विवाद का यह नया विषय प्रदेश में चल रहे 418 बार को लेकर है। उनके लाइसेंस का नवीकरण होना है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष उनके नवीकरण के खिलाफ है, जबकि मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों का कहना है कि इस मसले पर व्यवहारिक नीति पर चलना चाहिए।

इस विवाद को हल करने के लिए रमेश चेनिथाला ने एक फार्मूला पेश किया है। उस फार्मूले के कारण विवाद सुलझने के बजाय और भी उलझ गया है। फार्मूले के अनुसार उन्हीं बार का लाइसेंस नवीकृत हो, जो टू स्टार बार की श्रेणी में हो। लेकिन इस फार्मूले को केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रमुख ने खारिज कर दिया हैं। यह दूसरी बात है कि रमेश अभी भी अपने फार्मूले को लेकर गंभीर है और उस पर अमल करने के लिए लाॅबिइंग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन 418 बार को लाइसेंस देने के खिलाफ आदेश जारी किया है। लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद बंद पड़े बार में काम कर रहे लोगों के हितों का हवाला देकर उन्हें खुलवाने की बात की जा रही है। कोर्ट की यह अवमानना भी है।

इस समय प्रदेश सरकार की नीति शराब के उपभोग को हतोत्साह करने की है। उस नीति के तहत 5 स्टार की हैसियत रखने वाले बार को ही लाइसेंस देने का फैसला लिया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के अनेक कांग्रेस नेता राज्य की इस नीति के खिलाफ जाने का प्रयास कर रहे हैं।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष शराब की दुकानों के फैलते जाल को देखकर दुखी हैं। वे स्थानीय निकायों के प्रशासन मे ंलगे कांग्रेस नेताओं को लगातार नोटिस जारी कर कह रहे हैं कि शराब की दुकानो ंके नये लाइसेंस नहीं जारी करें। इसी से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष शराबबंदी को लेकर कितने गंभीर हैं। सुधीरन प्रदेश में शराब के खिलाफ अभियान चलाए जाने के पक्षधर हैं और उन्होंने इसके लिए अपनी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी से प्रस्ताव भी पारित करवा चुके हैं।

पर प्रदेश कांग्रेस कमिटी में भी सुधीरन की शराब विरोधी मुहिम का विरोध भी हो रहा है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष सतीशन इसके विरोध में हैं और वे चाहते हैं कि जिन बारों की गुणवत्ता अच्छी है, उनका लाइसेंस नवीकृत कर दिया जाय। सतीशन को केन्द्रीय मंत्री व्यालार रवि का समर्थन भी हासिल है। कांग्रेस विधायक मुरलीधरन और प्रतापन भी उनका समर्थन कर रहे हैं। लेकिन उन पर अब आरोप लग रहा है कि वे शराब लाॅबी के समर्थक हैं और उसके साथ मिलकर प्रदेश सरकार पर बारों के लाइसेंसों के नवीकरण के लिए दबाव डाल रहे हैं।

लेकिन केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सुधीरन ने अपने रुख में बदलाव लाने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि बार मालिकों के हित में लिए गए निर्णय में उनका योगदान नहीं हो सकता। वे कहते हैं कि लोगों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय होना चाहिए, न कि बार मालिकों के हितों को ध्यान में रखकर सरकार चले।

सुधीरन को सबसे ज्यादा समर्थन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से मिल रहा है। वह यूडीएफ का दूसरा सबसे बड़ा घटक है। वह भी नया लाइसेंस जारी किए जाने के सख्त खिलाफ है। केरल कांग्रेस (मणि) के नेता और वित्तमंत्री के एम मणि भी सुधीरन का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस का महिला संघ और युवा कांग्रेस को बहुमत भी सुधीरन के साथ के साथ है। (संवाद)