बढ़ते असंतोष का सामना नवीन पटनायक असंतुष्टों को पार्टी से निकालकर कर रहे हैं। उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं बचा है। उनकी पार्टी के उपाध्यक्ष एवं पूर्व वित्तमंत्री प्रफुल्ल घदई ने एक बार कहा कि मुख्यमंत्री पटनायक अब शारीरिक और मानसिक रूप से सुस्त हो गए हैं, तो उन्होंने उन्हें पार्टी से ही निकाल डाला। प्रफुल्ल ने उनपर यह भी आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री एक चैकड़ी से घिरे हुए हैं और वह चैकड़ी ही उनका नियंत्रण कर रही है। उसके प्रभाव मंे ही सरकारी निर्णय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि उस चैकड़ी में एक नौकरशाह है, जो उनका निजी सचिव भी है। उसमें दो सांसद हैं और एक खान ठेकेदार है।
अपनी पार्टी के अंदर से उठ रहे असंतोष का दबाने के लिए नवीन पटनायक ने कुछ दलबदलुओं को भी महत्व देना शुरू कर दिया। विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता भूपींदर सिंह को उन्होंने राज्यसभा का सदस्य बना डाला। इसके कारण उनके सहयोगी प्यारीमोहन मोहापात्रा नाराज हो गए। उन्होंने यहां तक भविष्यवाणी कर डाली कि पार्टी में भीड़ बढ़ती जा रही है और इस भीड़ के बोझ से पार्टी डूब जाएगी।
गौरतलब है कि प्यारीमोहन नवीन पटनायक के बहुत ही करीबी नेता और सलाहकार रहे हैं। उन्होंने पटनायक की नजदीकी हासिल कर दिलीप राय जैसे नेताओं को राजनीति के हाशिए पर धकेल दिया था। उनकी सलाह पर ही नवीन ने भारतीय जनता पार्टी से अपनी पार्टी का 10 साल पुराना गठबंधन तोड़ डाला था।
लेकिन क्या नवीन पटनायक की लोकप्रियता कम हो रही है? इसका पता तो कंधमाल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव से ही लगेगा। उपचुनाव के लिए मतदान 15 अक्टूबर को होने वाला है। भारतीय जनता पार्टी ने वहां से बीजू जनता दल के पूर्व सांसद माधव राय को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजू जनता दल ने प्रत्युशा राजेश्वरी को वहां से अपना उम्मीदवार बनाया था। प्रत्युशा हेमेन्द्र चंद्र की विधवा हैं। वे यहां ये सांसद निर्वावित हुए थे।
2009 में भी भारतीय जनता पार्टी ने कंधमाल जीतने की उम्मीद पाल रखी थी। उसे लगता था कि कंधमाल में हुए दंगों का उसे फायदा होगा, लेकिन वैसा नहीं हो पाया। इस बार पार्टी श्रीमती राय को उम्मीदवार बनाकर मोदी लहर पर सवार यह सीट जीतने की सोच रही है।
नवीन पटनायक एक के बाद एक घोटालों का सामना कर रहे हैं। खनिज घोटाला और कोयले घोटाले पर तो उन्हें घेरा जाता ही रहा है, अब जमीन घोटाला और पांेजी घोटाले का आरोप भी उनके ऊपर लग रहा है। अब तक तो वे घोटालों से दूरी बनाने में सफल रहे हैं और उन्हें प्रदेश की जनता संत ही मानती रही है। जब कभी किसी मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप सामने आता है, तो वे उसे हटा देते हैं, पर बाद में उसे फिर वापस ले आते हैं। यदि उन्हें लगता है कि उस मंत्री की प्रतिबद्धता उनके साथ नहीं है, तो वे उसे अपने हाल पर छोड़ देते हैं।
हाल ही में राज्य के पूर्व महाधिवक्ता अशोक मोहंती को 20 हजार करोड़ रूपये के घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया। उस घोटाले में करीब 10 लाख लोगों को चूना लगाया गया है। सीबीआई का समन आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने में 4 महीने लगा दिए। उस घोटाले में अनेक राजनेताओं के नाम आ रहे हैं, जिनमें से अनेक मुख्यमंत्री के बहुत करीबी भी हैं।
इन घोटालों से नवीन पटनायक की लोकप्रियता कितनी गिरी है, इसका पता कंधमान उपचुनाव के नतीजों से ही लगेगा। (संवाद)
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घोटाले की खबरों से पटनायक परेशान
कंधमाल सीट का उपचुनाव महत्वपूर्ण
अशोक बी शर्मा - 2014-10-07 17:26
नवीन पटनायक रिकार्ड चौथी बार लगातार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर अपने कार्यकाल का 20 साल पूरा करेंगे। इसमें किसी को कोई शक नहीं है। पिछले विधानसभा के आमचुनाव में उन्हें प्रदेश की 147 विधानसभा सीटों में से 117 पर जीत हासिल हुई थी। प्रदेश की लोकसभा की 21 में से 20 सीटें भी आज उनकी पार्टी के पास ही हैं। लेकिन अब उनके खिलाफ भी असंतोष उपजने लगी है और भ्रष्टाचार के मामले सामने आने से उनके समक्ष की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।