कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्र ने दावा किया है कि उनके पास शिवराज सिंह चैहान और उनकी पत्ली साधना सिंह के घोटाले में सीधे शामिल होने के ठोस सबूत हैं। वे घोटाले व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा की गई नियुक्तियों और प्रवेश परीक्षाओं से संबंधित हैं

गौरतलब है कि व्यापम राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अराजपत्रित कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। यह प्रदेश के मेडिकल, डेंटल और इंजीनियरिंग काॅलेजों में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं भी आयोजित करवाता है। यह प्रदेश के 53 विभागों के कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। अबतक उसने नियुक्तियों के लिीए 81 परीक्षाएं आयोजित की हैं, जिनमें 1 करोड़ उम्मीदवार भाग ले चुके है। इन परीक्षाओं के द्वारा 4 लाख लोगों की नियुक्तियां भी की जा चुकी हैं।

मध्यप्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स घोटाले की जांच कर रहा है। उसने पाया है कि अनेक ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में नियुक्तियां मिली हैं, जिनमें योग्यता का अभाव है। अयोग्य लोग घोटालों के कारण ही मेडिकल और पोस्ट मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो चुके हैं। उनमें से कई तो महत्वपूर्ण जगहों पर बैठे हुए भी हैं।

घोटाले के सैंकड़ों मामले की पहचान टास्क फोर्स ने कर ली है। उसने पाया है कि इन घोटालों मंे अरबों रुपयों की घूसखोरी हुई है। उनमें प्रदेश के अनेक शक्तिशाली लोग शामिल रहे हैं। 300 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनमें पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी शामिल हैं। वे शिवराज सिंह चैहान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री, तकनीकी शिक्षा मंत्री, संस्कृति शिक्षा मंत्री और लोकसंपर्क शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। कुछ समय तक वे प्रदेश में खनिज मंत्री के पद पर भी थे।

घोटाले को लेकर कांग्रेस पिछले लंबे समय से राज्य सरकार पर आरोप लगाती रही है, लेकिन उसने जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पर घोटाले के लिए सीधा आरोप लगा दिया, तो राजनीति एकाएक काफी गरम हो गई। उसने शिवराज सिंह चैहान के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पर भी आरोप लगाए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता सुरेश सोनी को भी नहीं छोड़ा।

के के मिश्र ने आरोपों को साबित करने के लिए दस्तावेजों के पुलिंदे भी पत्रकारों को उपलब्ध करवा दिए हैं। उन दस्तावेजों से भाजपा और संघ के नेताओं की मिलीभगत व्यापम घोटाले में दिखाई पड़ती है। व्यापक घोटाले पर देश का सबसे बड़ा नियुक्ति और मेधा घोटाला बताया जा रहा है। पंकज त्रिवेदी और नितिन महेन्द्र को भेजे गए एसएमएस की सूची भी जारी की गई है और कहा गया है कि संघ और भाजपा के नेताओं के एसएमएस उस सूची में शामिल हैं। शिवराज चैहान के भतीजे संजय चैहान के एसएमएस के भी उस सूची में होने का दावा किया जा रहा है। कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता विजेश लुनावत को भी उस सूची से जोड़ा जा रहा है।

के के मिश्र ने मांग की है कि मुख्यमंत्री के सचिव एसके मिश्र और व्यापम घोटाले के मुख्य अभियुक्त पंकज त्रिवेदी की बातचीत के विवरण की जांच की जाय और यह पता लगाया जाय कि जब दोनों के बीच बातचीत होती थी, तो उस समय एसके मिश्र का लोकेशन क्या हुआ करता था। उनका दावा है कि इस जांच से शिवराज सिंह चैहान के घोटाले मंे शामिल होने की पुष्टि हो जाएगी।

श्री मिश्र ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के खिलाफ मध्यप्रदेश पुलिस का एसटीएफ सही तरीके से जांच नहीं कर रहा है, क्योंकि पुलिस तो अंततः मुख्यमंत्री के अधीन ही है। उन्होने मांग की है कि मुख्यमंत्री के इस घोटाले में संलिप्तता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई से करवाई जाय। इस मांग ने प्रदेश की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। के के मिश्र के प्रेस कान्फ्रेंस के बाद चैहान सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री नरोत्तम मिश्र ने उन आरोपों को बेबुनियाद और गलत बताया। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा अवमानना के मुकदमे चलाने की भी धमकी दे डाली। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को अपने बचाव में बयानबाजी करनी पड़ रही है। लेकिन इन सबके बावजूद कांग्रेस द्वारा आरोप लगाने का सिलसिला जारी है। (संवाद)