जयललिता की जगह फिलहाल पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने हैं। वे जयललिता मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री थे और उस हैसियत से वे तीन बार बजट भी पेश कर चुके हैं। जब एक बार जयललिता को एक मामले में सजायाफ्ता होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था, तो उस समय भी श्री सेल्वम मुख्यमंत्री बनाए गए थे। तब ऊपरी अदालत से दोषमुक्त घोषित किए जाने के बाद जयललिता दुबारा मुख्यमंत्री बन गई थीं।

जाहिर है, नीचली अदालत से सजा पाने की यह कोई पहली घटना जयललिता के लिए नहीं है। इसलिए राजनैतिक विश्लेषकों को लगता है कि वह शायद इस बार भी ऊपरी अदालत से दोषमुक्त घोषित हो जाएं। उन्होंने अपने खिलाफ सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील कर भी दी है और उन्होंने जमानत की अर्जी भी हाई कोर्ट में दे दी है। उनकी पहली प्राथमिकता इस समय जमानत पाने की होगी और उसके बाद वह चाहेंगी कि जल्द से जल्द हाई कोर्ट उनकी अपील का निस्तारण कर दे।

तमिलनाडु की सेल्वम सरकार को आगामी 2016 के विधानसभा चुनाव तक कोई खतरा नहीं है। आल इंडिया अन्ना डीएमके को विधानसभा में विशाल बहुमत प्राप्त है और पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव में उसे प्रदेश की 39 लोकसभा सीटों मंे से 37 पर जीत हासिल हुई थी। लोगों की सहानुभूति भी सेल्वम सरकार के साथ है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा, यह कहना मुश्किल है।

जयललिता इस समय प्रदेश की सबसे कद्दावर नेता हैं। प्रदेश की राजनीति में उनका प्रतिद्वंद्वी करुणानिधि रहे हैं, जो इस समय 90 साल से भी ऊपर हो गए हैं। उनकी पार्टी में इस समय भारी फूट है। उनके परिवार में भी फूट पड़ी हुई है। उनके दोनों बेटे आपस में भिड़े हुए हैं और उनके बीच सुलह के कोई आसार भी नहीं हैं। जाहिर है डीएमके का कोई भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है। और इधर सजा के कारण जयललिता खुद सत्ता की दौड़ से बाहर रहेगी। जाहिर है, यह स्थिति भारतीय जनता पार्टी के लिए नये अवसर प्रदान करता है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस यहां मरनासन्न हो गई है। एक तो यह बेहद कमजोर है और इसके अलावा प्रदेश स्तर के इसके नेता आपस में ही उलझे हुए हैं। राजनैतिक गठजोड़ पर लंबे समय से निर्भरता के कारण जनता से उसका जुड़ाव समाप्त हो गया है। और इधर भारतीय जनता पार्टी के केन्द्र की सत्ता में आ जाने के कारण प्रदेश के लोगों का रूझान उसकी ओर बढ़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु से भी एक सीट भाजपा को प्राप्त हुई है। जयललिता के नेतृत्व से रहित एआईएडीएमके भारतीय जनता पार्टी के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ भी तालमेल कर सकती है। (संवाद)