यह दबाव कोई छोटा दबाव नहीं है। केजरीवाल सरकार अपने अस्तित्व के लिए कांग्रेस के समर्थन पर टिकी है। यह सच है कि कांग्रेस के समर्थन वापसी की घोषणा के बावजूद वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए जून महीने तक बाध्य नहीं है, क्योकि एक बार विधानसभा का विश्वास हासिल करने के बाद 6 महीने तक विश्वास पाने की जरूरत नहीं रहती।

इसके बावजूद कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लिए जाने से केजरीवाल की सरकार गिर जाएगी। इसका कारण यह है कि किसी भी वित्त विधेयक के विधानसभा में गिरने का मतलब होता है सरकार का गिर जाना। आगामी बजट सत्र में केजरीवाल सरकार को बजट पास करवाने हैं। इस दौरान अनेक मौकों पर वित्त विधेयकों को पारित करवाना होगा। कांगेस के समर्थन के बिना कोई भी वित्त विधेयक अथवा आम बजट पास नहीं हो सकता। इस तरह सरकार कांग्रेस के समर्थन के अभाव में गिर जाएगी।

कांग्रेस सोमनाथ भारती के मसले को तूल देकर समर्थन वापसी की घोषणा भी कर सकती है। कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार को समर्थन सरकार चलाने के लिए नहीं दिया था, बल्कि उसके पीछे उसकी मंशा यह साबित करने की थी कि आम आदमी पार्टी के चुनाव पूर्व दावे खोखले थे, जिसे उसकी सरकार पूरा नहीं कर सकती। कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार को समर्थन ही इसीलिए दिया था ताकि उसे बदनाम करके गिरा दिया जाय।

सोमनाथ भारती के मसले पर केजरीवाल सरकार बदनाम हो रही है। आरोप है कि श्री भारती ने आधी रात के बाद कानून अपने हाथ में लेकर न केवल पुलिस वालों से बकझक की, बल्कि महिलाओं को दिए गए कानूनी अधिकारों का भी उल्लंघन किया और पुलिस से करवाया।

उन पर महिलाओं के साथ मारपीट करने के अलावा नस्लीय भेदभाव करने का भी आरोप लग रहा है। वे अफ्रीका महादेश की दिल्ली के अपने पड़ोस में रह रही कुछ महिलाओं पर नशीली दवा की तस्करी और सेक्स रैकट चलाने का आरोप लगा रहे थे और पुलिस को उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कह रहे थे। पर वह समय कानूनी रूप से उचित नहीं था। वह रात का समय था। कहते हैं कि मंत्री के दबाव में पुलिस ने न चाहते हुए भी उन महिलाओं का मेडिकल चेक अप करवाया और मेडिकल टेस्ट में पाया गया कि उन्होंने नशीली दवाओं का सेवन नहीं किया था। उनके पास से किसी प्रकार की नशीली दवाएं भी नहीं मिली। अब वे महिलाएं सोमनाथ भारती पर मारपीट का आरोप लगा रही हैं और नस्लीय भेदभाव का भी आरोप लगा रही हैं।

जब पुलिस के साथ सोमनाथ भारती का विवाद सामने आया था, उसी समय पुलिस ने कहा था कि कानून मंत्री खुद कानून तोड़ रहे थे और पुलिस को भी कानून तोड़कर उन अश्वेत महिलाओं के खिलाफ कारर्वाई करने के लिए कह रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने पुलिस के आरोपों को खारिज करके अपने मंत्री का बचाव किया था। उनके द्वारा किया गया वह बचाव अब उनपर भारी पड़ रहा है।

सच तो यह है कि यदि अब सोमनाथ भारती को मंत्रिमंडल से हटाया जाता है, तो इससे केजरीवाल की किरकिरी होगी और कहा जाएगा कि उन्होंने बेवजह दो दिनों तक रेल भवन के सामने सड़क पर आंदोलन किए। और यदि वे सोमनाथ भारती का इस्तीफा नहीं करवाते हैं, तो डर है कि इसी को आधार बनाकर कांगेस उनकी सरकार को दिया गया अपना समर्थन वापस ले सकती है। (संवाद)