तोमर को एक बहुत बड़ा रणनीतिकार माना जाता है। उनके अध्यक्ष काल में ही भारतीय जनता पार्टी ने 2008 और 2013 के विधानसभाओं के चुनाव जीते थे। पार्टी आलाकमान को उनकी जगह लेने वाले नेता के चुनाव में तीन महीने लग गए।
शुरू से ही नन्द कुमार चौहान शिवराज सिंह चौहान की एक मात्र पसंद थे। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व नन्द कुमार चौहान को नरेन्द्र तोमर का उत्तराधिकारी चुनने में झिझक रहा था। प्रदेश में मुख्यमंत्री चौहान के विरोधियों को लग रहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिवराज के पसंदीदा नेता को प्रदेश का अध्यक्ष नहीं बनाएंगे, क्योंकि उसके कारण मुख्यमंत्री और भी ताकतवर हो सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री लगातार नन्द किशोर के नाम की पैरवी करते रहे।
लगता है कि मुख्यमंत्री प्रभात झा के समय प्रदेश अध्यक्ष के साथ अपने कटु अनुभवों को नहीं भूले हैं। पहले दिन से ही श्री झा अपने आपको चौहान का प्रतिस्पर्धी मानने लगे। चौहान ने उनको अगले कार्यकाल से दूर रखने के लिए बहुत कोशिश की और उसमें वे सफल भी रहे।
जब प्रभात झा का कार्यकाल पूरा होने वाला था, तो मुख्यमंत्री उनको भरोसा दिलाते रहे कि वे उन्हें दुबारा अध्यक्ष पद पर बैठाना चाहते हैं और वे वैसा करके रहेंगे, लेकिन उन्होंने गुपचुप राजनीति करते हुए उनको अध्यक्ष पद से हटवा दिया और श्री तोमर प्रदेश के अध्यक्ष बने। दूसरा कार्यकाल न मिलने पर प्रकाश झा ने अपनी नाखुशी का सार्वजनिक इजहार किया। उन्होंने इसे पीठ में छूरा मारे जाने की घटना कही। उन्होंने कहा कि उनका दुबारा अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के निर्णय को उनकी उसी तरह छिपा कर रखा गया, जिस तरह पोखरन परमाणु विस्फोट को छिपाकर रखा गया था। बाद में उनको शांत करने के लिए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की टीम में जगह दे दी गई।
हालांकि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलटा लिया गया है, लेकिन इसके कारण पार्टी एक बड़े नेता द्वारा विरोध का सामना भी कर रही है। वे नेता हैं फग्गन सिंह कुलस्ते। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें केन्द्र में या तो मंत्री बनाया जाएगा या फिर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया जाएगा। नन्द लाल चौहान के पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनका असंतोष सामने आ गया है।
जब उन्हें पता चला कि उन्हें एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया है, तो वे बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व लगातार उनकी उपेक्षा कर रहा है और उन्हें पार्टी की लगातार सेवा करने का सही इनाम नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि उन्होंने पहले ही पार्टी अध्यक्ष को कह दिया था कि वे एक बार फिर अपना पुराना पद स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं, लेकिन वे जहां के तहां पड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति दुबारा किसी प्रकोष्ठ का अध्यक्ष नहीं बन सकता। कुलस्ते पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और उनका एक विशेष स्थान प्रदेश की राजनीति और पार्टी में है। (संवाद)
भारत
चौहान की पसंद के नेता बने प्रदेश अध्यक्ष
अनेक वरिष्ठ भाजपा नेता नाखुश
एल एस हरदेनिया - 2014-08-23 11:25
भोपालः जब नन्द कुमार चौहान को मध्य प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समर्थकों ने राहत की सांस ली। जब निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, उसी समय से प्रदेश के नये अध्यक्ष की खोज शुरू हो गई थी। पिछले दो आमचुनावों के दौरान नरेन्द्र सिंह तोमर ही मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ उनकी बहुत अच्छी पटरी बैठ रही थी।