बार मालिकों के संघ के कार्यकारी अध्यक्ष बीजू रमेश ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री ने बारों को बंद होने से बचाने के लिए 5 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। शराब नीति पर अदालत में मामला चल रहा था। उस मामले में बार मालिकों के मन के मुताबिक सरकार का पक्ष रखने के लिए उस रिश्वत की मांग की गई थी। एक टीवी डिबेट में भाग लेते हुए बीजू रमेश ने यह खुलासा किया। उन्होंने कहा कि मंत्री को उनके कोट्टायम जिले वाले घर में एक करोड़ रुपये की अदायगी भी कर दी गई थी।

इस खुलासे के बाद केरल की राजनीति में खासकर सरकारी हलकों में भूचाल आ गया है। सरकारी मोर्चे के नेता मंत्री को बचाने में लग गए हैं। मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी वित्तमंत्री के बचाव में बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा किया जा रहा बचाव काफी नहीं है और लोग सरकारी पक्ष की सफाई से आश्वस्त नहीं दिख रहे हैं।

यूडीएफ के नेता चाहे जो भी बयानबाजी कर रहे हों, लेकिन माना यह जा रहा है कि मणि के खिलाफ किया गया यह खुलासा एक साजिश का हिस्सा हो सकता है और साजिश करने वाले लोग वे हो सकते हें, जो यह नहीं चाहते कि मणि कांग्रेस को छोड़कर सीपीएम के साथ चले जाएं। गौरतलब है कि इस तरह की अटकलें लग रही थीं कि मणि पाला बदल सकते हैं। उनके पाला बदलने के बाद केरल में सरकार ही बदल जाती, क्योंकि तब बहुमत उसका होता, जिसके पाले में मणि होते।

अब मणि के समर्थक कांग्रेस के नेताओं पर ही आरोप लगा रहे हैं। विधानसभा में सरकारी पक्ष के मुख्य सचेतक पी सी जाॅर्ज ने तो मुख्यमंत्री को ही साजिशकर्ता करार दिया है। उनका कहना है कि मणि को बदनाम करने की साजिश उन्हीं की रची हुई है। गौरतलब हो कि पी सी जार्ज केरल कांग्रेस (मणि) के एक महत्वपूर्ण नेता हैं।

दिलचस्प बात यह है कि सीपीएम के प्रदेश सचिव पी विजयन ने भी अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि मणि पर लगाए गए उस आरोप से मुख्यमंत्री चांडी का सीधा फायदा हो रहा है। उनके इस बयान का मतलब निकालते हुए कहा जा रहा है कि चांडी ने एक तीर से दो शिकार कर डाले हैं। सबसे पहले, तो उन्होंने मणि को सीपीएम के पाले में जाने से रोका और उसके साथ ही वे अपना मुख्यमंत्री पद बचाने में भी कामयाब हुए हैं।

अंतिम परिणाम चाहे जो भी हो, इस घटना के बाद अब कांग्रेस और केसी(मणि) का संबंध पहले की तरह कभी नहीं रह पाएगा। फिलहाल तो केसी(मणि) यह स्वीकार कर रही है कि कांग्रेस का उस कथित खुलासे में कोई हाथ नहीं है और कांग्रेस संकट की इस घड़ी में मणि का पूरा साथ दे रही है। लेकिन इस घटना ने दोनों के संबंधों को ऐसा बना दिया है, जो आने वाले दिनों मंे दोनों को परेशान करते रहेंगे।

इस घटना पर विपक्षी वामपंथियों और खासकर सीपीएम की प्रतिक्रिया देखने लायक रही है। ऐसी स्थिति में होना तो यह चाहिए था कि सीपीएम पूरी वाम एकता के साथ यूडीएफ पर धावा बोल देती। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सीपीएम की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर उसकी कमजोरी को उजागर कर दिया है। इसके कारण उसका सार्वजनिक मजाक भी हो रहा है। विधानसभा मे विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन ने एक तरह सीबीआई जांच की मांग की है, तो दूसरी तरफ प्रदेश सीपीएम सचिव पी विजयन ने अदालत की देखरेख में एक विशेष जांच टीम से इस आरोप की जांच करने की मांग की है। अब वीएस विजयन के खिलाफ सीपीएम के केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ शिकायत करने का फैसला किया है। (संवाद)