इन उपचुनावों में मतदान का जो पैटर्न दिखाई दे रहा है, उससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस के पैरों के नीचे की जमीन खिसकती जा रही है। उसके मुस्लिम समर्थक आल इंडिया यूनाइटेड डेमाक्रेटिक फ्रंट की और और हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी की ओर जा रहे हैं। गौरतलब है कि आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट मुस्लिम पार्टी के रूप में असम में स्थापित हो चुकी है।
कांग्रेस इस बात से खुश हो सकती है कि लखीपुर सीट पर उसके उम्मीदवार ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 9172 वोटों से पराजित किया। लेकिन सिलचर में जो हुआ, उससे कांग्रेस को गहरा आघात लगा है। सिलचर कांग्रेस का गढ़ रहा है और वहां से उसके नेता संतोष मोहन देव कई बार चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई और उसके उम्मीदवार दिलीप कुमार पाॅल ने 37441 मतों के भारी अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार अरुण दत्त मजूमदार को पराजित कर दिया।
इस विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के एक मंत्री गौतम राय पर मतदाताओं को पैसे बांटने का आरोप भी लगा है। भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए उनपर मुकदमा भी दर्ज कराया है। उसका कहना है कि श्री राय खुले आम मतदाताओं को पैसा बांट रहे थे।
कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि सिलचर में कांग्रेस की हार आपसी फूट के कारण हुई। उनका कहना है कि गौतम राय और संतोष मोहन देव के आपसी मतभेद के कारण यह सब हुआ। वे कहते हैं कि संतोष मोहन देव के लोगों ने चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया। लेकिन कांग्रेस की हार का अंतर इतना ज्यादा है कि यह मानने का कोई कारण नहीं कि संतोष मोहन देव का असहयोग ही कांग्रेस उम्मीदवार के शर्मनाक प्रदर्शन का कारण है।
जमनामुख विधानसभा सीट पर आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के उम्मीदवार की शानदार जीत हुई। वह करीब 35 हजार मतों से कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराने में सफल रहा। फ्रंट का उम्मीदवार कोई और नहीं, बल्कि इसके अध्यक्ष का पुत्र ही था। यहां मुसलमानों ने कांग्रेस को छोड़कर फ्रंट के उम्मीदवार को चुना और चुनाव प्रचार के दौरान एक निजी समाचार चैनल द्वारा मतदाताओं के बीच आयोजित एक कार्यक्रम के सीधे प्रसारण में जो बात उभर कर आई, उससे पता चलता है कि मुस्लिम कांग्रेस से टूट चुके हैं। चैनल के पत्रकार ने मुस्लिम मतदाताओं से पूछा कि फ्रंट के अध्यक्ष बदरूदीन अजमल खुद सांसद हैं। उनके एक भाई भी सांसद हैं और अब वह अपने बेटे को विधायक बनाना चाह रहे हैं। क्या इस परिवारतंत्र के बावजूद आप उनका समर्थन करेंगे? इस सवाल का जवाब मुस्लिम मतदाताओं ने बहुत ही तल्ख लहजे में दिया। उनका कहना है कि आजादी के बाद से नेहरू परिवार देश पर शासन कर रहा है और आज भी कांग्रेस पर उसी का कब्जा है। लोग उसके परिवारवाद पर सवाल क्यों नहीं उठाते हैं? उन्हें इस बात से नाराजगी थी कि जब बात मुसलमानों की आती है, तभी परिवारवाद को बीच में लाया जाता है।
असम में मुसलमानों की आबादी करीब 30 फीसदी है। इसके आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की ओर मुखातिब होने के साथ साथ हिंदु मतदाता और भी तेजी से भाजपा की ओर मुखातिब हो सकते हैं। संप्रदाय के आधार पर हो रहे इस ध्रुवीकरण से कांग्रेस का संकट और भी गहराने की संभावना है। (संवाद)
भारत
असम विधानसभा सीटों के उपचुनाव
कांग्रेस की कीमत पर बढ़ रही है भाजपा
बरुण दास गुप्ता - 2014-09-23 15:48
कोलकाताः असम की 3 विधानसभा सीटों पर पिछले 13 सितंबर को उपचुनाव हुए थे। उनके नतीजे 16 सितंबर को आए। एक एक सीटें भाजपा, कांग्रेस और आॅल इंडियान यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिली। जाहिर है चुनाव के नतीजों से कोई भी पार्टी निराश नहीं हुई है। तीनों के संतोष करने के अपने अपने कारण हैं, लेकिन मतदाताओं के बीच जो प्रव्ति उभर रही है, वह कांग्रेस के लिए चिंता का कारण होना चाहिए।