अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की चर्चा चल रही है। लेकिन चर्चा यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही इसे लेकर दो मत है। कुछ लोग सरकार बनाना चाहते हैं और कुछ लोग फिर से चुनाव के पक्ष में हैं। फिलहाल उपराज्यपाल भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के पक्ष में दिखाई पड़ रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने का सबसे ज्यादा विरोध अरविंद केजरीवाल ही कर रहे हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा भंग करवाकर नया चुनाव कराने की याचिका लेकर गए थे। वे यह भी शिकायत कर रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है और इसके लिए उन्हें प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं।
यदि केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उन्हें ये दिन देखने नहीं मिलते। पर वे लोगों को किए गए वायदों को पूरा करने मंे अपने को असमर्थ पा रहे थे, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री का पद ही छोड़ दिया। अब दिल्ली की जनता को भी लग रहा है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर विश्वास कर गलती की। इसलिए यदि केजरीवाल को लग रहा है कि चुनाव में वे पिछले साल की अपनी सफलता को दुहरा लेंगे, तो वे गलत सोच रहे हैं।
विधानसभा में पार्टियों की स्थिति ऐसी है कि किसी के लिए भी बिना दल बदल कराए स्थिर सरकार देना असंभव होगा। भारतीय जनता पार्टी के वे नेता जो सरकार बनाना चाहते हैं, यह बताने में असमर्थ है कि सरकार चलाने के लिए उनके पास बहुमत कहां से आएगा। उन्हें यह जरूर लगता है कि दिल्ली में विधानसभा के तीनों उपचुनावों को वे जीत लेंगे और बहुमत के बहुत पास पहुंच जाएंगे।
इस समय भाजपा के पास 28 विधायक हैं। अकाली दल के एक विधायक उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं। एक निर्दलीय विधायक का भी उसे समर्थन हासिल है। यदि आम आदमी पार्टी से निष्कासित एक विधायक और जद(यू) विधायक ने भी उसे समर्थन दे दिया, तब भी उसे बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं होता। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी के समझदार नेता नया चुनाव चाहते हैं। संघ को भी पहले लग रहा था कि नया चुनाव भाजपा के खिलाफ जा सकता है, अब नया चुनाव चाहता है। हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से उसके हौसले बढ़े हुए हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस फिर से चुनाव की मांग कर रही है, लेकिन उन्हें भी भाजपा की जीत का डर सता रहा है। उन दोनों को लग रहा है कि वे अपने नंबर बरकरार नहीं रख पाएंगे।
भारतीय जनता पार्टी की एक समस्या यह है कि इसके तीन विधायक सांसद बन गए हैं और इसके कारण दिल्ली विधानसभा में इसके विधायकों की संख्या 31 घटकर 28 हो गई है। उनके तीनों क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं। हो सकता है भारतीय जनता पार्टी इन तीनों सीटों पर चुनाव जीत जाए, क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा की उसकी जीत को देखते हुए उसके यहां भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रहा है।
असली समस्या यह है कि केन्द्र सरकार अनिर्णय की स्थिति में फंसी हुई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और केन्द्र कोर्ट में समय पर समय मांगता जा रहा है। यदि कोर्ट ने नये चुनाव का आदेश दे दिया, तो एक संवैधानिक विवाद खड़ा हो जाएगा। इस विवाद से केन्द्र को बचना चाहिए। इस सबसे बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी को फिर से चुनाव में उतरने का मन बना लेना चाहिए। (संवाद)
भारत
दिल्ली को सरकार चाहिए
पार्टियों को आपस में सहयोग करना चाहिए
कल्याणी शंकर - 2014-10-31 11:50
क्या दिल्ली में फिर से विधानसभा का चुनाव होगा या भारतीय जनता पार्टी स्थिर सरकार देने में कामयाब होगी? पिछले 17 फरवरी से दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार नहीं है। पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 49 दिनों तक केजरीवाल कर सरकार कांग्रेस के समर्थन से बनी थी। उस सरकार के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन चल रहा है।