भाजपा नेताओं के इस विश्वास का आधार क्या है? पार्टी सूत्रों का कहना है कि अनेक फैक्टर पार्टी प्रत्याशी ओ राजगोपाल के पक्ष में काम कर रहे हैं। सबसे पहला फैक्टर तो श्री राजगोपाल की अपनी छवि ही है। वे एक स्वच्छ छवि के व्यक्ति हैं। वाजपेयी सरकार में वे रेल राज्यमंत्री थे। मंत्री की हैसियत से उनका काम काफी साफ सुथरा था। उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप कभी नहीं लगा।

दूसरा फैक्टर सहानुभूति का है। श्री राजगोपाल चुनाव लड़ते और हारते रहे हैं। अब उनकी उम्र 80 साल की हो गई है। जाहिर है, यह उनका अंतिम चुनाव है। भाजपा लोगों से कह रही थी कि अंतिम बार चुनाव लड़ रहे इस नेता की इच्छा तो पूरी कर दी जाय। लोगों में उनकी उम्र और अंतिम बार चुनाव लड़ने के कारण सहानुभूति पैदा करने में शायद भाजपा के नेता और कार्यकत्र्ता सफल रहे हैं और शायद यह एक बड़ा कारण है, जिससे भाजपा को राजगोपाल की जीत सुनिश्चित लग रही है।

इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि इस बार राजगोपाल के पक्ष में जबर्दस्त क्राॅसवोटिंग हुआ है। भाजपा ही नहीं कांग्रेस के लोग भी कह रहे हैं कि अनेक कांग्रेस समर्थकों ने भी राजगोपाल को मत डाले। यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार शशि थरूर हैं और वे कांग्रेसियों को अपने पीछे एकजुट रखने में विफल रहे हैं, जिसका लाभी राजगोपाल को मिलता दिखाई पड़ रहा है। सीपीआई के यहां से उम्मीदवार बेनेट अब्राहम है। वे नाडिर समुदाय से आते हैं। खबर है कि उनके समुदाय के लोगों ने भी राजगोपाल को वोट डाले हैं।

सवाल उठता है कि क्या मोदी लहर का फायदा भी राजगोपाल को मिल पाएगा? एक सच्चाई यह भी है कि नरेन्द्र मोदी ने तिरुअनंतपुरम मेें चुनावी सभा नहीं की। इसका एक कारण ओ राजगोपाल की लालकृष्ण आडवाणी से नजदीकी बताई जाती है। लालकृष्ण आडवाणी ने ओ राजगोपाल के लिए सभाएं जरूर संबोधित की।

दो अन्य लोकसभा क्षेत्र जहां भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, वे हैं कासारगढ़ औरर पठनमथीटा। कसारगढ़ में केरल प्रदेश भाजपा के महासचिव के सुरेन्द्रन ने चुनाव प्रचार में यूडीएफ और एलडीएफ के उम्मीदवारों को मात दे दी, लेकिन अंतिम समय में मुसलमानों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ने जीत के उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया है।

जहां तक पठनमथीटा की बात है, तो भाजपा उम्मीदवार एम टी रमेश ने यूडीएफ और एलडीएफ उम्मीदवारों को तगड़ी चुनौती दे डाली है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार यहां भाजपा का चुनाव अभियान बहुत अच्छा रहा। लेकिन कस्तूरीरंजन रिपोर्ट न केवल कांग्रेस का यहां नुकसान कर रही है, बल्कि भाजपा को भी इससे यहां घाटा होने वाला है।

अंतिम नतीजा चाहे जो भी आए, नरेन्द्र मोदी की तीसरी ताकत खड़ी करने की योजना यहां सफल नहीं हो पाई है। उन्होंने ओबीसी कार्ड खेलकर तीसरी ताकत खड़ी करने की योजना बनाई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। (संवाद)