पर सवाल यह है कि आखिर यह विकास का गुजरात माॅडल है क्या? क्या वाकई कोई इस तरह का विकास माॅडल है भी या यह सिर्फ कहने की बात है। इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात भारत के विकसित राज्यों में शामिल है और प्राकृतिक संपदा की कमी के बावजूद यह इस मामले में देश के अधिकांश राज्यों से आगे है। यहां के विकास की गति 1995 से तेज हुई थी। उसके पहले विकास की गति अन्य राज्यों की तरह ही धीमी थी, लेकिन नरसिंह राव सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक उदारीकरण के दौर का फायदा अनेक राज्यों को हुआ और उनमें भी गुजरात को इसका फायदा सबसे ज्यादा हुआ।
गुजरात में विकास का माॅडल वही है, जो देश के अन्य राज्यों में है। लेकिन यदि वहां ज्यादा विकास हुआ है, तो उसके लिए वहां के लोग जिम्मेदार हैं। यानी वह माॅडल गुजरात का नहीं, बल्कि वह विकास का गुजराती माॅडल है। गुजराती अच्छे उद्यमी हैं और खतरा उठाने में उनका कोई मुकाबला नहीं। व्यापार और उद्योग की उनमें अच्छी समझ है और इस समझ का फायदा सिर्फ गुजरात को ही नहीं मिलता रहा है, बल्कि गुजराती जहां भी गए हैं, अपनी उद्यमशीलता के कारण खुद का और उस क्षेत्र का विकास करते रहे हैं।
यही कारण है कि आज भारत के बड़े बड़े उद्यमियों में गुजरातियों की भरमार है। मुंबई को अंग्रेजों ने कोलकाता के बाद अपना सबसे बड़ा विकास केन्द्र के रूप में विकसित किया था। उस समय बंबई प्रांत का हिस्सा गुजरात हुआ करता था। मुंबई के विकास की शुरुआत ही गुजरातियों के कारण ही हुई। मुंबई के विकास मे सहायक बने पारसी भी गुजरात से ही जाकर वहां बसे थे। पारसियों और गैर पारसी गुजरातियों ने वहां का विकास किया। बाद में गुजरात अलग प्रदेश बन गया। बंबई के ही विभाजन से महाराष्ट्र राज्य का गठन हुआ। गुजरात के अलग प्रदेश के बनने के बाद भी अनेक गुजराती महाराष्ट्र में ही रह गए और वे उसके विकास में रत रहे।
यदि आर्थिक लचीलापन हो और नियंत्रण कड़े न हों, तो गुजरातियों की उद्यमशीलता देखते बनती है। यही कारण है कि जब नरसिंहराव सरकार ने आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू किया और कोटा परमिट का राज समाप्त करना शुरू किया, तो गुजरात का विकास तेज हो गया। नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद वहां विकास की गति और भी तेज हुई। उसका सबसे बड़ा कारण था नरेन्द्र मोदी द्वारा वहां की नौकरशाही को विकासमुखी बनाना। वहां की नौकरशाही में बड़े पदों पर गुजरात के बाहर के लोग ही ज्यादातर हैं। नरेन्द्र मोदी ने उन्हें नियंत्रण में रखा और नौकरशाही ने भी अपने राजनैतिक मालिक की इच्छा का सम्मान करते हुए उद्यमशीलता के रास्ते में रोड़े नहीं अटकाए।
यही कारण है कि आज गुजरात में उद्यमों की भरमार है। पेट्रोकेमिकल्स उत्पादों और बिजली के उत्पादन में उसका कोई शानी नहीं। गुजराती दुनिया भर में फैले हुए हैं और वे जहां जहां हैं, वहां के उद्योग और व्यापार पर अपनी छाप बनाए हुए हैं। नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में रह रहे अनिवासी गुजरातियों की सहायता भी लेनी शुरू की और उनके लिए उचित नीतिगत माहौेल तैयार किया। विदेश से गुजराती आए और उसका विकास किया। इसलिए इसे हम विकास का गुजरात माॅडल नहीं, बल्कि गुजराती माॅडल कह सकते हैं और इस विकास का श्रेय सिर्फ नरेन्द्र मोदी को देना गलत होगा, बल्कि गुजरातियों को देना होगा। (संवाद)
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विकास के गुजरात माॅडल का सच
दरअसल यह गुजराती माॅडल है
नन्तू बनर्जी - 2014-04-28 17:21
भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी बहुत समय से विकास के गुजरात माॅडल की चर्चा कर रहे हैं। लोकसभा के इस चुनाव में इसे एक प्रमुख मुद्दा भी बना दिया गया है। चूंकि वे गुजरात विकास माॅडल के नाम पर लोगों से वोट मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री बनने पर इसी माॅडल को पूरे देश में लागू किया जाएगा और पूरे भारत को गुजरात की तरह ही विकसित बना दिया जाएगा, उनके विरोधी उस विकास माॅडल की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे गुजरात का नुकसान ही हुआ है। इसके लिए वे अपनी तरफ से आंकड़े भी दे रहे हैं। तरह तरह की बातें की जा रही है। नरेन्द्र मोदी खुद कह रहे हैं कि इस तरह के विकास को अंजाम देने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए, तो उनके विरोधी इस माॅडल कम धज्जियां उड़ा रहे हैं।