इन उपचुनावों की हार से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी को हो क्या गया है? लोकसभा के चुनाव में उसे जो शानदार सफलता मिली थी, उसे वह दुहरा क्यों नहीं पा रही है? कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी मोदी के जादू पर इतना निर्भर हो गई है कि वह अपनी जीत को निश्चित मानने लगी है और उसके नेता अहंकारी हो गए हैं।
जिन चार राज्यों मंे चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें भाजपा के लिए महाराष्ट्र सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। वहां भारतीय जनता पार्टी और भाजपा का गठबंधन सत्ता पाने की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस की वहां हालत सबसे ज्यादा खराब है। वह गुटबाजी की शिकार है और वहां वह नेतृत्व के संकट का सामना भी कर रही है। इसके अलावा वह वहां लगातार 15 सालों से सत्ता में है, इसलिए वह सरकार विरोधी जन मानसिकता का भी सामना कर रही है। मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने वहां की 48 में से 24 और शिवसेना ने 18 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। कांग्रेस को महज दो और एनसीपी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहां 19 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां भाजपा कभी भी नहीं जीती है और 100 ऐसी सीटंे हैं, जहां पार्टी कभी न कभी जीती है।
शिवसेना के साथ उसका सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर मतभेद चल रहा है। भाजपा के पास वहां कोई करिश्माई नेता नहीं है और शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पहले ही ठोंक दिया है। यदि दोनों पार्टियों के बीच बेहतर तालमेल नहीं रहा, तो उनकी जीत संदिग्ध हो जाएगी।
भाजपा हरियाणा में भी सत्ता की दावेदारी कर रही है। कांग्रेस गुटबाजी की शिकार है। सत्ता में रहने के कारण भी उसे सरकार विरोधी भावनाओ का सामना करना पड़ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की 10 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी और 34 फीसदी वोट पाए थे। वह प्रदेश की 90 में से 52 सीटों पर आगे थी, जबकि ओम प्रकाश चैटाला का इंडियन नेशनल लोकदल दो लोकसभा सीटें प्राप्त कर 16 विधानसभा सीटों पर आगे थे। कांग्रेस को एक लोकसभा सीट मिली थी और उसके उम्मीदवार 15 विधानसभा सीटों पर आगे थे। हरियाणा जनहित कांग्रेस को कोई लोकसभा सीट नहीं मिली थी, पर उसके उम्मीदवार 7 विधानसभा सीटों पर आगे थे। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के बाद इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन करने का विकल्प खुला रख रही है।
भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास यहां कोई बड़ा नेता नहीं है और वह नरेन्द्र मोदी के जादू पर अपनी जीत के लिए निर्भर है। राव इन्द्रजीत सिंह और चैधरी बीरेन्द्र सिंह जैसे नेताओं पर निर्भर रहकर पार्टी कुछ हासिल नहीं कर सकती है, क्यांेकि ये कुछ समय पहले तक तो कांग्रेस में थे।
झारखंड और जम्मू और कश्मीर में भी विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, हालांकि वहां के चुनावों की तिथियां अभी तक घोषित नहीं की गई हैं। झारखंड में भाजपा को पिछले चुनाव में 40 फीसदी मत मिले थे और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन वह मोदी के जादू के कारण ही संभव हो सका था। वह भी झारखंड के लिए काफी महत्वपूण राज्य है। जम्मू और कश्मीर में भाजपा को 32 फीसदी मत मिले थे और उसे तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि पीडीपी को 3 सीटें हासिल हुई थीं। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस गठबंधन को एक सीट भी नहीं मिली थी। जाहिर है भाजपा वहां भी सरकार बनाने का दावा कर रही है। (संवाद)
भारत
भाजपा के सामने कठिन चुनौती
विधानसभा चुनावों में होगी पहली परीक्षा
कल्याणी शंकर - 2014-09-19 11:49
चुनाव का मौसम एक बार फिर शुरू हो रहा है। चार महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ये चार राज्य हैं हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर व झारखंड। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ये पहले बड़े चुनाव हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए इन चुनावों में बेहतर करना बहुत जरूरी है, क्योंकि पिछले कुछ उपचुनावों में उसकी स्थिति अच्छी नहीं रही है। पहले उत्तराखंड के उपचुनावों में उसकी हार हुई। फिर बिहार में उसको पराजय का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी उसे मुंह की खानी पड़ी। गुजरात में भी तीन सीटों पर उसके उम्मीदवार हारे। इसके कारण पार्टी की प्रतिष्ठा को झटका लग रहा है। हालांकि पश्चिम बंगाल में उसके एक उम्मीदवार की जीत और दूसरे की दूसरे स्थान पर आने से उसे कुछ संतोष भी प्राप्त हो रहा है।