कांग्रेस के उस मुखपत्र में मणि की पार्टी को संबोधित करते हुए कहा गया था कि आपके 50 साल पूरे हो रहे हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना आपा खो दें। आपा खोने के नतीजों के बारे में भी उसके नेताओं को आगाह किया गया था।

दरअसल कांग्रेस में एक आशंका को लेकर बेचैनी है। वह आशंका यह है कि कहीं मणि यूडीएफ छोड़कर एलडीएफ में न चले जायं। केरल कांग्रेस (मणि) यूडीएफ की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और यदि उसे मोर्चा छोड़ा, तो फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाली चांडी सरकार ही गिर जाएगी।

इस आशंका को उस समय और भी बल मिला, जब सीपीएम नेताओं ने मणि को अपने मोर्चे मंे आने का निमंत्रण दे डाला। कांग्रेस को डर सिर्फ सीपीएम से नहीं है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी मणि को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है और मणि के नेतृत्व में ही केरल मे एक तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना को खंगालने में लगी है।

लेख में मणि को याद दिलाया गया है कि उनकी पार्टी की स्थापना 50 साल पहले वामपंथियों का विरोध करते हुए की गई थी और यदि उन्होंने अब वामपंथियों का दामन थामा, तो फिर वे बरबाद हो जाएंगे। उनकी पार्टी भी समाप्त हो जाएगी, उसने सीपीएम के साथ गठबंधन किया। इस तरह की चेतावनी उस लेख में दी गई थी।

उस लेख का जवाब केरल कांग्रेस (मणि) ने अपने मुखपत्र में दिया, जिसमें कहा गया कि कांग्रेस मणि को राजनीति का पाठ सिखाना बंद करे। दोनों के बीच हो रहे लेख युद्ध को रोकने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सुधीरन और मुख्यमंत्री ओमन चांडी एकाएक हरकत में आ गए। उन्होंने कांग्रेस मुखपत्र में छपे उस लेख से अपने को अलग करते हुए कहा कि उस तरह का लेख उसमें छपना ही नहीं चाहिए था। उन्होंने कहा कि मणि यूडीएफ के एक वरिष्ठ नेता है और उनके खिलाफ किसी तरह का लेख कांग्रेस के मुखपत्र में छापा जाना गलत है।

प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सुधीरन ने कहा कि पार्टी के मुखपत्र में छपे उस लेख को पार्टी की अनुमति प्राप्त नहीं थी। उन्होंने कहा कि वे सुधीरन की वरिष्ठता का सम्मान करते हैं और उन्होंने राज्य की बहुत सेवा की है।

इस प्रकरण से एक बात तो साफ हो गई है कि कांग्रेस के मुखपृष्ठ को प्रकाशित करने में लगे लोगों से मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की संवादहीनता की स्थिति बनी हुई है। यही कारण न तो पत्रिका छापने वाले को पता है कि कांग्रेस के बड़े नेता क्या सोचते हैं और न ही अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को पता होता है कि पत्रिका में क्या छप रही है या छपने वाली है।

दरअसल कांग्रेस और केरल कांग्रेस (मणि) के बीच इस तरह की तकरार हो रही है, तो इसके लिए ये दोनों पार्टियां ही जिम्मेदार हैं। पिछले कुछ सालों से दोनों के बीच तकरार होती रहती है। पिछले लोकसभा चुनाव में मणि चाहते थे कि उनकी पार्टी को लड़ने के लिए लोकसभा की एक और सीट दी जाय। पर उनकी मांग नहीं मानी गई। वे अपने सांसद बेटे को मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी बनवाना चाहते थे, लेकिन उनकी वहां भी नहीं सुनी गई।

इसके कारण मणि की कांग्रेस से नाराजगी बढ़ती गई और इसका फायदा उठाकर सीपीएम उन्हें अपनी ओर खींचने में लग गई। इस क्रम में उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाने तक की चर्चा राजनैतिक हलकों में चलने लगी और आज भी इस तरह की चर्चा चलती रहती है।

मणि ने भी अपने बयानों से अफवाहों और गप्पों को हवा दी। एक बार उन्होंने बयान देकर कह डाला कि राजनीति में कोई अछूत नहीं होता है। यही कारण है कि अब सत्तारूढ़ मोर्चे के दो दलों मंे घमासान चल रहा है। (संवाद)