इसमें कोई शक नहीं कि मोदी के केरल दौरे ने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं मंे आशा का नया संचार किया है। भाजपा के कार्यकत्र्ता यहां के लोगों को यकीन दिनाने की कोशिश कर रहे हैं कि मोदी आए, उन्होंने देख और जीत लिया। यह एक बढ़ा चढ़ा कर किया जा रहा एक दावा है। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। सच तो यह है कि मोदी के रैली में लोगों की उपस्थिति भाजपा के स्थानीय नेताओं की उम्मीदों से बहुत कम थी। उनका दावा था कि तीन लाख से भी ज्यादा लोग मोदी की रैली में भाग लेने के लिए आएंगे, पर एक लाख लोग ही यहां आ पाए।

इस रैली की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें 18 से 25 साल के युवकों की उपस्थिति बहुत ज्यादा थी। भाजपा नेताओं के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात यही थी। इसके कारण प्रदेश के यूडीएफ और एलडीएफ के नेताआंे को जरूर चिंता हो रही होगी।

पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मोदी की रैली से इन युवाओं में जो नया जोश उभरा है उसे क्या भाजपा के प्रदेश नेता वोटों मंे तब्दील कर पाएंगे? पार्टी के एक तबके का कहना है कि मोदी की यात्रा के बाद जोश का जो संचार हो रहा है उससे पार्टी को बहुत फायदा मिलेगा। उनका यह भी मानना है कि पार्टी के स्थानीय नेता अपना मतभेद भूलकर लोकसभा चुनावों की तैयारी करेंगे और इस बार तो भाजपा का खाता प्रदेश में जरूर खुलेगा।

क्या इन नेताओं की आशावादिता सही दिशा में है? इस सवाल का जवाब नकारात्मक है, क्योंकि प्रदेश में भाजपा भारी गुटबंदी की शिकार है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी मुरलीधरन के खिलाफ असंतोष अनेक अवसरों में फूट पड़ा है। यह असंतोष तीव्र होता जा रहा है। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व असहज महसूस कर रहा है।

इसका एक ताजा उदाहरण है। इससे पता चलेगा कि मुरलीधरन के खिलाफ पार्टी के अंदर कितना असंतोष है। केरल प्रदेश भाजपा की महिला शाखा की अध्यक्षा शोभा सुरेन्द्रन ने अभी हाल ही में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को एक पत्र लिखा और उसमें वी मुरलीधन के काम करने के तरीकों की आलोचना की। उन्होंने प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की मांग भी कर दी है।

शोभा ने अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश के कुन्नूर जिले के अनेक भाजपा कार्यकत्र्ताओं द्वारा पार्टी को छोड़कर सीपीएम में शामिल होने के पीछे प्रदेश अध्यक्ष द्वारा उनकी चिंताओं के प्रति उदासीनता दिखाना ही जिम्मेदार था। यदि प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी चिंताओं की परवाह की होती और उनके समस्याओं के हल की कोशिश की होती, तो वे पार्टी छोड़कर सीपीएम में शामिल नहीं होते। गौरतलब है कि कुन्नूर जिले के 2000 से भी ज्यादा कार्यकत्र्ता कुछ दिन पहले ही भाजपा को छोड़कर सीपीएम मे शामिल हो गए थे। शामिल होने वाले में जिले के पूर्व अध्यक्ष ओ के वसु मास्टर और अशोकन भी शामिल था। सीपीएम के प्रदेश सचिव पी विजयन की उपस्थिति में उन्होंने सीपीएम की सदस्यता ग्रहण की। संख्या बढ़ाचढ़ा कर बताई जा रही हो, लेकिन यह सच है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकत्र्ता सीपीएम में शामिल हुए हैं और यह पार्टी के लिए चिंता की बात होनी चाहिए।(संवाद)