मुलायम सिंह यादव पहली बार इस तरह का बयान नहीं दे रहे हैं। इसके पहले भी वे और उनके परिवार के अन्य लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं। स्चयं मुलायम सिंह यादव ने तो एक बार इस तरह की घटनाओं को हल्की फुल्की घटना तक कह डाला था और कहा था कि युवकों की गलती से इस तरह की घटना होती है और इसके लिए उन्हें कड़ी सजा दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है। उनके उस बयान के बाद कहा गया था कि उससे बलात्कार जैसे मामलों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। वह भय सही साबित हो रहा है। किसी जिम्मेदार नेता के मुह से इस तरह के बयान के बाद बलात्कारी प्रवृति के लोगों का उत्साह बढ़ता है। जाहिर है, खुद मुलायम सिंह इन घटनाओं के लिए किसी न किसी तरह जिम्मेदार हैं।

पर यहां बात हो रही है उत्तर प्रदेश के एक विशाल प्रदेश के होने की। आज वहां अखिलेश यादव की सरकार है और वह सरकार बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोकने मंे बुरी तरह विफल रही है। अखिलेश के पहले मायवती की सरकार थी। उनके कार्यकाल में भी बलात्कार की घटनाओ की श्रृंखला बनी हुई थी। उनके कार्यकाल के अंतिम कुछ महीनों में वहां होने वाली बलात्कार की घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में थीं। उनकी करारी हार और समाजवादी पार्टी की जीत के पीछे का एक कारण उत्तर प्रदेश में होने वाले बलात्कार की उन घटनाओं को मीडिया मे मिला कवरेज भी जिम्मेदार था। कवरेज तो तभी मिलता है, जब घटनाएं घटती हैं। हालांकि सच यह भी है कि बलात्कार व अन्य अपराधों की अनेक घटनाओं को कवरेज मिल नहीं पाता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मीडिया को मुलायम सिंह यादव जैसे नेता यह बताएं कि उन्हें किस घटना को कितना कवरेज दिया जाय।

वैसे मुलायम सिंह सच कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटनाओं को नहीं रोका जा सकता। उत्तर प्रदेश क्या किसी भी प्रदेश में इस तरह की घटनाओं को नहीं रोका जा सकता। उत्तर प्रदेश तो देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, जिसमें 21 करोड़ लोग रहते हैं। इतने बड़े प्रदेश पर शासन करना कोई आसान काम नहीं है। यदि अखिलेश की जगह कोई भी मुख्यमंत्री हो जाय, तब भी स्थिति वैसी ही रहेगी। आखिर मायावती के कार्यकाम में स्थिति कोई इससे अलग नहीं थी।

तो सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है, वह होने दिया जाय? यदि मुलायम सिंह यादव जैसे नेता सरकार की असमर्थता का रोना रोते रहेंगे, तो इस तरह की घटनाओं मंे और भी तेजी आएगी। बलात्कार ही क्यों, अन्य अनेक अपराध की प्रदेश भर में हो रहे हैं और लखनऊ में केन्द्रित प्रशासन लाचार है। कानून व्यवस्था पूरी तरह से प्रदेश में घ्वस्त हो चुकी है। 2007 के पहले प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। उस समय भी वैसा ही माहौल था। मायावती की बहुजन समाज पार्टी को जीत ही इसलिए मिली थी, क्योंकि लोग प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था चाहते थे और उनको लगा था कि मायावती एक बेहतर प्रशासक साबित होंगी और जंगल राज से उन्हें छुटकारा मिल जाएगा। मुलायम सिंह की सरकार तो हट गई, लेकिन लोगों को जंगल राज से छुटकारा नहीं मिल पाया। फिर लोगों ने मायावती को भी हटा दिया। लेकिन कानून व्यवस्था के मसले पर मामला जहां था, वह आज भी वहीं बना हुआ है।

जाहिर है, उत्तर प्रदेश को संभाल पाना लखनऊ में बैठी किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है। मुलायम सिंह यादव भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं। तो देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश को जंगल राज से मुक्त करने का एक ही तरीका दिखाई पड़ रहा है और वह है इसे छोटे छोटे राज्यों में विभाजित कर देना। संयोग से इसके लिए एक प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पहले से ही पारित कर रखा है। मायावती जब मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित भी करवा दिया गया था। छोटे छोटे राज्यों को मुद्दा बनाकर मायावती 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ रही थीं, हालांकि उसे वह मुख्य मुद्दा नहीं बना सकीं और उसका उन्हें कोई राजनैतिक फायदा भी चुनाव में नहीं मिल पाया। इसका कारण यह था कि उनका वह प्रस्ताव कार्यकाल के अंतिम समय में आया था और उसे लोगों ने वोट पाने का एक राजनैतिक स्टंट ही माना।

पर आज एक बार फिर उत्तर प्रदेश के विभाजन पर बहस चलाने की जरूरत है। जिस तरह की घटनाएं देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश में घट रही है, उन्हें यदि रोकना है, तो इसका विभाजन करना ही होगा। वैसे भी उत्तर प्रदेश एक स्वाभाविक प्रदेश नहीं है। यह दिल्ली में बैठे विदेशी हुक्मरानों की फूट डालो और राज करो की नीति का परिणाम है, जिसके तहत हिंदी क्षेत्रों के अनेक प्रदेशों का विभाजन किया गया और उनका एक एक टुकड़ा मिला कर संयुक्त प्रदेश बना दिया गया। वही संयुक्त प्रदेश आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाता है। हमें आजादी तो मिली, लेकिन गुलामी काल में बने संयुक्त प्रदेश को संयुक्त ही रखा गया, जो उत्तर प्रदेश के नाम से आज एक ऐसा प्रदेश बन गया है, जिसका हुक्मरान खुद कहता है कि बलात्कार रोक पाना यहां संभव नहीं है। यदि आप बलात्कार नहीं रोक सकते, तो फिर उत्तर प्रदेश को छोटे छोटे टुकड़े में बंट जाने दीजिए। (संवाद)