उत्तर प्रदेश के इन नतीजों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिष्ठा को झटका लगा है।
राजनैतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या जिस मोदी लहर ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी को 80 में से 73 सीटंे दिला दी थीं, क्या वह समाप्त हो गईं?
गौरतलब है कि जिन 11 विधानसभा सीटों मंे लिए उपचुनाव हो रहे थे, उनमें से 10 तो भारतीय जनता पार्टी की ही थी और शेष एक पर उसके सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल विधायक थीं। ये सभी सीटों सिटिंग विधायकों के लोकसभा चुनाव में विजयी होने के बाद खाली हुई थीं। मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव पिछला चुनाव जीते थे। वे आजमगढ़ से भी विजयी हुए थे। उन्होंने आजमगढ़ सीट को अपने पास रखा और मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया था। इस बार उनके बड़े भाई के पोते तेज प्रताप सिंह वहां से चुनाव लड़ रहे थे। तेज प्रताप ने भारी मतों से यह चुनाव जीता।
भारतीय जनता पार्टी सिर्फ नोएडा, सहारनपुर और लखनऊ की विधानसभा सीटें ही जीत पाईं।
चरखारी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की हार शायद सबसे ज्यादा उल्लेखनीय है। पिछले विधानसभा चुनाव में वहां से उमा भारती चुनाव जीती थीं। चुनाव जीतने के बाद वे वहां कभी नहीं गईं। इसके कारण वहां के लोग उनसे नाराज थे।
रोहनिया विधानसभा सीट पर अपना दल की हार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए झटका हैै। वह सीट बनारस लोकसभा क्षेत्र में आती है और वहां से अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल विधायक थीं।
राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार उत्तर प्रदेश के लोगों ने सांप्रदायिक एजेंडे को नकार दिया है। भारतीय जनता पार्टी लव जेहाद के नाम पर इस एजेंडे पर काम कर रही थी और हिंदुओं को अपने पक्ष में खींचने की कोशिश में लगी हुई थी। योगी आदित्य नाथ और साक्षी महराज सांप्रदायिकता को भड़काने में लगे हुए थे।
भारतीय जनता पार्टी को लग रहा था कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का इसे फायदा होगा, क्योंकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में लोग सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित हो रहे है। पर लोगों ने विकास के एजेंडे को स्वीकार किया और सांप्रदायिक एजेंडे को नकार दिया।
गौरतलब है कि आ रही खबरों क अनुसार लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश मंे छोटे बड़े सांप्रदायिक तनाव के करीब 600 मामले सामने आ चुके हैं और उनमें से 60 फीसदी तो उन क्षेत्रों में हुए, जहां विधानसभा के उपचुनाव होने थे।
सीपीआई के सचिव अतुल अंजान का कहना है कि जो लोग लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिला रहे थे, उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे शांति और विकास चाहते हैं, सांप्रदायिक तनाव नहीं।
उन्होंने कहा कि लोगों की नजर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर है और वे उनसे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनाने की उम्मीद करते हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि लोगों ने उनकी सरकार के विकास कार्यों को वोट डाला है और भारतीय जनता पार्टी के सांप्रदायिक एजेंडे को नकार दिया है।
राजनैतिक विश्लेषक इस जीत के लिए मुलायम अखिलेश शिवपाल के सामुदायिक नेतृत्व को इस जीत का श्रेय दे रहे हैं। वे अपने संगठन को सक्रिय करने में सफल रहे। जीत का श्रेय प्रदेश सरकार के मंत्रियों को भी जाता है। (संवाद)
भारत
उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगा जबर्दस्त झटका
समाजवादी पार्टी पड़ी मोदी लहर पर भारी
प्रदीप कपूर - 2014-09-17 11:56
लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को जबर्दस्त झटका लगा है। यहां उसे 11 में से सिर्फ 3 विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत हासिल हुई है। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से भी वह भारी मतों से हार गई है। समाजवादी पार्टी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सहित आठ विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करने में सफल रही।