राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इन दोनों चुनौतियों का सामना कर पाएगी, इसे लेकर अधिकांश लोगों को संदेह है। यही कारण है कि अनेक राजनैतिक विश्लेषकों को लगता है कि कांग्रेस इन दोनों चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रियंका गांधी को राजनीति में सक्रिय कर सकती है। वह कांग्रेस अभियान के प्रमुख मोर्चे पर खड़ी दिखाई दे सकती है, क्योंकि कांग्रेसियों के बीच उनकी अपनी बेहतर है।
पर सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी के प्रचार से कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को बल मिल सकता है? क्या इससे कांग्रेस बेहतर कर पाएगी? इसमें कोई दो मत नहीं है कि प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी की जनता का दिल जीत लिया है, हालांकि वहां के चुनाव परिणाम हमेशा कांग्रेस के पक्ष में ही नहीं हुए हैं। खासकर पिछले विधानसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली में प्रियंका के प्रचार के बावजूद कांग्रेस वहां पिट गई थी।
कहा जाता है कि प्रियंका में एक करिश्मा है और लोगों को उनमें उनकी दादी इन्दिरा गांधी की छवि दिखाई देती है। वह एक बेहतर वक्ता भी हैं। वह अपनी मां की तरह लिखा हुए भाषण नहीं पढ़तीं, बल्कि वह एक आशु वक्ता हैं। इसके कारण वह अपने आपको जनता से जोड़ने में सफल हो जाती हैं।
चर्चा तो यहां तक है कि प्रियंका गांधी सोनिया की जगह रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। सोनिया गांधी अस्वस्थ रहती हैं और इसके कारण अब राजनीति की थकाऊ गतिविधियों से अपने आपको दूर रखने की कोशिश ही करेंगी। कांग्रेसजनों को लगता है कि प्रियंका गांधी सोनिया गांधी की जगह ले सकती हैं। उन्हें लगता है कि राहुल और प्रियंका की जोड़ी कांग्रेस को सफलता दिलवा सकती है।
प्रियंका के बच्चे अब बड़े हो गए हैं और अब वह राजनीति में ज्यादा समय लगा सकती हैं, हालांकि राॅबर्ट वाड्रा उनके लिए समस्या साबित हो सकते हैं। उनके ऊपर अपने रिश्ते का इस्तेमाल करके अरबों रुपये की संपत्ति खड़ी करने का आरोप लगता रहा है और वे उन आरोपों को गलत साबित भी नहीं कर पाए हैं। उनके कारण कांग्रेस की पहले भी किरकिरी हो चुकी है। यदि प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय होती हैं, तो राॅबर्ट वाड्रा द्वारा जमा की गई अकूत संपत्ति का मामला राजनैतिक पार्टियां उठा सकती हैं।
प्रियंका गांधी को कांग्रेस के अंदर किसी प्रकार का कोई पद नहीं मिला है, लेकिन सोनिया परिवार की सदस्य होने के कारण कांग्रेस के अंदर उनका विशेष स्थान रहा है। पिछले दिनों राहुल गांधी के निवास पर कांग्रेस नेताओं के साथ उनकी क्या बातचीत हुई, इसके बारे में तो कुछ पता नहीं, लेकिन कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने जो कहा, उससे स्पष्ट है कि प्रियंका आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनति में अपनी भूमिका बड़ा करने वाली हैं। श्री द्विवेदी ने कहा कि प्रियंका कांग्रेस की सदस्य हैं और समय समय पर वह पार्टी के नेताओं से पार्टी के मामलों पर बात करती रहती हैं और अपनी राय भी देती रहती हैं।
प्रियंका गांधी द्वारा अपनी मां की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच ही इलाहाबाद कांग्रेस कमिटी ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रियंका गांधी से आग्रह किया कि वह अपने पड़ नाना जवाहरलाल नेहरू की पुरानी सीट फूलपुर से चुनाव लड़ें। यूपी कांग्रेस कमिटी के सदस्य अभय अवस्थी ने कहा था कि यह सबकी राय थी कि प्रियंका फूलपुर से चुनाव लड़ें।
अब यह तो निश्चित हो गया है कि प्रियंका कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए देश भर में चुनाव प्रचार करेंगी और अपनी भूमिका सिर्फ अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित नहीं रखेगी। (संवाद)
कांग्रेसजनों को प्रियंका का नेतृत्व चाहिए
लोकसभा में उनकी सक्रिय भागीदारी हो सकती है
हरिहर स्वरूप - 2014-01-13 11:12
राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में शामिल हो सकती हैं और आगामी लोकसभा का चुनाव भी लड़ सकती हैं। आम आदमी पार्टी की राजनीति में आने के बाद देश का माहौल बदल गया है और इस बदले माहौल में प्रियंका गांधी के राजनीति में सक्रिय होने के आसार बढ़ गए हैं। नरेन्द्र मोदी का राजनैतिक सितारा पहले से ही बुलंदियों को छू रहा था और उसके कारण कांग्रेस के सामने एक जबर्दस्त चुनौती आ खड़ी हुई थी। केजरीवाल ने कांग्रेस की चुनौती और भी बड़ी बना दी है। लेकिन दुर्भाग्य से राहुल गांधी इन चुनौतियों के सामने बौना दिखाई दे रहे हैं।