दलित बसपा का मुख्य जनाधार है। बसपा प्रमुख मायावती ने अपने इस जनाधार को बरकरार रखने के लिए राज्य सभा में दो दलित उम्मीदवार दिए और अब वे दोनों राज्य सभा सांसद बन रहे हैं।
कहा जा रहा है कि दलितों के कुछ हिस्से पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर चले गए थे, जिसके कारण बसपा को लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा। उसे उत्तर प्रदेश में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी।
दलित मतदाताओं द्वारा पार्टी छोड़ने की बात एक तरह से स्वीकार करते हुए मायावती ने कहा कि वे सर्व समाज के अपने दर्शन में विश्वास करती हैं, लेकिन अपने मुख्य जनाधार को बचाने के लिए वे दोनों सीटें दलितों को ही दे रही हैं।
दलितों को भाजपा की ओर जाने से सतर्क करते हुए मायावती ने कहा कि उन्हें भाजपा से कुछ भी हासिल नहीं होगा और उनकी उपयोगिता सिर्फ भाजपा की सीट संख्या बढ़ाने में ही बनी रहेगी।
कांग्रेस ने भी एक बार फिर महसूस किया है कि दलित उनके कभी जनाधार हुए करते थे और उन्हें फिर से अपने साथ लाना जरूरी है। यही कारण है कि उसने पीएल पुनिया को अपनी पार्टी से उम्मीदवार बनाया और वे अब राज्य सभा के सांसद बन रहे हैं।
कांगे्रस में राज्य सभा में जाने के लिए अनेक नेता कोशिश कर रहे थे। बेनी प्रसाद वर्मा और सलमान खुर्शीद लाइन में बहुत आगे थे। पर दलित मतों की खातिर कांग्रेस ने पीएल पुनिया को ही अपना उम्मीदवार बनाया।
पुनिया को राज्य सभा सांसद बनाकर कांग्रेस देश भर के दलितों को यह संदेश देना चाहती है कि वह उनके हितों के लिए सबसे ज्यादा चिंतित है।
कांगे्रस उम्मीदवार पुनिया की जीत सुनिश्चित कराने में समाजवादी पार्टी की भी भूमिका रही। कांग्रेस के पास उतने विधायक नहीं थे, जो उनके चुने जाने के लिए जरूरी हैं। समाजवादी पार्टी के सहयोग के कारण ही पुनिया को जीतने का मौका मिला। एक दलित को सांसद बनाने मे सहयोग कर समाजवादी पार्टी ने भी यह संदेश दिया है कि वह दलितो का फिक्र करती है।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी भी उत्तर प्रदेश में सफल होने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है।
कहा जा रहा है कि दलितों के एक हिस्से ने इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया और उसके उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराई। उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओ को कहा गया है कि वे दलितों से संपर्क बनाए रखें और उनके साथ समय समय पर आयोजित भोज में सम्मिलित होते रहें।
भारतीय जनता पार्टी में नीचे से ऊपर तक संगठन में दलितों को जगह दी जा रही है। प्रखंड से राज्य स्तर की कमिटियों में उन्हें शामिल किया जा रहा है।
बनारस में भाजपा नेता डोम राजा के घर गए और उनके घर खाना खाया। इसके अलावा राजनाथ सिंह व अन्य भाजपा नेता, जो सांसद भी हैं दलित बहुत गांवों को विकास के लिए गोद ले रहे हैं। (संवाद)
भारत: उत्तर प्रदेश
विधानसभा चुनाव 2017 के लिए अभी से तैयारियां शुरू
दलितों को रिझाने के लिए जुट गई हैं पार्टियां
प्रदीप कपूर - 2014-11-18 11:19
लखनऊः उत्तर प्रदेश का मिशन 2017 अभी से शुरू हो गया है। इस मिशन की खास बात दलितों का समर्थन पाने की है। दलित प्रदेश की आबादी के 22 फीसदी हैं।