यदि परिस्थितियां सामान्य रहतीं, तो मुख्यमंत्री हाई कोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज कर जाते। वे ऐसा कई बार कर चुके हैं और ऐसा करने के बावजूद सार्वजनिक रूप से यह कहने में कभी कंजूसी नहीं करते कि देश की न्यायपालिका का वह बहुत सम्मान करते हैं।

हाई कोर्ट का वह आदेश इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन की एक याचिका पर जारी किया गया था। श्री नारायणन उस केस में अभियुक्त बनाए गए थे। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने विदेशी एजेंसियों को इसरो के गुप्त दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। इसके कारण वे गिरफ्तार भी किए गए थे।

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने श्री नारायणन को जासूसी के आरोपों से मुक्त कर दिया गया। सीबीआई ने उस जासूसी कांड की जांच की थी। जांच में भी उन्हें निर्दोष माना गया था। नारायणन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। नारायणन चाहते थे कि उन तीनो के खिलाफ कडी कार्रवाई हो, लेकिन प्रदेश सरकार कार्रवाई नहीं कर रही थी। उससे निराश होकर नारायणन ने अदालत की शरण ली थीं। और हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि उन तीनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाय। गौरतलब हो कि जांच करने वाली सीबीआई ने भी उन तीनों पुलिस अधिकारियों को दंडित करने की मांग की थी।

एक और कारण है जिससे मुख्यमंत्री को तीनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। यह कारण राजनैतिक है। इसरो जासूसी मामले के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणाकरण की भी भारी फजीहत हुई थी। उन्हें मुख्यमंत्री का पद भी छोड़ना पड़ा था।

यही कारण है कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कांग्रेस के एक बड़े हिस्से से भी जोरदार मांग उठ रही थी। रमेश चेनिंथाला का गुट जोर शोर से कार्रवाई की माग कर रहा था। गौरतलब है कि श्री चेनिथाला करुणाकरण के खासमखास हुआ करते थे। करुणाकरण के बेटे मुरलीधरन भी कांग्रेस विधायक हैं। वे भी अपने पिता को बदनाम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे थे। करूणाकरण की बेटी पद्मजा भी इसे लेकर काफी संवेदनशील थीं। इस मसले परे करुणाकरण के सारे समर्थक एक साथ खड़े दिखाई देने लगे।

सच तो यह है कि इसके कारण चांडी विरोधी सारे कांग्रेसी एकजुट होते दिखाई दे रहे हैं। यह मुख्यमंत्री चांडी के लिए शुभ बात नहीं है। वे कांग्रेस के सबसे बड़े गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनको चुनौती देने वाला कोई मजबूत गुट नहीं था, लेकिन करूणाकरण के सभी समर्थकों के एक साथ आने के कारण मुख्यमंत्री के गुट के सामने कठिन चुनौती खड़ी होने की संभावना बन गई है। ऐसी हालत में चांडी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वी एम सुधीरन ने अभी अपना मुह नहीं खोला है। यदि उन्होने भी इस मसले पर हाई कोर्ट के आदेश के पक्ष में अपने विचार जाहिर किए, तो मुख्यमंत्री चांडी की स्थिति और भी ज्यादा कमजोर हो जाएगी। (संवाद)