100 स्मार्ट नगरों का विकास करना नरेन्द्र मोदी की प्रमुख योजनाओं मंे से एक है। इस योजना का उद्देश्य तेजी से विस्तार पा रहे मध्यवर्ग के लोगों को सही तरीके से रहने सहने का अवसर प्रदान करना है। अभी तो गांव और छोटे शहरों से महानगरों की ओर रुख करने की प्रवृति है, जिसके कारण महानगरों का बेतरतीब ढंग विस्तार हो रहा है। ये स्मार्ट नगर उन महानगरों के सेटेलाइट शहर के रूप में बनाए जाएंगे। वर्तमान शहरों का आधुनिकीकरण करके भी उन्हें स्मार्ट नगरों में तब्दील किया जा सकता है।
इस परियोजना से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ओर रियल इस्टेट उद्योग को इससे भारी बढ़ावा मिलेगा।
नरेन्द्र मोदी सरकार का पहला बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि स्मार्ट सिटी का बिल्ट अप क्षेत्र 50 हजार वर्ग किलोमीटर से घटाकर 20 हजार वर्गकिलोमीटर कर दिया जाएगा और विदेशी निवेश की न्यूनतम राशि भी एक करोड़ डालर से घटाकर आधा करोड़ डालर कर दी जाएगी। इस परियोजना का लाॅक अप पीरियड निर्माण के बाद 3 साल का होगा इस परियोजना के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 7060 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि खुदरा व्यापार को छोड़कर अन्य सेक्टरों में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। जहां कहीं भी रोजगार सृजन की संभावना देखी जाएगी, विदेशी पूंजी को बुलाया जाएगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए विदेशी पूंजी का सहारा लिया जाएगा। विदेशी टेक्नालाॅजी के आयात के लिए भी इसका इस्तेमाल होगा। विदेशी निवेश विकास बोर्ड के काम को भी दुरुस्त किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने भाजपा के घोषणा पत्रों के अनुरूप अपने भाषण में कहा कि जहां कहीं भी जरूरी होगा और लगेगा कि उससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंच रहा है, विदेशी निवेश को वहां आमंत्रित किया जाएगा।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश को आमंत्रित कर रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा मे ंसरकार काम करने की सोच रही है। वह निवेश आउटोमेटिक रूट से किया जाएगा।
रक्षा उत्पादन में भी विदेशी निवेश को ज्यादा आमंत्रित करने का फैसला किया गया है। रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए टेक्नालाॅजी की जरूरत पड़ेगी, जो विदेशों से ही लाई जा सकती है। अब इस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा वर्तमान 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी गई है। कंपनी का नियंत्रण भारत के ही हाथ में होगा।
सरकार ने मौजूदा बजट में रक्षा क्षेत्र में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की देशी कंपनियों और लघु व मध्यम उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए एक 100 करोड़ रुपये का एक कोष तैयार किया है। इसका नाम टेक्नालाॅजी विकास कोष रखा गया है।
बीमा क्षेत्र में भी विदेशी निवेश को ज्यादा सहूलियतें दी गई हैं। अबतक किसी बीमा कंपनी में 26 फीसदी तक ही विदेशी निवेश हो सकता था। अब यह निवेश 49 फीसदी तक किया जा सकता है। (संवाद)
भारत
क्या मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला पायेगी
अशोक बी शर्मा - 2014-07-15 11:41
नरेन्द्र मोदी सरकार के सामने राजकोषीय घाटे को पाटकर देश की अर्थव्यवस्था में जान लाने की चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए बजट में कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की गई है। अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने देशी और विदेशी पूंजी आकर्षित करने की कोशिश की है। अब चूंकि विश्व की अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो रहा है और भारत का अंतरराष्ट्रीय माहौल पहले से ज्यादा माकूल होता दिखाई पड़ रहा है। इसलिए भारत इस बदलते परिदृश्य का लाभ उठा सकता है।