दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य भर में 410 बार हाउस बंद कर दिए गए हैं। कोर्ट ने उन्हें बंद करने का आदेश इसलिए जारी किया, क्योंकि उनके लाइसेंस का नवीनीकरण राज्य सरकार द्वारा नहीं किया गया था। अब यदि उसका नवीनीकरण किया जाता है, तो फिर वे बार खुल जाएंगे।
पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुधीरन के नेतृत्व में कांग्रेसियों का एक बहुत बड़ा धड़ा उनके लाइसेंस के नवीनीकरण के सख्त खिलाफ है। उसके विरोध के कारण सरकार नवीनीकरण का फैसला नहीं कर पा रही है और उधर बार मालिकों ने इस मामले को हाई कोर्ट में घसीट लिया है।
केरल हाई कोर्ट ने इस पर अपनी नीति तय करने के लिए राज्य सरकार को 26 अगस्त की समयसीमा तय कर दी है। उसके पहले राज्य सरकार को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी है। राज्य सरकार लाइसेंसों का नवीनीकरण करना चाहती है, लेकिन वह आगे बढ़ नहीं पा रही है। कांग्रेस की ओर से विरोध भी बहुत ज्यादा है।
सुधीरन और उनके समर्थकों का कहना है कि प्रदेश को नशा की ओर नहीं धकेलना है। वे कांग्रेस के आदर्शों की बात कर रहे हैं, जिसके तहत प्रदेश को एक नशामुक्त शहर बनाया जाना है। उस आदर्श को पाने के लिए वे इस तरह के बार को बंद ही रखना चाहते हैं।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री और उनके समर्थक व्यावहारिकता का तकाजा दे रहे हैं। उनका कहना है कि लाइसेंस नहीं जारी करने से व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा हों रही हैं। एक तरफ तो बार मे काम करने वाले लोग बेरोजगार हो रहे हैं और दूसरी तरफ राज्य सरकार का राजस्व भी कम हो रहा है। इन दोनों समस्याओं से निपटने के लिए वे बार के लाइसेंस को फिर से नवीन किए जाने के पक्षधर हैं।
इस मसले को प्रदेश कांग्रेस कमिटी और राज्य सरकार की समन्वय समिति की बैठक में उठाया गया। समिति की बैठक में मुख्यमंत्री अकेले पड़ गए। किसी अन्य सदस्य ने लाइसेंस के फिर से नवीनकरण के उनके विचार का समर्थन नहीं किया। वे अपने बात लोगों से कहते रहे, लेकिन किसी को भी अपने पक्ष में लाने में वे सफल नहीं रहे।
26 अगस्त का समय नजदीक आने के साथ साथ राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बढ़ते दबाव के बीच राज्य सरकार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन पर दबाव बना रहे हैं ताकि वे अपना रुख बदल लें, लेकिन सुधीरन के ऊपर कोई दबाव काम नहीं कर रहा है।
अब मुख्यमंत्री से जुड़े लोग यह कहते दिखाई पड़ते हैं कि पार्टी के विरोध के बावजूद चांडी सरकार बार के पक्ष में फैसला करेगी। इस तरह की चर्चा के बीच सुधीरन के समर्थक कहते हुए दिखाई देते हैं कि यदि सरकार ने बार के पक्ष में फैसला ले भी लिया, तो वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि फैसला लेने या न लेने- दोनो की स्थिति में फजीहत मुख्यमंत्री की ही है। यदि वे फैसला बार के पक्ष में लेते हैं, तो प्रदेश में उनकी छवि को धक्का लगेगा और सुधीरन की छवि चमकेगी। एक बड़ा दबाव समूह बार के बंद कर दिए जाने का समर्थन कर रहा है। खासतौर से महिलाएं इसके लिए ज्यादा मुखरता से आंदोलन कर रही हैं। उनके बीच सुधीरन की छवि अच्छी होगी और मुख्यमंत्री की छवि खराब होगी। छवि खराब होने से चांडी की भावी राजनीति प्रभावित हो सकती है।
और यदि चांडी ने बार के पक्ष में फैसला नहीं लिया, तब भी उनकी भद्द पिटेगी और संदेश यह जाएगा कि चांडी एक कमजोर मुख्यमंत्री हैं, जो चाहकर भी कोई फैसला नहीं ले सकते।
अबतक कांग्रेस आलाकमान इस विवाद पर शांत है, लेकिन यह मसला बड़ा राजनैतिक रूप लेता जा रहा है, इसलिए उसे भी हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।(संवाद)
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केरल के मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष में मचा है घमासान
बंद बार हाउस खोलने पर बन नहीं रही है सहमति
पी श्रीकुमारन - 2014-08-19 12:12
तिरुअनंतपुरमः केरल कांग्रेस के अंदर सिद्धांत और व्यावहारिकता की गजब लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई प्रदेश के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष वी एम सुधीरन के बीच है। दोनों इस मसले पर एक इंच भी दूसरी तरफ बढ़ने को तैयार नहीं हैं।