कृषि मंत्री श्री शरद पवार ने आज यहां कहा कि गतिशील और टिकाऊ कृषि उपलब्ध कराने में नई पौध प्रजातियों और उच्च गुणवत्तापूर्ण बीजों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के चहुँमुखी विकास का आह्वान किया। श्री पवार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सफलता की कुंजी है- बीज सुरक्षा- सही जगह और सही समय पर, पर्याप्त गुणवत्ता और मात्रा में समुचित किस्मों की उपलब्धता।
आज यहां राष्ट्रीय बीज कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कृषि मंत्री ने कहा, सरकार को उच्च गुणवत्ता के बीजों के प्रजनन, उत्पादन और वितरण को प्रोत्साहन देने के लिए उचित माहौल विकसित करने और बनाए रखने की आवश्यकता है। अगर कृषि को खाद्य सुरक्षा की चुनौतियां पूरी करनी हैं तो दीर्घावधि के लिए बीज क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी निवेश बढा़ने की जरूरत है।
श्री शरद पवार ने इस बात पर जोर दिया कि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हासिल करने के लिए आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी और आणविक प्रजनन और संबंधित विधियों का इस्तेमाल करना चाहिए। आनुवांशिक संवर्धन के अलावा, गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन और उनकी गुणवत्ता में सुधार संबंधी अन्य प्रौद्योगिकी का भी बीजों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि मंत्री ने कहा कि बीज उत्पादन में निजी क्षेत्र भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच अच्छे संबंध विकसित करने की जरूरत है। भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया को कृषि क्षेत्र में उच्च विकास दर वाला क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यहां सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच अच्छा सहयोग है। सरकार बीज और कृषि उद्योगों में निजी क्षेत्र के निवेश को सुगम बनाने के लिए समुचित नीतियां और निवेश के अनुकूल कानूनी एवं नियामक ढांचा बनाने की इच्छुक है।
तीन दिन तक चलने वाली राष्ट्रीय बीज कांग्रेस में करीब 200 नीति-निर्माता, शोधकर्ता, पौध प्रजनक, बीज उत्पादक और बीज नियामक भाग ले रहे हैं। सरकारी विभागों, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संगठनों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की बीज कम्पनियों के प्रतिनिधि भी इस कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। #
अगले 15 वर्ष में तापमान बढऩे से वैश्विक कृषि उत्पादन में 20 से 40 प्रतिशत की कमी का अनुमान
विशेष संवाददाता - 2010-01-18 12:27
नई दिल्ली: अगले 15 वर्ष में तापमान बढऩे से वैश्विक कृषि उत्पादन में 20 से 40 प्रतिशत की भारी कमी होगी। नीति निर्माता इसका हल तलाशने के लिए बीज निर्माताओं का मुंह ताक रहे हैं।