इस समिट के पहले मध्यप्रदेश के में होने वाले समिट को गुजरात के साथ तुलना करके देखा जाता था। उन दिनों मध्यप्रदेश एवं गुजरात के मुख्यमंत्रियों के बीच विकास पुरुष बनने की प्रतियोगिता भी थी, तब उनके बीच एक-दूसरे की तारीफ संभव नहीं था। पर इस बार बदले माहौल में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मध्यप्रदेश को शिवराज सिंह के नेतृत्व में शीघ्र ही देश का नंबर एक राज्य बनने की भविष्यवाणी की है। श्री मोदी ने कहा कि शिवराज सिंह चैहान की औद्योगिक नीतियों के चलते यह राज्य पिछले 10 सालों में सबसे तेज गति से प्रगति करने वाला राज्य बन गया है। श्री मोदी ने पहली बार इस तरह से श्री चैहान की तारीफ की। उनकी इस तारीफ के बाद मुख्यमंत्री श्री चैहान ने भी कहा कि औद्योगिक विकास के आधार पर ‘मेक इन एमपी’ के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ’मेक इन इंडिया’ के सपने को साकार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चैहान के लिए ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट इस मायने में भी फायदेमंद रहा कि केंद्र में एनडीए की सरकार है, जिसकी बदौलत इंदौर की सांसद लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन एवं मध्यप्रदेश से आने वाले सभी केंद्रीय मंत्रियों सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने समिट में उपस्थिति दर्ज कराई। इसमें विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों ने प्रदेश के लिए कई घोषणाएं की। रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि बीना रिफायनरी क्षेत्र में भारत सरकार एक लाख करोड़ रुपए की लागत से पेट्रो केमिकल पेट्रो इंवेस्टमेंट रीजन बनाएगी। यह अलग बात है कि इंवेस्टर्स समिट नहीं भी होता, तो भी केंद्र विभिन्न राज्यों में, जिसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है, इन विकास परियोजनाओं के लिए इंवेस्ट करता। इसे समिट की उपलब्धि मानना बेमानी ही है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हम उद्योगों के लिए निवेश तो नहीं कर सकते, परंतु उद्योगों के लिए अनुमति दे सकते हैं। मध्यप्रदेश के सभी क्षेत्र की 60 परियोजनाओं की पर्यावरण स्वीकृति पिछले 120 दिन में दी गई है।
प्रदेश के औद्योगिक विकास की इन घोषणाओं की हकीकत क्या होगी, यह तो अभी भविष्य में स्पष्ट हो पाएगा, पर वर्तमान में औद्योगिक विकास के नाम पर प्रदेश के युवा, किसान एवं आदिवासी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। बीना में स्थानीय लोगों की जमीन इस आधार पर ली गई थी कि उन्हें बीना रिफायनरी में रोजगार मिलेगा, पर वायदा पूरा नहीं होने पर वहां स्थानीय लोगों ने कई बार प्रदर्शन किया है। इसी तरह जल्दीबाजी में उद्योगों के लिए पर्यावरणीय स्वीकृतियां देना कई विवादों को जन्म दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों एवं स्थानीय आदिवासियों के लिए इससे मुश्किलें बढ़ी ही हैं। अभी यह भी अनुमान लगाना कठिन है कि इतने बड़े निवेश के लिए 25 हजार हेक्टेयर का लैंड बैंक और संसाधन पर्याप्त होंगे या नहीं। उन निवेशों का स्थानीय निवासियों, पर्यावरण, बिजली और कृषि भूमि एवं किसानों पर कितना असर पड़ेगा और इसकी भरपाई किस तरीके से होगी, जैसे सवालों का जवाब ढूंढ़कर ही सही मायने में निवेश का माहौल तैयार किया जा सकेगा और तभी ये प्रस्ताव प्रदेश की जमीन पर हकीकत में बदल पाएंगे। (संवाद)
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मध्यप्रदेश में निवेश: क्या धरातल पर उतरेंगे करार?
राजु कुमार - 2014-10-16 17:54
इंदौर में आयोजित चौथे ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के समापन के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान बहुत ही उत्साहित हैं। उनके उत्साह के दो प्रमुख कारण हैं। पहला, समिट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आना और इसमें शिवराज सिंह चैहान और मध्यप्रदेश के विकास की तारीफ करना। दूसरा, निजी निवेशकों के साथ-साथ विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा विभिन्न नई परियोजनाओं और मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार के माध्यम से मध्यप्रदेश में लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा करना। इन घोषणाओं एवं निवेश प्रस्तावों के बाद मुख्यमंत्री यह विश्वास व्यक्त कर रहे हैं कि कृषि विकास में प्रदेश को आगे ले जाने के बाद औद्योगिक विकास में भी वे आगे ले जाएंगे। पर इस विश्वास की राह बहुत ही कठिन है। इसके पहले भी मध्यप्रदेश में तीन ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट हो चुके हैं और हर बार यही कहा जाता रहा है कि प्रदेश में लाखों करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश होगा एवं लाखों युवाओं को रोजगार मिलेंगे, पर इस दिशा में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धि प्रदेश के खाते में नहीं आई। समिट में नौ देशों को पार्टनर बनाया गया था, और 38 देशों के राजदूतों की उपस्थिति थी पर वहां से किसी भी तरह का निवेश प्रस्ताव प्रदेश में नहीं आया है। ग्लोबल समिट के माध्यम से विदेशी पूंजी का निवेश भी प्रदेश में नहीं हुआ है।