कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का साम्राज्य नीचे से ऊपर तक कायम है। इसके कारण कांग्रेस की चुनावी तैयारियों में पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं के बीच तालमेल नहीं हो पा रहा है। सभी स्तरों पर गुटबाजी हो रही है। उच्च स्तर पर ही नहीं, पार्टी के सबसे नीचे कार्यकत्र्ता के स्तर पर भी भारी गुटबाजी हो रही है।
कांग्रेस के उच्च स्तरीय नेताओं में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे और विधानसभा के पूर्व विपक्षी नेता अजय सिंह के साथ सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की गणना की जा सकती है।
पार्टी के अंदर गुटबाजी कितनी तीखी है, इसका पता वरिष्ठ कांग्रेस सांसद सज्जन वर्मा द्वारा दिग्विजय सिंह की की गई आलोचना से लगता है। श्री वर्मा ने यह आलोचना खुले आम की हैं। उन्होंने राज्य सभा के मार्फत संसद में प्रवेश की दिग्विजय सिंह के निर्णय की आलोचना की। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह में इतनी क्षमता है कि वह विदिशा से भाजपा नेता सुषमा स्वराज को आगामी लोकसभा चुनाव में पराजित कर दें। उसके बावजूद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की बजाय राज्य सभा के रास्ते संसद में जाना पसंद किया।
गौरतलब है कि 2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा था कि वे 10 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। पिछले साल उनका दस साल पूरा हो गया। उसके पूरा होने के बाद वे इस साल राज्य सभा में चले गए। उनकी पार्टी के कुछ नेता चाहते थे कि वे लोकसभा का चुनाव लड़ें। पर उन्होंने राज्य सभा से संसद में जाने के आसान रास्ते का ही चुनाव किया। उनकी खुली आलोचना करने वाले सज्जन वर्मा खुद इस समय लोकसभा के सदस्य हैं और वे कमलनाथ गुट से जुड़े हुए हैं।
पिछले लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को मध्यप्रदेश से 12 सीटें हासिल हुई थीं। वहां कुल 29 लोकसभा सीटें हैं। उन 12 सांसदों मंे से एक उदय प्रताप सिंह ने पिछले साल दिसंबर विधानसभा चुनाव के कुछ पहले ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर डाली। उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मध्यप्रदेेश में कांग्रेस को तीन या चार लोकसभा की सीटें ही हासिल हो सकेंगी।
29 सीटों में 4 सीटें अनुसूचित जातियों और 7 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। पहले उन सब पर कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से उनमें से कुछ पर कांग्रेस का तो कुछ पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हुआ करता है। इस बार तो भारतीय जनता पार्टी उन सभी सीटों पर कब्जा करने का दावा कर रही है। (संवाद)
मध्य प्रदेश कांग्रेस में भारी गुटबाजी
भारतीय जनता पार्टी जीत सकती है 25 से ज्यादा सीटें
एल एस हरदेनिया - 2014-02-11 12:59
भोपालः लोकसभा चुनाव सिर पर है और कांग्रेस के अंदर गुटबाजी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। उधर भारतीय जनता पार्टी की चुनावी तैयारी जोरों पर है। विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश मे कम से कम 25 सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रही है। कांग्रेस की बढ़ती गुटबाजी और भारतीय जनता पार्टी की जोरदार तैयारियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब हो सकती है।