इस फैसले में सीपीएम के तीन नेताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उन्हें हत्या की साजिश में शामिल बताया गया है। सीपीएम राज्य की चांडी सरकार के खिलाफ सोलर पैनल घोटाले पर आंदोलन चला रही थी। इस आंदोलन के कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार सांसत में थी। इसके कारण जमीनी स्तर पर सीपीएम और उसके नेतृत्व वाले मोर्चे को फायदा होता दिखाई पड़ रहा था। लेकिन चन्द्रशेखरन हत्या कांड के फैसले ने सबकुछ उलट पुलट कर रख दिया है। अब सीपीएम को रक्षात्मक मुद्रा अपनानी होगी और उसे इस हत्याकांड के बारे में लोगों को सफाई देनी होगी।

यह अदालती फैसला बहुत ही गलत समय में आया है। कुछ ही महीने में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव बहुत ही निर्णायक चुनाव है। सीपीएम एक राष्ट्रीय पार्टी है। उसकी यह मान्यता बनी रहे, इसके लिए केरल चुनाव में उसका बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी है।

इस समय तो सीपीएम यह सफाई दे रही है कि उसके नेता पी मोहनन को अदालत ने हत्या की साजिश रचने के आरोप से बरी कर दिया है। इसलिए वह इस बात का प्रचार कर रही है कि उसके शीर्ष नेतृत्व की इस साजिश में सलिप्तता के आरोप को अदालत ने गलत बता दिया है। लेकिन ऐसा कहकर सीपीएम के नेता आंशिक रूप से ही सच बोल रहे हैं। पूरा सच यह है कि इसे तीन महत्वपूर्ण सदस्य इस हत्या की साजिश रचने के मामले में दोषी पाए गए हैं। उनमें से एक कोझिकोडे और दो कन्नूर जिले के हैं। उन तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

फैसले में सीपीएम पर सीधे अंगुली उठाई गई है। कहा गया है कि हत्या में शामिल 7 लोगों का गैंग उनके हाथ का खिलौना भर था, जो राजनैतिक कारणों से चन्द्रशेखरन की हत्या कराना चाहते थे। हत्या के पीछे की मंशा राजनैतिक थी। इसलिए यह कहना गलत है कि अदालती फैसले से पार्टी पर लगे राजनैतिक साजिश का आरोप गलत साबित हो गया है। सीपीएम नेता इसी तरह का तर्क पेश करते आ रहे हैं।

दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) के विश्वास का स्तर बहुत बढ़ गया है। अभी तक यूडीएफ को लग रहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसका सफाया तक हो सकता है, लेकिन अब उसके नेता राहत की सांस लेने लगे हैं। अब उन्हें लगने लगा है कि उनका मोर्चा संघर्ष करने की स्थिति में आ गया है। एक समाचार चैनल द्वारा आयोजित किए गए एक सर्वे के नतीजे से भी यूडीएफ नेताओ का मनोबल बढ़ा है। उस सर्वे में कहा गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में यूडीएफ को केरल की 20 लोकसभा सीटों मे से 12 से 18 तक मिल सकती हैं।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला का सरकार में प्रवेश से भी कांग्रेस के हौसले पर अच्छा असर पड़ा है। यह सच है कि इससे गुटबाजी नहीं समाप्त हुई है, लेकिन गुटों की लड़ाई की तीव्रता जरूर कम हुई है। सभी गुट इस बात को गंभीरता से महसूस कर रहे हैं कि चुनावों मे बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी है। चेनिंथाला के मंत्री बनने से नायर सर्विस सोसाइटी का कांग्रेस के खिलाफ उमड़ रहा गुस्सा भी शांत हुआ है।

जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है, तो उसने केरल के शिक्षित समुदाय पर अच्छा असर डाला है। लेकिन इसके बावजूद आम आदमी पार्टी को सफलता मिली नहीं दिखाई पड़ रही है। एक समाचार चैनल के सर्वे के अनुसार आम आदमी पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में केरल में 5 फीसदी मत मिलेंगे। यह जरूर कहा जा सकता है कि बाद के चुनावों मे आम आदमी पार्टी की स्थिति और भी अच्छी होती चली जाएगी। इसका कारण यह है कि समाज के सभी वर्ग इस नई पार्टी से आकर्षित हो रहे हैं। (संवाद)