सुधीर शर्मा खनन के काम से भी जुड़े रहे हैं। वे पिछले मई महीने से ही फरार चल रहे थे। जब उनकी संप़ित्र की कुर्की जब्ती की कार्रवाई शुरू की गई, तो उन्होंने आत्म समर्पण कर दिया।
सुधीर शर्मा ने अपने कैरियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी। उनका दिन 2003 से फिरने लगा, जब वे प्रदेश की सत्ता में आए। वे पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के एक करीबी सहयोगी थे। लेकिन उनकी इच्छा सत्ता में बैठे और भी बड़े लोगों से नजदीकी स्थापित करने की थी। उन्होंने अपने कारगुजारियों से व्यापारी और अपराधी की सीमा रेखा को भी धूमिल कर दिया था।
सुधीर शर्मा ने झबुआ में मैंगनीज का खनन किया। उस समय वे लक्ष्मीकांत शर्मा के सहायक थे। वे खनन से काफी पैसा कमाने लगे, लेकिन उनका नाम लक्ष्मीकांत शर्मा के करीबी के रूप में ही लिया जाता था। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ती गई। वे सरकार में अपनी खुद की स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश करने लगे। इस क्रम में श्री शर्मा ने राज्यसभा सदस्य और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रशांत झा की सहायता लेनी शुरू कर दी। संघ के नेता सुरेश सोनी से भी उनके अच्छे रिश्ते बन गए थे।
सुरेश सोनी की मदद से प्रभात झा पहले भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बने और फिर उसके बाद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बन गए। अपने कार्यकाल में झा ने सुधीर शर्मा को प्रदेश भाजपा के शिक्षा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बना दिया।
हालांकि उस समय भाजपा के संगठन महासचिव मखन सिंह सुधीर शर्मा की उस नियुक्ति के खिलाफ थे। प्रशांत झा ने न केवल सुधीर शर्मा को वह पद दिया, बल्कि वे उनके साथ बराबर दिखाई भी पड़ते थे। प्रभात झा ने प्रदेश सरकार पर दबाव बनाकर सुधीर शर्मा को राज्य के वैज्ञानिक शोध कार्यों से जुड़े एक संगठन क्रिस्प का चेयरमैन बनवा दिया।
सुधीर शर्मा व्यापम से जुड़े दो मुकदमों में आरोपी हैं। पुलिस भर्ती घोटाले में उनकी गिरफ्तारी की गई है, जबकि सब इंस्पेक्टर की बहाली के घोटाले का आरोप भी उनपर लगा हुआ है। एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि सब इंस्पेक्टर बहाली घोटाला मामले की जांच अभी जारी है और बहुत संभव है कि उन्हें उस घोटाले मंे भी गिरफ्तार किया जाएगा।
हिरासत में हुई पूछताछ में सुधीर शर्मा ने सिर्फ यह स्वीकार किया कि व्यापम के अधिकारी पंकज त्रिवेदी और नितिन महिंद्रा के साथ उनकी जान पहचान है। उनसे अपने संबंधों को भी उन्होंने स्वीकार किया है, लेकिन यह मानने से साफ इनकार कर दिया है कि उन्होंने किसी की बहाली के लिए उनसे कभी कोई संपर्क किया।
एसटीएफ के अधिकारियों ने शर्मा के उस कार्यालय मंे भी छापा मारा, जो झाबुआ जिले के उनके गांव में है। लेकिन वहां से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उनका कहना है कि घोटालों से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज की खोज में वे वहां गए थे, लेकिन उन्हें वह दस्तावेज नहीं मिला। (संवाद)
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आपराधिक लाभ के लिए शिक्षा का दोहन
एक बड़े घोटाले से कांप रहा है मध्यप्रदेश
एल एस हरदेनिया - 2014-08-07 13:29
भोपालः व्यापम घोटाले की स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही व्यापक जांच के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता सुधीर शर्मा का आत्म समर्पण एक बड़ी घटना है। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी के बाद सुधीर शर्मा भारतीय जनता पार्टी के ऐसे दूसरे बड़े नेता हैं, जो जांच एजेंसी की गिरफ्त में आ गए हैं। ये दोनों नेता व्यापम से जुड़े अनेक घोटालों में शामिल होने के आरोप का सामना कर रहे हैं।