जिस दिन पिछले लोकसभा चुनाव नतीजे आए हैं, उसी दिन से प्रदेश के कांग्रेस जनों मे निराशा और हताशा का माहौल है। पार्टी 1989 में प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई थी। इस दौर में पार्टी के अंदर आज जैसी हताशा कभी नहीं रही।

कांग्रेस के कार्यकत्र्ता इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो ही नहीं सकती। उनका मानना है कि जबतक पार्टी प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ गिरती कानून व्यवस्था पर और केन्द्र सरकार के खिलाफ बढ़ती महंगाई पर आंदोलन करने के लिए सड़कों पर नहीं उतरती, पार्टी का प्रदेश में उद्धार नहीं हो सकता।

कांग्रेस कार्यकत्र्ता याद दिलाते हैं कि जब एक दलित की झोपड़ी मायावती सरकार के दौरान गिराई गई थी, तो किस तरह सोनिया गांधी ने उनकी सरकार को ही चुनौती दे डाली थी। उन्होंने उस दलित महिला की झोपड़ी बनाने के लिए कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं से श्रमदान की अपील कर डाली थी। मायावती तब परेशान हो उठी थी और उन्हें इस इलाके के विकास के लिए एक विशेष पैकेज देना पड़ा था।

पुराने कांग्रेस नेता इस बात को भी याद करते हैं कि जब 1977 मे कांग्रेस केन्द्र और प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई थी, तो किस तरह से संजय गांधी ने सड़कों पर आकर संघर्ष किया था। संजय ने अपनी मां की सहायता की थी और उसके कारण ही कांग्रेस 1980 में दुबारा सत्ता में आई थी।

संजय गांधी के साथ जिन्होंने उस दौरान मिलकर संघर्ष किया था, उन्हें पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पुरस्कृत भी किया। उन्हें संगठन में भी महत्वपूर्ण पदों पर रखे गए।

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा। उसमें कांग्रेस को पूरे प्रदेश में सिर्फ दो ही सीटों पर जीत हासिल हुई। सिर्फ सोनिया और राहुल ही चुनाव जीत सके। उन दोनो ंकी जीत इसलिए हुई, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अमीर हैदर ने 20 पेज का एक पंफलेट निकाला है, जिसका नाम है बिट्टर ट्रूथ। उसमें कांग्रेस की प्रदेश में दुर्गति के कारणों को बताया गया है। कांग्रेस के नेता और कार्यकत्र्ता बहुत ही गुस्से में हैं और वे पार्टी के लिए कितने चिंतित हैं, इसका पता इस पंफलेट से लगता है।

अमीर हैदर एक लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें कांग्रेस नेताओं और कार्यकत्र्ताओं के एक बड़े वर्ग का समर्थन भी हासिल है। उन्होंने अपने पंफलेट में पार्टी की दुर्दशा के लिए कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे कांग्रेस के शिखर नेतृत्व के गलत निर्णयों के कारण पार्टी की दुर्गति हुई। उन्होंने परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा है कि रामपुर से बेगम नूर बानो को मुरादाबाद से उनके बेटे को टिकट दे दिए गए और दोनों मां बेटे की हार हो गई।

उन्होंने संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह को बढ़ावा देने के लिए भी कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि संजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का डर दिखा कर राज्यसभा की सदस्यता हासिल कर ली। अमेठी में वे कहीं राहुल का खेल न बिगाड़ें, इसके लिए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया और उनकी पत्नी अमिता सिंह को सुल्तानपुर से लोकसभा का टिकट भी दे दिया। पर उनकी पत्नी की वहां जमानत जब्त हो गई।

उस पंफलेट में राहुल गांधी द्वारा जोनल अध्यक्ष की व्यवस्था करने को भी चुनौती दी गई। कहा गया कि उसके कारण कांग्रेस का कबाड़ा हुआ। पार्टी तो कई जगहों पर अपने जोनल कार्यालय तक नहीं खोल सकी। जब राहुल को लगा कि यह गलत व्यवस्था थी, तो उन्होंने उस फैसले को वापस लिया, लेकिन तबतक कांग्रेस का नुकसान हो चुका था। उसके कारण कांग्रेस निष्क्रिय बनी रही थी।

हैदर ने राहुल गांधी को हार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। अध्यादेश की कापी राहुल द्वारा फाड़ने की निंदा की है और कहा है कि उसके कारण पार्टी को देश भर में काफी नुकसान हुआ। राहुल द्वारा गलत लोगों का साथ देने और गलत लोगों का साथ लेने को पार्टी की हार के मुख्य वजह बताई गई है।

राहुल की आलोचना के साथ ही प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग बढ़ गई है। (संवाद)