केरल कांग्रेस (मणि) के अध्यक्ष के एम मणि हैं। वे प्रदेश सरकार में वित्तमंत्री भी हैं। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि देश का की कोई पार्टी भी उनके लिए अछूत नहीं है। इसका इशारा साफ साफ भाजपा की ओर है। उन्होंने कहा कि वे किसी भी सेकुलर मोर्चे के साथ जाने को तैयार हैं।
जब उनके पूछा गया कि वे भारतीय जनता पार्टी को सेकुलर मानते हैं या कम्युनल, तो उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी अपनी नीति कभी भी बदल सकती है और अपनी राजनीति भी बदल सकती है। उन्होंने और भी स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी पार्टी को सेकुलरिज्म पर अपना विचार स्पष्ट करने का मौका दिया जाना चाहिए।
ऐसा कहकर मणि कांग्रेस के नेताओं को यह संदेश देना चाह रहे हैं कि यदि केन्द्र में भाजपा की जीत होती है और उसकी सरकार बनती है, तो वह उसके साथ भी जाने को तैयार हैं, बशर्ते वह स्थाई और सेकुलर सरकार देने में सक्षम हो।
यदि मणि वही कह रहे हैं, जो वह 16 मई के बाद करना चाहते हैं, तो इसका प्रदेश की राजनीति पर बहुत ही गंभीर असर पड़ने वाला है। यूडीएफ सरकार के वे एक महत्वपूर्ण घटक हैं और उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या 9 है। जाहिर है उनके समर्थन पर ही चांडी की यह सरकार टिकी हुई है। यदि उन्होंनंे समर्थन वापस लिया, तो यूडीएफ की चांडी सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
आज यदि मणि को इस तरह की चेतावनी देनी पड़ रही है, तो कांग्रेस इसके लिए खुद जिम्मेदार है। कांग्रेस अपने निर्णयों को दूसरों के ऊपर थोपती रहती है। इसके कारण यूडीएफ के कुछ घटक पहले ही बाहर जा चुके हैं। केरल कांग्रेस (मणि) भी कांग्रेस के इस रवैये से आहत है।
मणि चाहते थे कि उनके सांसद बेटे को केन्द्र में मंत्री बना दिया जाय, लेकिन कांग्रेस ने उनकी इस इच्छा की पूर्ति कभी भी नहीं की। मणि लोकसभा में अपनी पार्टी के लिए एक और सीट चाहते थे। उनकी नजर इदुकी की सीट पर थी। विधानसभा में उनकी पार्टी के सदस्यों की संख्या 9 है। उसके आधार पर वह अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग कर रहे थे, पर उनकी मांग नहीं मानी गई। यानी न तो उनके सांसद बेटे को केन्द्र सरकार में मंत्री बनाया गया और न ही उनकी पार्टी को लोकसभा में एक और सीट दी गई। इन दोनों कारणों से वे बहुत ही आहत हैं। उनके आहत होने का असर इदुकी लोकसभा सीट पर दिखाई भी पड़ रहा है, जहां से वाम मोर्चा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतने की स्थिति में आ गया है।
कस्तूरीरंजन रिपोर्ट पर अमल करने में अपनाई गई दोमुही नीति से भी मणि आहत हैं। उसके कारण कांग्रेस नेताओं के साथ उनकी दूरी बढ़ गई है। रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने मणि गुट के नेताओं को कहा है कि उनके क्षेत्र के किसानों के हितों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन उस दिशा में सरकार द्वारा कुछ किया नहीं गया है। इसके कारण दोनों की बीच तनाव चल रहा है।
यदि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है और के एम मणि के पुत्र फिर चुनाव जीत जाते हैं, तो केरल कांग्रेस (मणि) केन्द्र सरकार मंे शामिल भी हो सकते हैं और प्रदेश की सत्ता को अलविदा भी कर सकते हैं। (संवाद)
केरल कांग्रेस (मणि) ने दी कांग्रेस को चेतावनी
भाजपा 16 मई के बाद नहीं रहेगी अछूत
पी श्रीकुमारन - 2014-05-16 10:23
तिरुअनंतपुरमः आने वाली घटनाओं की छाया पहले ही दिखाई पड़ने लगती है, ऐसा कई लोग कहते हैं। केरल में कुछ ऐसा ही होता दिखाई पड़ रहा है। केरल कांग्रेस (मणि) ने कुछ इसी तरह के संकेत दिए हें। उसने यूडीएफ का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह राजनैतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करती।