इन अटकलबाजियों के केन्द्र में कोई और नहीं, बल्कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रधानमंत्री उम्मीदवार हैं इस समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में छोटी- बड़ी कुल घटक पार्टियों की संख्या 30 हो गई हैं, जो कि अटलबिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की 24 की संख्या से ज्यादा हो गई हैं।
अटकलबाजी का विषय यह नहीं है कि कांग्रेस और यूपीए दुबारा सत्ता में आ रही है या नहीं। बहस का मुद्दा यह भी नहीं है कि भाजपा या राजग की सरकार बन रही है या नहीं, बल्कि इस बात को लेकर लोग अपने अपने अनुमान लेकर आ रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन पाएंगे या नहीं।
संसद भवन के सेंट्रल हाॅल में नियमित रूप से बैठने वाले एक पूर्व कांग्रेसी सांसद ने इस संवाददाता को बताया कि मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए कांग्रेस भाजपा के कुछ नेताओं के साथ संपर्क में हैं। उनका कहना है कि ये लोग आपस में मिलकर यह सुनिश्चित कर डालेंगे कि मोदी पीएम नहीं बनें। इसके लिए अनेक प्रकार की योजनाओं पर विचार हो रहा है।
एक अन्य चर्चा के अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चे को 272 का आंकड़ा नहीं मिलेगा और तब भाजपा के नेता नरेन्द्र मोदी विरोधी राजनीतिज्ञों की शरण में जाएंगे और उनसे मोदी की जगह किसी और को भाजपा संसदीय दल के नेता बनाने की मांग करवाकर मोदी का पत्ता साफ करेंगे। इस योजना को अंजाम देने के लिए ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव और मायावती तक का इस्तेमाल किया जा सकता है। मुलायम, मायावती और ममता मुस्लिम वोटों के खातिर भाजपा से दूरी बनाए रखने में ही अपना भला चाहेंगे, लेकिन मोदी को बाहर रखने को अपनी धर्मनिरपेक्ष राजनीति की सफलता बताकर वे भाजपा की गैरमोदी सरकार का समर्थन देने को वाजिब ठहरा सकते हैं।
सत्ता के गलियारों में गप्पे लगाने वाले लोगों का एक वर्ग मानता है कि एनडीए को 200 से 230 तक सीटें आएंगी और उसकी सरकार बनने की कोई संभावना नहीं है। उनका मानना है कि कांग्रेस के समर्थन से तीसरे मोर्चे की सरकार बन सकती है। सरकार का नेतृत्व कौन करेगा? उन्हें लगता है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री कुमारी जयललिता इस पद के सबसे प्रबल संभावी दावेदार हैं। वे दावा कर रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बाद कुमारी जयललिता लोकसभा की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी और इसके कारण वह अन्य पार्टियों के नेताओं के लिए स्वीकार्य हो जाएंगी। ममता बनर्जी ने उन्हें पहले ही समर्थन देने को कह रखा है और शायद नवीन पटनायक प्रधानमंत्री के लिए उनको समर्थन देने की घोषणा करने वाले दूसरे राजनेता साबित हों। कांग्रेस भी भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए उनके नाम पर सहमत हो जायं। वामपंथी दल यू ंतो ममता बनर्जी के विरोधी हैं, लेकिन जयललिता को प्रधानमंत्री बनाकर भाजपा को सत्ता े बाहर रखने के फैसले मे ममता फैक्टर काम नहीं करेगा।
लेकिन ऐसे लोग भी हैं, जो यह मानते हैं कि मोदी का प्रधानमंत्री बनने की औपचारिकता मात्र रह गई है और उनके सामने इस पद को पाने के लिए किसी प्रकार की चुनौती नहीं रह गई है। उनमे से कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं कि भाजपा को अपने कमल छाप पर ही 272 से ज्यादा सीटें मिल जाएंगी। कुछ लोग भाजपा के कमल को 240 तो कुछ लोग 225 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहे हैं और मानते हैं कि राजग को पूर्ण बहुमत हासिल हो जाएगा और नतीजों के बाद किसी अन्य दल से बहुमत पाने के लिए बातचीत करने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी।
कुछ लोग मानते हैं कि राजग को 240 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी, लेकिन 30 से 40 अन्य लोकसभा सांसदों के समर्थन का जुगाड़ करने मे मोदी को परेशानी नहीं होगी। (संवाद)
भारत
कौन बनेगा प्रधानमंत्री
दिल्ली के सत्ता गलियारों में अटकलबाजियों का दौर
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-03 09:33
नई दिल्लीः देश की अधिकांश लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं और 16 मई का दिन तेजी से नजदीक आ रहा है। उसी दिन मतों की गिनती होगी और लोगों का क्या जनादेश है यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा। पर इस बीच दिल्ली की सत्ता के गलियारों में अगले प्रधानमंत्री के बारे में अटकलबाजियां शुरू हो गई हैं।