आम आदमी पार्टी उन चार सीटों से भी चुनाव लड़ेगी, जहां भारतीय जनता पार्टी की उपस्थिति अच्छी रही है। वे ज्यादातर वे लोग हैं, जो बंगाल से बाहर से आकर यहां बसे हुए हैं। उनमें ज्यादातार व्यापारी और बौद्धिक समुदाय के लोग हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के प्रति रुझान रखते रहे हैं, पर इस बार वे आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार मिटाने वाले एजेंडे से प्रभावित हैं। जाहिर है भारतीय जनता पार्टी को अब नुकसान हो सकता है। इसके अलावा आरएसएस का समाजविरोधी तत्वों से बढ़ते संपर्कों के कारण भी ये बुद्धिजीवी और व्यापारी भाजपा से दूरी बनाते दिख रहे हैं। लिहाजा, वे आम आदमी पार्टी की ओर खिंचते जा रहे हैं।
उधर अन्ना हजारे खुलकर ममता बनर्जी के पक्ष में आ गए हैं। वे उनके लिए प्रचार करेंगे। अन्ना ने कहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी को लोकसभा में 100 सीटें मिलेंगी। अन्ना द्वारा ममता की इस तरह वकालत करने का असर भी भारतीय जनता पार्टी के समर्थक आधार पर पड़ रहा है और अन्ना से प्रभावित होकर उसके समर्थकों में से कुछ ममता की ओर भी जा सकते हैं। जाहिर है, भाजपा की परेशानी का एक कारण यह भी है, लेकिन भाजपा नेता खुलकर इसे स्वीकार नहीं कर सकते। लेकिन प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने एक चिट्ठी अन्ना को लिख मारी है और कहा है कि आप तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाते रहे हैं, तो फिर भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रही ममता बनर्जी का आप समर्थन क्यों कर रहे हैं।
अन्ना का समर्थन मिलने से तृणमूल कांग्रेस खुश है। उसे पिछले कुछ समय से मिल रही चुनावी सफलता भी उसके उत्साह का कारण है,। प्रत्येक चुनाव के बाद उसकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। 2009 का लोकसभा चुनाव और उसके बाद का विधानसभा चुनाव तृणमूल ने कांग्रेस के समर्थन से जीता था, लेकिन बाद में वह अपने बूते पर चुनाव लड़ रही है और जीत भी रही है। इन सब तथ्यों के बावजूद आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की उपस्थिति कुछ क्षेत्रों में उसके उम्मीदवारों की जीत को अनिश्चित बना सकती है। सच तो यह है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस के 4 से 5 फीसदी वोट काट सकते हैं और इसके कारण उसके उम्मीदवारों की हार भी हो सकती है।
उदाहरण के लिए बैरकपूर लोकसभा क्षेत्र को लें। वहां से पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी सांसद हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में सीपीएम के 5 बार सांसद रहे तडि़त तोपदार को 56 हजार मतों से पराजित किया था। इस बार कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस का गठबंधन नहीं रहेगा। कांग्रेस के पास यहां 8 से 10 फीसदी वोट हैं। इसके नुकसान के साथ साथ आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की उपस्थिति तृणमूल के उम्मीदवार पर भारी पड़ सकती है। हावड़ा और दमदम जैसी सीटों पर भी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों का वही हाल हो सकता है।
भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल की तीन सीटों पर ही कुछ बेहतर करने की संभावना पालती है। वे सीटें हैं- अलीपुरदुआर्स, बीरभूम और माल्दा, लेकिन वे इन तीनों मे से किसी में भी जीतने के करीब नहीं है। इसके बावजूद अन्ना हजारे द्वारा ममता बनर्जी के समर्थन करने से भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली में बैठे नेता परेशान हैं। (संवाद)
पश्चिम बंगाल में आम आदमी पार्टी: भाजपा और ममता को परेशानी
शंकर रे - 2014-02-25 12:14
पश्चिम बंगाल में भाजपा की परेशानी का सबब बन गया है आम आदमी पार्टी का यहां से अपने 9 उम्मीदवार उतारने का फैसला। इसके अलावा भाजपा अन्ना हजारे द्वारा ममता का समर्थन किए जाने के कारण भी परेशान है। यह सच है कि आम आदमी पार्टी को एक भी सीट यहां से नहीं मिलेगी और उसके सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो जाएगी, लेकिन सच यह भी है कि इसके कारण तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा के उम्मीदवारों के वोट कटेंगे।