मीडिया को सम्मेलन से दूर रखे जाने के कारण अनेक तरह की बातें अखबारों व अन्य मीडिया में आने लगी थीं, जिसके कारण संघ के नेता चिंतित होने लगे थे। यही कारण है कि संघ को एक प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित करना पड़ा, जिसे मोहन वैद्य ने संबोधित किया।

यह स्पष्ट है कि संघ के नेता अब अपने आपको मजबूत समझने लगे हैं और वे अपने को महत्वपूर्ण भी मानने लगे हैं। उनके नेता सम्मेलन के दौरान कुछ ऐसा संकेत दे रहे थे कि वे अपने एजेंडे को मानने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार को बाध्य कर देंगे। लेकिन इसके साथ यह भी लग रहा था कि संघ के नेता उन एजेंडों को लागू करने या करवाने के तरीकों को लेकर एक मत नहीं थे।

मोहन वैद्य ने मीडिया में आई कुछ बातों पर अपना स्पष्टीकरण जारी करने से प्रेस कान्फ्रेंस की शुरुआत की। उसके बाद पत्रकारों ने वैद्य से यह पूछना शुरू किया कि विदेशी निवेश पर वे संध के नजरिए को स्पष्ट करें। सरकार द्वार महंगाई को नियंत्रण करने में विफल होने पर भी प्रतिक्रिया दें। इन सवालों का जवाब देने से वैद्य ने इनकार कर दिया। पर जब पत्रकारों ने उन सवालों पर अडि़यल रवैया अपना लिया, तो वैद्य ने अपना आपा खो दिया और वे कान्फ्रेंस से बाहर चले गए। उसके पहले श्री वैद्य ने मीडिया को बताया था कि संघ की बैठक में तीन मसलों पर बातचीत हुई। वे मसले थे हिन्दुत्व, सामाजिक सद्भाव और विकास।

जैसा कि सबको पता है कि संघ का मुख्य उद्देश्य भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना है। संघ ने आगामी 5 सालों तक मोदी सरकार के दौरान इस दिशा में बढ़ने के तौर तरीकों पर विचार किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोहन भागवत हिन्दू एकता को बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि हिन्दू एकताबद्ध रहें तो दुनिया की कोई भी ताकत उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती। हिन्दुत्व पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि भारत की सभी समस्याओं का समाधान इसमें है। उन्होंने कहा कि भारत एक धनी देश है, लेकिन यहां के लोग गरीब हैं, लेकिन पूंजीवाद इसका समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि गरीबी का आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान वाली नीतियों की सहायता से ही समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने ये बातें सम्मेलन के अंतिम दिन कही।

सूत्रों के अनुसार भागवत ने कहा कि देश को खतरा बाहरी ताकतों से ज्यादा अंदरूनी ताकतों से है। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से कहा कि वे छुआछूत समाप्त करने और राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए कृतसंकल्प होकर काम करें।

भागवत ने कहा कि लोभ और भ्रष्टाचार भारत की दो सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए हमेशा सरकार की ओर ताकत सही रवैया नहीं है और लोगों को अपने विकास के लिए खुद पहल करनी होगी। नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का नाम लिए बिना ही भागवत ने कहा कि लोगों को उनसे बहुत उम्मीद है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ तालमेल बैठाते हुए संघ अपने मिशन पर काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत और हिन्दुत्व की पहचान को दुनिया भर में मजबूत किए जाने की जरूरत है और इसके लिए यह सबसे अच्छा समय है।

मीडिया को दूर रखे जाने के कारण अखबारों में सूत्रों के हवाले से अनेक प्रकार की खबरें आई हैं। एक खबर के अनुसार कुछ नेता स्मृति ईरानी के खिलाफ बोल रहे थे। उनका कहना था कि श्रीमती ईरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जिम्मा संभालने के योग्य नहीं हैं। एक अन्य खबर के अनुसार अरुण नेहरू को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में लाने की मांग की गई। आतंकवाद का आरोप झेल रहे कुछ हिन्दुवादी नेताओं के खिलाफ चल रहे मुकदमों मंे तेजी लाने की भी मांग की गई।

खबरों के अनुसार प्रवीण तोगडि़या ने अपने भाषण में राम मंदिर निर्माण, धारा 370 और समान सिविल कोड के मसलों को उठाया और कहा कि चुनाव के पहले इन मसलों पर वोट मांगे गए थे और अब सरकार बनने पर इनसे जुड़े वायदों को पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हफीज सईद को भारत लाए बिना पाकिस्तान से रिश्ते सामान्य नहीं किए जाने चाहिए। एक खबर के अनुसार तोगडि़या को कहा गया कि अपनी बात कहते समय उन्हें अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए। (संवाद)