सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों को काफी गंभीरता से ले रही है। यह अक्टूबर महीने के अंतिम दो दिनों में अपने कार्यकत्र्ताओं का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि इसमें 25 हजार पार्टी कार्यकत्र्ता शामिल होंगे। इस सम्मेलन का नाम संकल्प अधिवेशन दिया गया है। राजधानी के बाहर से आने वाले कार्यकत्र्ताओं को ठहराने की एक अनोखी व्यवस्था पार्टी ने की है। भोपाल के ऐसे 11 हजार कार्यकत्र्ताओं की पहचान की गई है, जिनके घरों में कार्यकत्र्ताओं को ठहराया जाएगा। प्रत्येक परिवार कम से कम दो कार्यकत्र्ताओं को अपने घरों में ठहराएगा। सांसदों, विधायकों, मंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री भी अपने घरों में पार्टी कार्यकत्र्ताओं को ठहराएंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार कार्यक्रम पर होने वाला खर्च बहुत कम हो जाएगा। स्थानीय विधायकों और कार्यकत्र्ताओं को कहा गया कि वे उन परिवारों की पहचान करें, जहां बाहर से आए कार्यकत्र्ताओं को ठहराया जाएगा। पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया कि मेजबान परिवारों की पहचान कर ली गई है।

स्थानीय निकायों का चुनाव एक ऐसे अधिकारी द्वारा कराया जाता है, जिन्हें सांवैधानिक सुरक्षा मिली होती है। कुल मिलाकर 281 स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे। चुनाव नवंबर से शुरू होंगे और ये दिसंबर में पूरे हो जाएंगे। इन निकाय चुनावों में महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों को आरक्षण मिलता है।

लाॅटरी निकालकर सीटों का आरक्षण किया जाता है। यह विधि वैज्ञानिक नहीं है, लेकिन इसे स्वीकार किया गया है, क्योंकि यह सबसे कम विवादास्पद है। इस प्रक्रिया के तहत 16 नगर निगमों में 11 को आरक्षित कर दिया गया है। नगरपालिकाओं के 98 अध्यक्ष भी आरक्षित श्रेणी से ही आएंगे।

लाॅटरी के बाद भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, देवास और कटनी नगरनिगम के मेयर के पद सामान्य श्रेणी में आए हैं जिनके लिए कोई भी चुनाव में खड़ा हो सकता है।

जबलपुर, सतना, रिवा और रतलाम नगर निगमों के मेयर पद पर महिलाएं ही पर्चा सकेंगी। ओबीसी महिलाओं के लिए इंदौर और छिंदवारा की सीटें आरक्षित हैं, तो बुरहनपुर और सागर सीटों पर ओबीसी को कोई भी प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर सकता है। मोरैना सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं, तो उज्जैन सीट से सिर्फ अनुसूचित जातियों की महिलाएं ह मेयर पद पर चुनाव लड़ सकती हैं। सिंगरौली सीट अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

चुनाव की तिथियों की घोषण के साथ ही चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी। आरक्षित सीटें तय हो जाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी की राजनीति भी तेज हो गई है। इस समय अधिकांश नगर निगमों और नगरपालिकाओं पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है। भारतीय जनता पार्टी फिर अधिकांश सीटों पर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहेगी। इन चुनावों में एक बार फिर मोदी मैजिक की परीक्षा होगी। (संवाद)