इन दिनों राजनाथ सिंह मुस्लिम नेताओ से मिलने में खास रुचि ले रहे हैं। वे लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है। मुसलमानों में भी शिया मुसलमानों की यहां अच्छी तादाद है। माना जाता है कि इनका वोट अटलबिहारी वाजपेयी को मिला करता था और उनकी जीत में शिया मुसलमानों के वोटों का भी हाथ रहा करता था।

अब जब राजनाथ सिंह भी उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, तो उनके लिए भी यह जरूरी है कि वे शिया मुसलमानों का वोट हासिल करने के लिए हाथ पैर मारें। शिया मुसलमान ही क्यों, वे सुन्नी मुसलमानों सहित सभी तबके के लोगों का ज्यादा से ज्यादा वोट पाना चाहेंगे। इसलिए वोट पाने के लिए लोगों तक पहुंचना अपने आपमें गलत नहीं है।

लेकिन शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद ने राजनाथ सिंह से मुलाकात के दौरान और उसके बाद जो कहा है, उससे भाजपा की अंदरूनी राजनीति प्रभावित हो रही है। उससे यह भी कयास तेज हो गया है कि राजनाथ सिंह खुद प्रधानमंत्री बनना चाह रहे हैं। उन्होंने अपनी जाति के लोगों को काफी संख्या में भाजपा में शामिल करवाया और उन्हें पार्टी का टिकट भी दिलवाया। इसके कारण उन पर जातिवाद का आरोप तो लग ही रहा था। कहा जा रहा था कि वे अपनी जाति के लोगों को पार्टी का टिकट दिलाकर पार्टी के अंदर अपनी स्थिति मजबूत करने मे ंलगे हैं, ताकि मौका मिलने पर चुनाव के बाद मोदी की जगह खुद प्रधानमंत्री बन जाएं। इस तरह के सवाल राजनाथ सिंह से कई बार पत्रकारों ने पूछे, तो उन्होंने साफ साफ कहा कि वे पार्टी अध्यक्ष हैं और इसी भूमिका में इसके शेष कार्यकाल तक रहना चाहेंगे। प्रधानमंत्री बनने की किसी महत्वाकांक्षा से उन्होंने साफ साफ इनकार कर दिया। वे कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही होंगे।

पर पार्टी के अंदर और बाहर के लोगों का कहना है कि राजनाथ सिंह ने नरेन्द्र मोदी का इस्तेमाल कर लालकृष्ण आडवाणी को किनारे कर दिया है और अब मौका मिलने पर वे नरेन्द्र मोदी को भी किनारे कर प्रधानमंत्री बनने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उस रणनीति के अनुसार यदि भाजपा के लोकसभा सांसदों की सख्या 175 से कम हुई और अन्य पार्टियों के समर्थन का इंतजाम करने की जरूरत पड़ी, तो नरेन्द्र मोदी की जगह कोई अन्य स्वीकार्य नेता को पार्टी आगे कर सकती है। वैसी स्थिति में आरएसएस से नजदीकी के कारण राजनाथ सिंह वह स्वीकार्य नेता हो सकते हैं।

इसलिए जब राजनाथ सिंह ने मुस्लिम नेताओं से मिलने का सिलसिला शुरू किया, तो उत्तर प्रदेश में भी भाजपा नेताओं व अन्य लोगों के कान खड़े हो गए हैं। उन्हें लग रहा है कि राजनाथ सिंह अपनी रणनीति पर गंभीरता से काम कर रहे हैं। गौरतलब हो कि कल्वे जावाद ने कहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में राजनाथ सिंह मुसलमानों को स्वीकार्य हो सकते हैं। उन्होंने राजनाथ की तुलना अटल बिहारी से कर दी और यह भी कह दिया कि नरेन्द्र मोदी से मुसलमानों को डर लगता है। (संवाद)