जाहिर है, 10 सीटें दूसरे दलों के लिए छोड़ना भाजपा के पक्ष में नहीं जा रहा है। यदि उन सीटों पर भाजपा के अपने उम्मीदवार होते तो वहां स्थिति अलग होती। बहरहाल, भाजपा जिन सीटों से चुनाव लड़ रही है, उनमें से अधिकांश में उसके उम्मीदवार ही मुख्य मुकाबले में हैं।
लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल का कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन है। यूपीए का यह गठबंधन भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ मुख्य मुकाबले में हैं। कांग्रेस के साथ आ जाने से मुस्लिम समर्थकों पर अपनी पकड़ बरकरार रखने में लालू को आसानी हो रही है। उन्होंने अपनी 27 सीटों में से 9 पर मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारे हैं। इसका फायदा भी लालू यादव को मिल रहा है। उसके कांग्रेसी सहयोगी 12 सीटों पर और एनसीपी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। उनके अधिकांश उम्मीदवार भाजपा और उसके समर्थित उम्मीदवारों के साथ मुख्य मुकाबले में हैं।
नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव काफी अहम है। माना जा रहा है कि उनका दल इस चुनाव में तीसरे नंबर पर चल रहा है। अब उनकी असली चुनौती भाजपा नहीं, बल्कि राजद से ज्यादा सीटें लाने की है। यह चुनाव उनकी आने वाली राजनीति का निधार्रण करेगा। यदि लालू के दल से उनके दल को ज्यादा सीटें नहीं मिलती हैं, तो फिर बिहार की राजनीति का एक ध्रुव बनने से नीतीश वंचित रह जाएंगे।
लालू के भविष्य के लिए भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी पत्नी और बेटी चुनाव लड़ रही है। दोनों की जीत लालू के लिए बहुत जरूरी है। यदि इन दोनों की हार हो जाती है, तो फिर लालू का राजद पर पकड़ बनाए रखना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए राजद कितनी सीटें प्राप्त करता है, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण लालू के लिए अपनी पत्नी और बेटी की जीत सुनिश्चित कराना है, क्योंकि लालू अब खुद आगे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। (संवाद)
भारत
तिकोने मुकाबले में भाजपा बिहार में आगे
नीतीश के लिए यह चुनाव निर्णायक
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-04-10 16:41
पटनाः बिहार में हो रहे लोकसभा चुनाव में मुकाबला तिकोना हो गया है। इस तिकोने मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी अपने अन्य प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ रही है। वह 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसके समर्थन से रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी के 7 उम्मीदवार और उपेन्द्र कुशवाहा की लोकतांत्रिक राष्ट्रीय समता पार्टी के 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा समर्थक उम्मीदवारों में से ज्यादा की स्थिति अच्छी नहीं है। उपेन्द्र कुशवाहा खुद मुख्य मुकाबले से बाहर हो चुके हैं। उनकी पार्टी के सीतामढ़ी उम्मीदवार भी मुख्य मुकाबले से बाहर हो चुके हैं। रामविलास पासवान, उनके भाई रामचंद्र पासवान और बेटे चिराग पासवान की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं हैं।