नटवर सिंह कहते हैं भिन्न आयोगों और कमिटियों ने उनके खिलाफ उस मामले मे ंकुंछ भी नहीं पाया। पाठक आयोग ने कहा कि नटवर सिंह ने उस घोटाले में कोई वित्तीय लाभ हासिल किया है, उसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। उसके बावजूद प्रवत्र्तन निदेशालय ने उनके और उनके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। नटवर सिंह कहते हैं कि जस्टिस पाठक ने उन्हें बताया था कि उन्हें फंसाने के लिए उनपर बहुत दबाव था।
नटवर सिंह कहते हैं कि वे लंबे समय तक विदेश सेवा में रहे हैं और राजनीति में भी लंबी पारी खेली है। और इस नाते वे यह दावे के साथ कह सकते हैं कि अंबिका सोनी ने वह बयान सोनिया गांधी की सहमति के बिना जारी नहीं किया होगा। वे कहते हैं कि सोनिया गांधी को उन्हें कम से कम शक का लाभ देना चाहिए था।
अब सवाल उठता है कि क्या राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को अपना संस्मरण लिखना चाहिए और गोपनीय बातों को लिखना चाहिए। शायद नहीं। यदि वे संस्मरण लिखते भी हैं, तो उन्हें उन सरकारी कामकाज का वर्णन नहीं करना चाहिए, जिनसे वे गोपनीय ढंग से जुड़े रहे हैं। नरसिंह राव ने एक फिक्शन लिखा, जिसका नाम उन्होंने दिया ’’इनसाइडर’’। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तो उसे बाजार से हटा दिया गया। अर्जुन सिंह ने भी अपना संस्मरण लिखा, लेकिन उनके परिवार ने उसे काट छांट कर दिया। वह नेहरू परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए किया।
प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह अनेक गोपनीय चीजों? को जानते हैं। सरकार के बारे में वह बहुत कुछ जानते हैं। अनेक घटनाओं के वे प्रत्यक्षदर्शी भी रहे हैं और उनके हिस्से भी रहे हैं। सुनने में आया है कि उन्होंने कहा है कि वे अपना संस्मरण नहीं लिखेंगे। उन्होंने यह साफ कहा है कि वे आधिकारिक गोपनीय बातों का प्रकाशन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा है कि सबकुछ उनके साथ ही जल जाएगा। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपने संस्मरण को अपनी मौत के बाद ही छपने की योजना बना रखी थी। अब राजनीतिज्ञ और रिटायर्ड अधिकारी हेडलाइन में बने रहने के लिए संस्मरण लिखते हैं। उनकी चिंता खबर में बने रहने की होती है, लेकिन ऐसा करने के लिए वे अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
नटवर सिंह के साथ अच्छा नहीं हुआ। कांग्रेस ने उनके साथ अच्छा नहीं किया। सोनिया गांधी ने भी अच्छा नहीं किया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह भी गलत काम करे। (संवाद)
भारत
नटवर सिंह का सोनिया के प्रति गलत रवैया
गोपनीय चर्चाओं का जिक्र उचित नहीं
हरिहर स्वरूप - 2014-08-11 13:04
पिछले तीस साल से ज्यादा से भी मैं पत्रकार के रूप में कांग्रेस को कवर करता रहा हूं और लगभग इतने समय से ही मैं नटवर सिंह को जानता हूं। इस नाते मैं कह सकता हूं कि अपनी पुस्तक ’’ वन लाइफ इज नोट एनफ’’ में उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, वह बिलकुल सही है। उसमें कुछ भी गलत नहीं है। दुर्भाग्य से कांग्रेस का आदमी अपने शीर्ष नेता के अलावा किसी और का बचाव नहीं करता है। अन्य को वह अपने ऊपर छोड़ देता है। नरसिंह राव के साथ भी वही हुआ था। नटवर सिंह भी इसके अपवाद नहीं हैं। जब नटवर सिंह को अनाज के बदले तेल घोटाले में फंसाया जा रहा था, तो उस समय अंबिका सोनी ने कहा था कि नटवर सिंह अपनी रक्षा करने में समर्थ हैं और कांग्रेस को उनके बारे में कुछ कहने के लिए नहीं हैं।