अब उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। लगभग सारी सीटें भाजपा के पास ही थी। उसके और उसके सहयोगी दल के विधायक लोकसभा चुनाव जीते थे और इसके कारण विधानसभा की सीटें खाली हुई। अब उन्हीं सीटों को दुबारा जीतने की चुनौती भाजपा के पास है।

पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह आगामी 19 अगस्त को पहली बार लखनऊ आ रहे हैं। वे उस दौरे में प्रदेश के पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को उत्साहित करेंगे और कोशिश करेंगे कि एक बार फिर प्रदेश में नरेन्द्र मोदी की लहर पैदा हो।

अपने दौरे में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश भर के पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करेंगे। जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं, वहां के कार्यकत्र्ताओं और नेताओं को खासतौर से वे संबोधित करेंगे।

प्रदेश भारतीय जनता पार्टी भी अमित शाह के अध्यक्ष के रूप में पहले दौरे का गर्मजोशी से तैयारी कर रही है। वह इसे एक बड़ी घटना बनाना चाहती है, ताकि इसे आधार बनाकर उपचुनावों मंे भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराई जा सके।

उपचुनावों की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। प्रदेश नेताओं को कहा जा रहा है कि वे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों से तीन उम्मीदवारों का पैनल तैयार करें। विधानसभा सीटों पर उपचुनावों के साथ ही मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव होगा। वहां से मुलायम सिंह यादव पिछले आम चुनाव में जीते थे। उन्होंने आजमगढ़ में भी जीत दर्ज की थी। उन्होंने आजमगढ़ को अपने पास रखते हुए मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया। उस सीट पर उन्होंने अपने बड़े भाई के पोते को वहां से उम्मीदवार बनाने की घोषणा भी कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता कह रहे हैं कि वे मुलायम सिंह यादव के वंशवाद को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाएंगे। वे लोगों को बताएंगे कि अपने परिवार के अलावा मुलायम सिंह को कोई दिखाई नहीं देता है। भाजपा को मैनपुरी से भी चुनाव जीतने की उम्मीद है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद फीरोजाबाद लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें अखिलेश यादव की बेटी डिंपल को समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। उस उपचुनाव में डिंपल चुनाव हार गई थीं।

लोकसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद मुलायम सिंह यादव ने इन उपचुनावों को बहुत ही गंभीरता से लिया है। उन्होंने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को इन सभी उपचुनावों का प्रभारी बनाया है।

मुलायम सिंह यादव चाहते हैं कि मैनपुरी में वे जीत तो हासिल करें ही, उपचुनावों की अधिकांश सीटों पर भी जीत हासिल करें। ऐसा करने के बाद ही यह संदेश देश भर में जाएगा कि नरेन्द्र मोदी की लहर अब उतर रही है।

मुलायम ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को साफ साफ संदेश दिया है कि वे अखिलेश सरकार की उपलब्धियों को जनता तक ले जाएं और सभी उपचुनाव में सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करें।

मुलायम सिंह यादव खुद भी चुनाव तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं और अपनी पार्टी के लोगों को कह रहे हैं कि पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है और इन चुनावों में जीत हासिल कर ही प्रतिष्ठा को बचाया जा सकता है।

बहुजन समाज पार्टी ने उपचुनावों मंे हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की है। इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हासिल होगा।

पिछले लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका। इसका कारण यह है कि मायावती के ओबीसी वोट भाजपा की ओर खिसक गए थे।

राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती खुद अपने समर्थकों से भाजपा के समर्थन की अपील कर सकती हैं, ताकि उनके धुर विरोधी मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी पराजित हो सके।

कांग्रेस तो अभी तक लोकसभा की शर्मनाक हार के सदमे से उबर भी नहीं पाई है। प्रदेश से सिर्फ सोनिया और राहुल की चुनाव जीत पाए और उन दोनों की जीत में भी समाजवादी पार्टी का समर्थन मददगार बना। (संवाद)