मीडिया वालों की नजरें मुख्य रूप से उन्हीं दोनों के ऊपर हैं। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अमेठी और बनारस दो ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जो इस लोकसभा चुनाव में असली मायने रखते हैं। उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता नरेन्द्र मोदी को बनारस से और राहुल गांधी को अमेठी से हराना है। हालांकि यह भी सच है कि यदि वे दोनों अपनी अपनी सीटों से चुनाव जीत जाते हैं, तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वहां मतदान हो गया है और नतीजे 16 मई को निकलेंगे। राहुल ने वह पिछला चुनाव वहां से 3 लाख 70 हजार मतों से जीता था। सवाल उठता है कि उनकी जीत का मार्जिन अब क्यों कम होना चाहिए? जमीनी स्तर पर जाकर देखें, तो पाते हैं कि वहां के लोग राहुल गांधी से बहुत खुश नहीं हैं, क्योंकि वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सड़कें नहीं हैं और यदि हैं भी तो वे खराब हालत में हैं। शिक्षा संस्थानों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इसके बावजूद राहुल गांधी वहां से चुनाव जीतने में सफल होंगे और यदि कोई उनका पराजित कर देता है, तो पराजित करने वाले की हैसियत देश की राजनीति में बहुत बढ़ जाएगी।

राहुल के सामने दो मुख्य उम्मीदवार हैं। पहली उम्मीदवार हैं स्मृति ईरानी, जिन्हें भाजपा ने खड़ा किया है। दूसरे उम्मीदवार हैं आम आदमी पार्टी के कुमार बिश्वास, जो पिछले कई महीनों से अमेठी की गलियों में घूमघूमकर अपने लिए जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं। उन दोनों ने राहुल को किस कदर चुनौती दी है, इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि राहुल गांधी मतदान के दिन पहली बार अमेठी लोकसभा क्षेत्र मे एक बूथ से दूसरे बूथ की ओर दौड़ते दिखाई पड़े। उसके पहले उन्होंने कभी भी मतदान के दिन अपने लोकसभा क्षेत्र में उपस्थित रहना जरूरी नहीं समझा था।

भारतीय जनता पार्टी इस बार राहुल गांधी को पराजित करने की लड़ाई लड़ रही है। कुमार विश्वास का भी यही इरादा है। गौरतलब हो कि जब सोनिया गांधी के खिलाफ बेलारी से सुषमा स्वराज चुनाव लड़ रही थीं, तो उनका मकसद सोनिया को हराना नहीं, बल्कि भाजपा की हार की मार्जिन को कम करना था। इसमें वह सफल भी हुई थीं और उनकी हार महज 55 हजार वोटों से हुई थी। पर इस बार स्मृति ईरानी राहुल गांधी को हराने के संकल्प के साथ चुनाव लड़ रही हैं।

अमेठी की तुलना बनारस से करना संतरे की तुलना सेब से करने जैसा होगा। दोनों में कुछ समताएं हैं और कुछ विषमता भी। बनारस को दुनिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है, जिसका अस्तित्व अभी भी बरकरार है। यह हिंदू धर्म का सांस्कृतिक केन्द्र है। हिन्दू धर्म ही नहीं, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म का भी यह केन्द्र है। यह कबीर, रैदास और तुलसी की भूमि है। इसलिए यह इसमें किसी को आश्चर्य नहीं है कि मोदी ने इस सीट का चुनाव क्यों किया। लेकिन दूसरी तरफ अमेठी की अपनी कोई पहचान नहीं है। उसकी पहचान यदि बनी है, तो गांधी परिवार के कारण बनी है।

मोदी को वहां से चुनौती अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय दे रहे हैं। दोनों की नजरें मुस्लिम मतों पर है और मुसलमानों के ज्यादा मत जिसे मिलेगा वह मोदी के बाद दूसरे स्थान पर आएगा। जाहिर है, अजय राय और अरविंद केजरीवाल दूसरा स्थान पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। (संवाद)