भाजपा के लिए डीएमके का अंदरूनी झगड़ा भी फायदे की वजह बन रहा है। करुणानिधि ने अपने बड़े बेटे अलागिरी को डीएमके से निकाल दिया है। फिलहाल अलागिरी किसी पार्टी के साथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बयान देकर नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा कर डाली है। हो सकता है, वे नरेन्द्र मोदी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करें। उनके द्वारा प्रचार किए जाने का फायदा तो भाजपा को होगा ही, लेकिन यदि वे प्रचार नहीं भी करें, तब भी उसे कुछ न कुछ फायदा हो ही जाएगा।
भाजपा ने विजयकांत के डीएमडीके, एस रामदास के पीएमके और वाइको के एमडीएमके के साथ गठबंधन कर लिया है। इसके अलावा दो अन्य जिला स्तरीय पार्टियों को भी भाजपा ने एनडीए में शामिल कर लिया है। समझौते के तहत डीएमडीके को 14 सीटंे, भाजपा और पीएमके को आठ-आठ सीटें, एमडीएमके को 7 सीटें व अन्य दो जिला स्तरीय दलों को एक एक सीट आबंटित की गई थीं। भाजपा तो अब 7 पर ही चुनाव लड़ पा रही है। पीएमके के एक आधिकारिक उम्मीदवार का नामांकन पत्र भी अवैध करार दिया गया था, पर संयोग से उस उम्मीदवार की पत्नी का नामांकन सही पाया गया, जिसके कारण उस लोकसभा क्षेत्र में एक एनडीए का उम्मीदवार मौजूद है। यानी तमिलनाडु में एनडीए के 38 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
पुदुचेरी में भाजपा एक क्षेत्रीय दल को समर्थन कर रही है, लेकिन समझौते से अलग हटकर पीएमके ने भी वहां से अपना एक उम्मीदवार खड़ा कर दिया है, जिसके कारण वहां गठबंधन चुनाव में एक साथ नहीं लड़ पा रहा है। डीएमडीके ने भी पीएमके के उम्मीदवार को वहां अपना समर्थन दे दिया है।
तमिलनाडु में विजयकांत के डीएमडीके के पास करीब 12 से 14 फीसदी मत हैं। ज्यादातर तेलूगूभाषियों में इसका समर्थन है। पीएमके को वनियारों की पार्टी माना जाता है। इसके नेता एस रामदास की मानें, तो तमिलनाडु में 20 फीसदी वनियार है, लेकिन चुनावों के नतीजों का जायजा लिया जाय, तो पीएमके का ठोस समर्थन 7 फीसदी लोगों के बीच है। वाइको के एमडीएमके के पास 4 फीसदी मत हैं। भाजपा को खुद 4 फीसदी मत प्राप्त होते रहे हैं। इस तरह से इस गठबंधन को कम से कम कागज पर 25 फीसदी से ज्यादा मत दिखाई पड़ रहे हैं और उसके ऊपर नरेन्द्र मोदी का अपना असर है। जाहिर है, डीएमके और एआईडीएमके के बीच विभाजित यहां की राजनीति में भाजपा ने इन्द्रधनुषी गठबंधन कर एक तीसरा हस्तक्षेप की हालत तैयार कर दी है। इसमें भाजपा और उसके गठबंधन के कुछ उम्मीदवारों की जीत से इनकार नहीं किया जा सकता।(संवाद)
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तमिलनाडु में भाजपा हो रही है मजबूत
क्षेत्रीय दलों से गंठबधन कोई गुल खिला सकता है
अशोक बी शर्मा - 2014-04-14 12:55
तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी कभी मजबूत नहीं रही है। इस बार भी कहा जा रहा था कि वहां वह कुछ हासिल नहीं कर पाएगी। पर क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके भाजपा ने वहां अपनी स्थिति सुधार ली है। गठबंधन के तहत उसे 8 सीटों पर चुनाव लड़ना था। उसके उम्मीदवारों ने आठों सीटों पर नामांकन भी दाखिल किया था, लेकिन एक सीट पर वह रद्द घोषित हो गया। इसके कारण अब उसके 7 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। इन सात सीटों में से 4 पर भाजपा जीत की उम्मीद कर सकती है।