आम आदमी पार्टी को लेकर यहां अच्छा उत्साह है। समाज के मध्य वर्ग के लोगों के बीच उसकी अच्छी खासी चर्चा चल रही है। युवाओं में इसकी लोकप्रियता को साफ साफ देखा जा सकता है।

पार्टी यहां व्यवस्थित तरीके से अपनी गतिविधियां चला रही है। इसके नेताओं मं आपसी तालमेल भ अच्छा है। उसकी रणनीति है कि पहली बार ही चुनाव में कम से कम यहां खाता तो खोल ही लिया जाय। इसके लिए वह यहां 6 या 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने जा रही है। उनके उम्मीदवारों में सारा जोसेफ, अंबलतारा कुंजीकृष्णन और अजित राय शामिल हो सकते हैं। सुश्री सारा एक सामाजिक कार्यकत्र्ता हैं। कुजीकृष्णन पूर्व आइपीएस ऑफिसर हैं, तो अजित राय जज रह चुके हैं। सारा त्रिसूर से चुनाव लड़ने जा रही हैं।

आम आदमी पार्टी की नजर लोकसभा चुनाव के बाद की राजनैतिक स्थिति पर भी टिकी हुई है। लोकसभा में तो वह अपना खाता खोलकर ही खुश हो जाएगी, लेकिन इसके बाद भी उसने प्रदेश में अपने आपको एक स्थायी राजनैतिक ताकत बनाने की तैयारी अभी से शुरू कर रखी है। वह अपने दीर्घकालिक राजनीति के तहत सीपीएम के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन को अपने साथ लाना चाहती है। गौरतलब है कि अच्युतानंदन सीपीएम के अंदर बहुत खुश नहीं हैं। पार्टी के साथ उनका असंतोष जगजाहिर है और पार्टी भी उनका लाचारी में ही अपने साथ रखे हुए है। पार्टी नेतृत्व पर प्रदेश ईकाई का दबाव उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पड़ रहा है। लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हो सकता है चुनाव के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो। वैसी स्थिति में आम आदमी पार्टी अच्युतानंदन को अपने साथ ला सकती है।

वैसे आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण भी दे दिया है। भूषण ने उन्हें लोकसभा चुनाव के पहले आम आदमी पार्टी में शामिल होकर केरल के प्रदेश स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के नेतृत्व करने का आवाहन किया। गौरतलब है कि श्री भूषण सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमों में अच्युतानंदन के वकील भी हैं।

भूषण के आमंत्रण पर अच्युतानंदन ने अभी कोई सकारतात्क रुख नहीं दिखाया है। दरअसल वे खुद सीपीएम छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहते। वे सीपीएम के संस्थापक सदस्य हैं। हां, यदि पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया, तो फिर उसके बाद ही वे आम आदमी पार्टी में शामिल होने या किसी और पार्टी से जुड़ने के बारे में सोच सकते हैं।

सीपीएम के अच्युतानंदन समर्थकों को भी यही लगता है कि पार्टी छोड़ने का यह सही समय नहीं है। वे लवलीन और चंद्रशेखरन हत्या कांड से जुड़े मुकदमों के अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन फैसलों के बाद ही वे टकराव की मुद्रा में आएंगे। आम आदमी पार्टी को लगता है कि पार्टी से बाहर आकर अच्युतानंदन आम आदमी पार्टी का हिस्सा बन सकते हैं। यही कारण है कि प्रशांत भूषण के आमंत्रण को ठुकराए जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी निराश नहीं है। उसे लगता है कि देर सबेर श्री अच्युतानंदन उसमें शामिल हो सकते हैं।

रिपोर्ट तो यह भी है कि आम आदमी पार्टी को सीपीएम ने लेफ्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का हिस्सा बनने का भी आमंत्रण दिया है। वह तीसरे मोर्चे में भी आम आदमी पार्टी को शामिल देखना चाहता है, पर आम आदमी पार्टी ने उस आमंत्रण को ठुकरा दिया हैं। यह किसी मोर्चे में शामिल नहीं होना चाहती और पूरे देश में चुनाव अपने बूते ही लड़ना चाहती है। (संवाद)