असम से इसके लोकसभा में 4 सांसद हैं। गौहाटी, मोगोलदोई, नवगांव और सिलचर से इसके उम्मीदवारों की जीत हुई थी। इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए इन चार में से दो सीटों पर भी अपनी जीत बरकरार रखना कठिन होगा। इसका कारण यह है कि कांग्रेस आल इंडिया डेमोक्रेटिक यूनाइटेड फ्रंट के साथ तालमेल करने वाली है। इस समय इस फ्रंट के पास 1 लोकसभा सदस्य है। यदि दोनों के बीच मुस्लिम मतों का बंटवारा नहीं हुआ और दोनों ने मिलकर चुनाव लड़े, तो प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें कांग्रेस और और फ्रंट के पास जा सकती हैं। कांग्रेस की जीत 9 सीटों पर हो सकती है और फं्रट 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है। शेष दो सीटों में एक असम गण परिषद और दूसरी भाजपा के पास जा सकती है।
लेकिन एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, तो कभी कांग्रेस में हुआ करते थे, भारतीय जनता पार्टी के पास खुराफात करने की इतनी ताकत है कि वह चाहे तो असम और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की आशाओं पर पानी फेर सकती है। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी भले ही सीटें न जीत सके, पर वह आॅल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के कुछ वर्तमान कांग्रेस सांसदों की जीत को मुश्किल बना सकती है। जहां भाजपा तृणमूल सांसदों को परेशानी में डाल सकती है, वे सीटें हैं, उत्तरी कलकत्ता, बीरभूम, कृष्नगर और बसीरहाट। लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि उसमे फायदा किस पार्टी को है। सीपीएम को भी फायदा हो सकता है और कांग्रेस को भी।
आॅल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने पिछले राज्य सभा चुनाव में जो अपना पांचवां उम्मीदवार खड़ा किया था, उसके कारण इसे लोकसभा में नुकसान हो सकता है। वह पांचवां उम्मीदवार था अहमद हसन इमरान। उनको सांसद बनाने के लिए पैसे की लेनदेन की बातें भी की जा रही थीं। वह दल बदल का भी एक उदाहरण था।
खुफिया विभाग के एक मध्यवत्र्ती अधिकारी ने इस लेखक को बताया कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लाम की भूमिका भी इमरान की जीत में रही है। राज्य सभा के लिए होने वाले मतदान के कुछ दिन पहले ममता बनर्जी एकाएक इकोपार्क मंे दाखिल हुई थीं। वे राजरहाट में प्रेसिडंेसी विश्वविद्यालय के दूसरे कैंपस और बारासात में एक यात्रा उत्सव का उद्धाटन कर अपने घर वापस जा रही थीं। इकोपार्क में उनके प्रवेश के बारे में वहां की सुरक्षा नेटवर्क को कोई जानकारी नहीं थी। उसमे वह अपनी पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद और कुछ अज्ञात लोगों के साथ उस पार्क मंे दाखिल हुई थीं। खुफिया विभाग के उस अधिकारी का कहना है कि वे लोग सभी बांग्लादेश से आए थे। उस समय पार्क में ममता के सुरक्षा कर्मियों को भी उनके साथ जाने दिया गया। कहा जाता है कि उसी समय रूपये की लेनदेन पर बातचीत हुई। उस बातचीत के समय इमरान भी वहां मौजूद थे। वहां उन लोगों की 50 मिनट तक बातचीत हुई थी।
राज्य सभा के नये सदस्य एक कट्टरपंथी मुसलमान समझे जाते हैं। कलोम नाम के एक दैनिक अखबार के वे संपादक हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अलीगढ़ में सीमी की स्थापना की थी। इसकी स्थापना 1977 में हुई थी और इमरान उसके बंगाल जोन के संस्थापक अध्यक्ष थे। संघ के हिदू जनजागृति समिति के वेबसाइट के अनुसार इमरान ने पूर्वी भारत में इस्लामिक विकास बैक की स्थापना में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। (संवाद)
पूर्वी भारत में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं
बंगाल और असम को अनुकल करना उसके लिए मुश्किल
शंकर रे - 2014-02-15 10:40
आगामी लोक सभा चुनाव में कोई चमत्कार ही पश्चिम बंगाल और असम में भारतीय जनता पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को सुनिश्चित कर सकता है। पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव में इसके एक उम्मीदवार की जीत हुई थी। दार्जिलिंग से जसवंत सिंह इसके उम्मीदवार थे और गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा ने उनका समर्थन किया था। उनकी जीत भाजपा के कारण नहीं, बल्कि गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा के समर्थन के कारण ही संभव हुआ था। इस बार मोर्चा उनका शायद ही समर्थन करे। इसलिए संभावना है कि भाजपा अपना एकमात्र सीट भी पश्चिम बंगाल से गंवा दे।