। यह मंत्रालय मुख्यमंत्री के एक खास समर्थक के पास था। गुहमंत्री बनते के साथ रमेश ने जो एक बड़ा निर्णय लिया है, उससे पता चलता है कि कांग्रेस की गुटबाजी किस दिशा में जा रही है। उन्होंने शपथ लेने के बाद जो सबसे बड़ा निर्णय लिया, वह था टीपी सेनकुमार को प्रदेश के खुफिया विभाग के प्रमुख के पद से हटाकर जेल का महानिदेशक बना देता।
यह सबको पता है कि श्री सेनकुमार मुख्यमंत्री ओमन चांडी के खासम खास हैं। श्री रमेश चेेनिंथाला यह नहीं चाहते थे कि खुफिया विभाग के प्रमुख पद पर मुख्यमंत्री का आदमी रहे। यही कारण है कि उन्हें गृहमंत्री बनते ही रमेश ने उस पद से हटाकर जेल का महानिदेशक बना दिया।
यह कदम मुख्यमंत्री चांडी के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। चांडी केरल के सबसे बड़े कांग्रेस गुट का नेता हैं। उनकी मर्जी से ही सब कुछ तय होता था, लेकिन रमेश के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद परिस्थिति बदली बदली सी नजर आ रही है। अब वह चांडी के सामने सरकार मे एक समानांतर ताकत के रूप में उभरते दिखाई दे रहे हैं। वे कितनी बड़ी शक्ति हैं, इसका अहसास उन्होंने खुफिया विभाग के प्रमुख को उनके पद से हटा कर दिखा दिया है।
यदि रमेश को सरकार में शामिल करवाकर कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में पार्टी की स्थिति बेहतर करना चाहता है, तो मानना पड़ेगा कि यह देरी से उठाया गया कदम है। लोकसभा चुनाव के सिर पर आते ही इस तरह का निर्णय लिया गया है, लेकिन इसके कारण गुटबाजी भी तेज हो गई है। गुटबाजी से पार्टी को नुकसान होता रहा है।
यह फार्मूला कांग्रेस आलाकमान द्वारा ओमन चांडी और रमेश चेनिंथाला को कुछ महीने पहले ही बता दिया गया था। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इसे लागू करने में इतना विलंब कर दिया गया। यह सच है कि श्री चांडी ऐसा करने से झिझक रहे थे। पर सवाल उठता है कि आलाकमान इसे लागू करवाने पर इतने दिनों से जोर क्यों नहीं दे रहा था? यदि इस कदम को और पहले उठाया जाता, तो शायद इससे कांग्रेस की स्थिति बेहतर होती।
अब सबकी नजर इस पर लगी है कि प्रदेश का अगला पार्टी अध्यक्ष कौन होता है। कुछ लोगांे के नाम पर चर्चा हो रही है। उनमें विधानसभा के अध्यक्ष जी कार्तिकेयन का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। पर अभी भी उनके नाम पर सब लोग एक मत नहीं हुए हैं। उनके अलावा वी एम सुधीरन, केन्द्रीय मंत्री एम रामचंद्रन और वीडी सतीशन का नाम भी चल रहा है। कांग्रेस नेताओं के बीच सुधीरन का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।
सुधीरन की राय केन्द्र सरकार ने केरल में पार्टी की स्थिति बेहतर करने के लिए ली थी। पार्टी की छवि कैसे बेहतर की जाय, इसको लेकर पार्टी आलाकमान लगातार सुधीरन के संपर्क में रहता है। लेकिन सुधीरन को न तो रमेश चेनिंथाला का और न ही ओमन चांडी का समर्थन इस पद के लिए मिलने वाला है। इसका कारण यह है कि श्री सुधीरन लगातार सरकार की आलोचना करते रहते हैं। (संवाद)
ओमन चांडी के पर कतर दिए गए
कैबिनेट में रमेश चेनिंथाला
पी श्रीकुमारन - 2014-01-07 10:53
तिरुअनंतपुरमः क्या केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला को नाटकीय ढंग से मंत्रिमंडल में शामिल कर दिए जाने से आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के आसार बेहतर हो जाएंगे?